सृजन और साधना का योग-पर्व है महाशिवरात्रि

भगवान शिव संहार से पहले सृजन के देवता हैं। चूंकि महाशिवरात्रि के दिन उनका मां पार्वती के साथ विवाह हुआ था, इसलिए हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का बहुत महत्व है। इस महारात्रि को सृजन और साधना की महारात्रि के रूप में मनाया जाता है। तंत्र साधक महानिशा के बाद महाशिवरात्रि वह दूसरी रात होती है, जब भक्त पूरी रात नहीं सोते, साधना में लीन रहते हैं। कहते हैं, इस दिन भगवान शिव की पूजा करने का जो लाभ मिलता है, वह पूरे साल की गई पूजा के बराबर होता है। इसलिए महाशिवरात्रि के दिन खूब तड़के से ही देश-विदेश के सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटने लगती है। 
महाशिवरात्रि के दिन भक्त देशभर की पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। इस दिन पूरे देश के शिव मंदिरों में भारी भीड़ होती है तथा  तड़के से लेकर दिन विधि विधान के साथ पूजा होती है। लोग व्रत रखते हैं और पूरे दिन भक्ति व साधना में लील रहते हैं। फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली शिवरात्रि इस वर्ष 8 मार्च को मनाई जा रही है। 
माना जाता है कि परियोग में हम यदि कोई योजना बनाते हैं तो यह योग सही रहता है। इस योग में शिव पूजा करके अपने कार्य को आगे बढ़ाया। महाशिवरात्रि के दिन जाना चाहिए जब भी मौका मिले, पूजा की जा सकती है, लेकिन इस दिन मंदिरों में तिल रखने की जगह नहीं मिलती क्योंकि बहुत बड़ी संख्या में लोग इस दिन शिव मंदिरों में जाना पसंद करते हैं। जो लोग पूरे साल कोई धर्म कर्म नहीं करते, वो भी इस दिन मंदिर जाने को प्राथमिकता देते हैं। इस दिन शिवलिंग पर बेलपत्र ज़रूर चढ़ना चाहिए। भगवान शिव इससे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। बहुत सालों के बाद इस साल महाशिवरात्रि पर पंचग्रही योग बन रहा है। महाशिवरात्रि के दिन मकर राशि में मंगल, शनि, चंद्रमा, शुक्र और बुध ग्रह एक साथ उपस्थित होकर पंचग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं। 
अगर आपको इस दिन पूजा के लिए बेलपत्र न मिले तो कोई बात नहीं। पीपल के पत्ते से भी इस दिन भगवान शिव की पूजा की जा सकती है। पीपल के पत्ते भी उन्हें बहुत पसंद हैं। धतूरा भी शिवजी को अति प्रिय है और भांग भी उन्हें पसंद है। कहते हैं, समुद्र मंथन से जो विष निकला था, उस विष को भगवान शिव ने धरती को बंजर होने और देवताओं को विनाश से बचाने के लिए खुद पी लिया था लेकिन माना जाता है कि यह विष इतना ज्यादा गर्म था कि भगवान भोले को बहुत ज्यादा गर्मी लगने लगी। इस गर्मी से राहत पाने के लिए उन्होंने इस दिन भांग और दूध का सेवन किया था। तब से उनके भक्त भी महाशिवरात्रि को भांग का सेवन करते हैं। 
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