संक्षेप सत्र की उपलब्धि

इस बार पंजाब विधानसभा का 2 दिवसीय सत्र बहुत संक्षेप रखा गया था। सरकार के लिए यह सोचने वाली बात है कि पिछले तीन साल में उसके द्वारा विधानसभा सत्र का समय अक्सर कम रखा जाता रहा है, जिनको आगामी समय में और बढ़ाए जाने की ज़रूरत है। बहुत बार तो संबंधित राज्यपाल और प्रदेश सरकार में भी इन संबंधी टकराव चलता रहा। मुख्यमंत्री अक्सर राज्यपाल के साथ भिड़ते नज़र आये। उन सत्रों में भी बहुत समय सरकार और विपक्ष द्वारा एक-दूसरे पर ऐसे आरोप लगाए जाते रहे और ऐसी बयानबाज़ी की जाती रही, जो विधानसभा की बहस के स्तर की नहीं थी। इस बार भी पहले दिन से बड़ी हद तक ऐसा कुछ ही देखने को मिला। एक तरह से वहां राजनीतिक घमासान छिड़ा दिखाई दिया और बड़े-छोटे नेताओं द्वारा एक-दूसरे पर आरोप ही लगाए जाते रहे।
अब विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने स्पष्ट तौर पर कहा कि आम आदमी पार्टी के 32 विधायक उनके सम्पर्क में हैं। इसके अलावा उन्होंने भाजपा के केन्द्रीय राज्यमंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के मुख्यमंत्री के साथ लगातार सम्पर्क में होने की बात भी दोहराई। इसका जवाब आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष अमन अरोड़ा ने देते हुए कहा कि स. बाजवा के बयानों में कोई सच्चाई नहीं है और न ही उनकी सरकार को किसी तरह का कोई खतरा है। इस आपसी तीखी नोक-झोक के दौरान सत्तारूढ़ और विपक्षी दल के नेताओं के कुछ ऐसे मामले ज़रूर उठाए, जो आगामी समय में सरकार के ध्यान की मांग करते हैं। इनमें गैर-कानूनी खनन का मुद्दा, मिल्कफैड पर नकली दूध की सप्लाई करने के आरोप, गांवों की सड़कों की दयनीय हालत, स्कूलों की दयनीय इमारतें, नहरी पानी की कमी, डे्रनों व रजबाहों का साफ न होना तथा खालों एवं पाइपों की लम्बे समय से मरम्मत नहीं किए जाना आदि शामिल हैं। ऐसे जन-मुद्दों संबंधी सरकार को आगामी समय में पूरा ध्यान देने की ज़रूरत होगी। 
दूसरे दिन आपसी बहस तथा एक-दूसरे पर आरोपों की झड़ी के दौरान एक और महत्वपूर्ण मामला सामने आया, जिसकी गत वर्ष से लगातार बड़ी चर्चा होती रही है। यह था केन्द्र सरकार द्वारा तैयार करके भेजा गया राष्ट्रीय कृषि मंडीकरण की नीति का प्रारूप, जिसे विधानसभा में सर्वसम्मति से रद्द कर दिया गया। इस प्रारूप को कृषि राज्य का विषय बता कर केन्द्र सरकार द्वारा अनुचित हस्तक्षेप करार दिया गया और यह भी कि प्रदेश सरकारें कृषि क्षेत्र की ज़रूरतों और समस्याओं को अधिक समझती हैं। इसमें यह भी आशंका व्यक्त की गई है कि यह प्रारूप पंजाब के मज़बूत मंडीकरण के ढांचे तथा प्रबंध को कमज़ोर करेगा। इसके अतिरिक्त कांग्रेसी पक्ष द्वारा स्वर्गीय पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को भारत रत्न देने की उठाई गई मांग संबंधी चाहे विधानसभा में कोई प्रस्ताव पारित नहीं किया गया, परन्तु हम समझते हैं कि जिस प्रकार जीवन भर डा. साहिब ने अनेक उच्च पदों पर रहते हुए देश को अर्थ भरपूर सेवाएं दी हैं, उससे देश तथा पंजाब का गौरव बेहद बढ़ा है। आज चाहे  देश का राजनीतिक दृश्य कुछ भी हो, देश पर स. मनमोहन सिंह के प्रभाव को किसी भी तरह कम करके नहीं देखा जा सकता। उनके बड़े योगदान को देखते हुए वह सही अर्थों में भारत रत्न सम्मान के हकदार हैं।
इसके अतिरिक्त सरकार के शेष रहते 2 वर्षों में उसे लोगों के प्रति जवाबदेह होने के लिए तथा लोकतांत्रिक नैतिक मूल्यों की रक्षा के लिए आगामी विधानसभा सत्रों के लिए अधिक समय देने की ज़रूरत होगी।        
    

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द  

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