इस तरह अमरीका महान नहीं होगा

इधर गाज़ा पट्टी को लेकर ट्रम्प की नई योजना पर काफी चर्चा होने लगी है। वह गाज़ा पट्टी पर कब्ज़ा करना चाहते हैं। इसके परिणामस्वरूप बीस लाख फिलिस्तीनियों को बेदखल होना पड़ेगा। समुद्र तटीय रेगिस्तानी पट्टी को पर्यटन और मौज मस्ती की जगह में बदल दिया जाएगा। अब दुनिया भर के पत्रकार कह रहे हैं कि क्या एक रचनात्मक सोच और एक आधारहीन बेतुकी सोच में कोई फर्क होता है या नहीं? आज तक किसी भी अमरीकी राष्ट्रपति ने मध्य-पूर्व में शांति स्थापित करने के लिए पहल के रूप में इस तरह की काल्पनिक बातें नहीं कीं। अजीब यह भी लग सकता है कि ट्रम्प ने इससे पहले अपने सहयोगियों से इस तरह की चर्चा नहीं की। ट्रम्प के पहले कार्यकाल को जानने समझने वाले कह रहे हैं कि उनके सहयोगी कैबिनेट सचिव उन्हें इस तरह की बातों पर रोक देते थे। परन्तु इस समय उनके आस-पास के लोग। सहयोगी ऐसा कर पाने में असमर्थ हैं। उन्हें डर रहता है कि एक आनलाइन भीड़ उन पर हमला कर सकती है। गाज़ा पट्टी का ऐसा फैसला आसान नहीं हो सकता वह एक जटिल प्रक्रिया है। वहां के समाचार पत्र कह रहे हैं कि ऐसा कोई जादुई समाधान नहीं है जो संघर्ष की इस कहानी को रातों-रात खत्म कर दे। ट्रम्प ने जैसा समाधान सामने रखा है वह फिलिस्तीनियों के लिए तो अपमानजनक है ही, वह इज़रायलियों को भी स्वीकार नहीं हो सकता।
यदि ट्रम्प प्रशासन सचमुच जार्डन और मिस्र या किसी अन्य अरब देश को गाज़ा के फिलिस्तीनियों को स्वीकार करने के लिए मज़बूर करता है और इज़रायली सेना को उन्हें घेर कर खदेड़ने के लिए कहता है, तो यह जार्डन के जनसांखिकीय संतुलन को बिगाड़ देगा। इससे मिस्र और इज़रायल में भी अस्थिरता पैदा हो सकती है। बेशक इज़रायली हमास से नफरत करते हों लेकिन संभावना यह है कि उनके बहुत से सैनिक ऐसे किसी आप्रेशन का हिस्सा बनने से इन्कार कर सकते हैं।
ट्रम्प के इस तरह के फैसले अरब जगत में अमरीकी हितों के खिलाफ रीएक्शन देंगे। मुस्लिम भाई यूरोप, मध्य-पूर्व और एशिया में सड़कों पर उतर सकते हैं और कोहराम मचा देंगे।
बीस लाख लोगों (फिलिस्तीनियों का) विस्थापन क्या खाला जी का घर है? हम पंजाबी विस्थापन का मतलब अच्छी तरह जानते हैं। भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय हमने अपनी आत्मा पर घाव महसूस किये जो अभी तक हरे हैं। रातों-रात घर छोड़कर भागना पड़ा था। ट्रम्प क्या इस पीड़ा का एक छोटा सा हिस्सा भी महसूस कर सकते हैं?
ट्रम्प अमरीका को फिर से महान बनाना चाहते हैं। उन्होंने घोषित रूप से कहा भी है। क्या इस तरह अमरीका महान होगा? अवैध तरीके से दाखिल हुए प्रवासियों को वह बेशक निकाल सकते हैं, परन्तु इस तरह अपमानित कर निकालने पर सभी के मन में रोष है। अमानवीय व्यवहार कहीं भी कभी भी सहन नहीं होता। गाज़ा पट्टी पर फैसला लेने से पहले उन्होंने नेतन्याहू से भी बात नहीं की होगी। उनकी टीम की एक और कमजोरी यह है कि मध्य-पूर्व के बारे में उनकी जानकारी पक्की नहीं मालूम पड़ती। ट्रम्प को बीस लाख फिलिस्तीनियों के बारे में फिर से सोचना होगा।
 

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