मूर्ख महिमा की जय-जयकार

मूर्ख दुनिया का सबसे समझदार बन्दा होता है! उसे मनोरंजन के संसार का बेताज बादशाह कहिये! सृष्टि का ‘ग्रेट एंटरटेनर’.. वैसे प्रकृति से ही वह बेहद भोला-भाला जीव होता है। उसी के सेवाभाव के कारण दुनिया में हंसी-दिल्लगी की बरकत है। ‘दुखम सत्यम, जगन्मिथ्या’ वाले इस जीवन में हमारे चेहरों पर जो थोड़ी बहुत हंसी खेलती है, वह हमारे मूर्ख भाइयों के अद्भुत चरित्र और सेवा भाव का ही परिणाम है! वे नहीं होते तो घोड़ों-गधों की तरह हमारे चेहरे लटके होते! हमारे ये मूर्ख बंधु हैं तो हम हैं वरना उनके बिना हम क्या हैं?
मूर्खों की नकल मात्र करके चार्ल्स स्पेंसर जैसा एक साधारण सा लड़का दुनिया का सबसे बड़ा हास्य अभिनेता चार्ली-चैपलिन बन गया! ‘सर’ की उपाधि पाई! करोड़ों की सम्पदा का मालिक और फिर महान कलाकार ‘सर चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन’ हो गया! भगवान राम ने अपने जीवन काल में कुछ लोगों को तारा परन्तु उनके राम नाम ने अगणित लोगों को मोक्ष दिया। उसी प्रकार मूर्खों की मूर्खताओं की नकल ने दुनिया भर के लाखों बेरोज़गार ठलुवे लोगों को रोजी-रोजगार देकर उन्हें नामी हास्य कलाकार बना दिया! धन्य और प्रणम्य हैं हमारे पारस पत्थर जैसे मूर्ख भाई, जिनके नकल-स्पर्श मात्र से लोहे जैसे गुणहीन ठलुवे, महान हास्य-कलाकार में परिवर्तित होकर नाम और दाम कमाते हैं!
मां सरस्वती जिस पर परम प्रसन्न होती है, उसी को वह मूर्खता के वरदान की अमूल्य निधि देती है। मूर्ख होने के लिए ज़रूरी नहीं कि वह अनपढ़ या अंगूठा छाप हो! ऐसा देखा गया है कि इस संसार में अंगूठा छाप मूर्खों से, पड़े-लिखे मूर्ख ज्यादा पाए जाते हैं। मूर्ख कहीं भी और कभी भी मिल सकते हैं। उन्हें खोजना नहीं पड़ता। उत्तर-ध्रुव-दक्षिण ध्रुव, पहाड़-जंगल की यात्रा की ज़रूरत नहीं। ‘जिन खोजा तिन पाइया’ वाला सिद्धांत भी यहां लागू नहीं होता। वे अक्सर आप के आसपास ‘जित देखो तित लाल’ की तरह मौजूद होते हैं। परम-ब्रह्म परमेश्वर के समान वे कण-कण यानी घर,बाहर, सड़क, विधानसभा, संसद हर जगह हो सकते हैं।
बस, इन पहुंचे हुए संत-महात्माओं को पहचानने की आप में लियाकत होनी चाहिए। म़ाफ करिए, ऐसा भी हो सकता है कि दूसरों की नज़र में आप भी इस महान पद के अधिकारी हों। सो चाहें तो खुश होइए या फिर संभल के रहिये! बाकी आप की इच्छा।