क्या सीटों के तालमेल से मज़बूत होगा ‘इंडिया’ ? 

गठबंधन गठबंधन ‘इंडिया’ के सहयोगी दलों में सीटों का बंटवारा होने लगा है। गठबंधन का प्रमुख दल कांग्रेस ने इसके लिए पहल करते हुए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ सीटों का बंटवारा कर सीट शेयरिंग फार्मूले को आगे बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 17 व समाजवादी पार्टी 63 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इससे पहले कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 20 लोकसभा सीटों पर दावा कर रही थी। 
इसी तरह कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी से भी सीटों पर समझौता कर लिया है। आम आदमी पार्टी दिल्ली में दक्षिणी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और नयी दिल्ली लोकसभा सीट पर उम्मीदवार उतारेगी जबकि कांग्रेस तीन सीटों चांदनी चौक, उत्तर पश्चिम दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ेगी। चंडीगढ़ की सीट पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। वहीं गुजरात में 24 सीटों पर कांग्रेस तथा दो सीटों भरूच व भावनगर से आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी। हरियाणा की 10 में से 9 सीटों पर कांग्रेस व कुरुक्षेत्र में आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी। गोवा की दोनों सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी। पंजाब की 13 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस व आम आदमी पार्टी दोनों के प्रत्याशी अलग-अलग चुनाव लडें़गे।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी तथा दिल्ली, चंडीगढ़, हरियाणा, गुजरात व गोवा में आम आदमी पार्टी से सीटों का तालमेल करके कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में सीटों के बंटवारे को लेकर शिवसेना (उद्धव) के प्रमुख उद्धव ठाकरे से एक घंटा तक टेलीफोन पर बातचीत कर वहां महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है। आने वाले कुछ दिनों में महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ महाविकास अघाड़ी में शामिल सभी चारों दलों में सीटों का बंटवारा हो जाएगा।
बिहार में भी कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत शुरू कर दी है। कांग्रेस नेतृत्व को आशा है कि आने वाले कुछ दिनों में बिहार में सभी विपक्षी दल एक साथ मिलकर आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा कर चुनाव में उतरेंगे। हालांकि पश्चिम बंगाल में अभी तक कांग्रेस व ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच चुनावी गठबंधन नहीं हो पाया है। ‘इंडिया’ में शामिल वामपंथी दलों के लिए ममता बनर्जी ने पहले ही पश्चिम बंगाल में सीटों के बंटवारे को लेकर इन्कार कर दिया था। ममता बनर्जी कांग्रेस को मौजूदा दो सीट देना चाहती है। 
हालांकि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस व तृणमूल कांग्रेस में सीट बंटवारे को लेकर एक बार फिर बातचीत शुरू होने के संकेत मिल रहे हैं। संदेशखली की घटना के बाद ममता बनर्जी दबाव में हैं। इसी कारण ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को पांच सीट देकर समझौता कर सकती है। पश्चिम बंगाल में जब तक वामपंथी दलों के साथ समझौता नहीं होगा तब तक भाजपा विरोधी वोट को बिखरने से नहीं रोका जा सकेगा। 
केरल में कांग्रेस व वामपंथी दलों का अपना-अपना गठबंधन बना हुआ है। वहां दोनों ही गठबंधनों के अंदर कड़ा मुकाबला होगा। केरल में कांग्रेस व वामपंथी दल आमने-सामने होकर चुनाव लड़ेंगे। पिछले लोकसभा चुनाव में केरल में वामपंथी दलों को मात्र एक लोकसभा सीट मिली थी जबकि केरल में वामपंथी दल की लगातार दूसरी बार सरकार चल रही है। तमिलनाडु में कांग्रेस ने पिछली बार डी.एम.के. के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था जिसमें वामपंथी दल भी शामिल थे। 
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को तमिलनाडु में आठ सीटों व वामपंथी दलों को चार सीटों पर जीत मिली थी। मगर इस बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन कांग्रेस को 9 के बजाय 7 सीट देने की ही बात कर रहे हैं जबकि कांग्रेस वहां 16 सीटें मांग रही है। डी.एम.के. सुप्रीमो स्टालिन ने तमिलनाडु में लंबे समय से सहयोगी रही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) को रामनाथपुरम सीट व कोंगुनाडु मक्कल देसिया काची (केएमडीके) को नमक्कल सीट देकर सीट शेयरिंग के फार्मूले को आगे बढ़ा दिया है। मगर तमिलनाडु में जब तक डी.एम.के. का कांग्रेस व वामपंथी दलों से सीटों का बंटवारा नहीं हो जाता, तब तक वहां ‘इंडिया’ में सीटों के बंटवारे का काम अधूरा ही माना जाएगा।
झारखंड में कांग्रेस झारखंड मुक्ति मोर्चा व राजद के साथ सीटों का समझौता करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में झारखंड की 14 में से कांग्रेस व झारखंड मुक्ति मोर्चा को एक-एक सीट पर जीत मिली थी जबकि भाजपा ने वहां 12 सीटें जीती थीं। मगर इस बार वहां झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में कांग्रेस व राष्ट्रीय जनता दल शामिल हैं। ऐसे में वहां ‘इंडिया’ भाजपा को कड़ी टक्कर देने की स्थिति में है। 
असम में बदरुद्दीन अजमल की आल इंडिया यूनाईटेड डैमोक्रेटिक फ्रंट पार्टी के साथ जब तक कांग्रेस का गठबंधन नहीं हो जाता, तब तक वहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में नहीं मानी जा सकती है। बदरुद्दीन अजमल का असम की राजनीति में बड़ा जनाधार है। जब भी बदरुद्दीन अजमल व कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा है, अच्छे परिणाम मिले हैं। पिछले दिनों कांग्रेस ने एकतरफा घोषणा करते हुए बदरुद्दीन अजमल की पार्टी से सभी संबंध समाप्त कर दिए थे, जिसके बाद वहां कांग्रेस अकेले ही चल रही है। इसी का फायदा उठाते हुए मुख्यमंत्री हेमंत विस्व शर्मा ने कांग्रेस के कई विधायकों से पाला बदल करवा लिया है। 
त्रिपुरा की दो सीटों पर भी कांग्रेस का माकपा से गठबंधन होने पर ही मजबूत स्थिति बन सकती है। त्रिपुरा में माकपा का व्यापक जनाधार है। वहां कांग्रेस बहुत कमज़ोर हो चुकी है। ऐसे में यदि कांग्रेस का माकपा के साथ सीटों का तालमेल हो जाता है तो दोनों दलों को फायदा हो सकता है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान जैसे प्रदेशों में कांग्रेस का भाजपा व अन्य क्षेत्रीय दलों से सीधा मुकाबला है। यदि ‘इंडिया’ में शामिल सभी दल आपसी सहमति से सीटों का बंटवारा कर एक साथ चुनाव मैदान में उतरेंगे तो निश्चय ही भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकेंगे।

-मो. 94142-55034