बांग्लादेश के बंग्लार ताजमहल में एक दिन

मैं ढाका में था। शहर की उन चीजों को देखने का मन बना रहा था, जो मैंने अभी तक देखी नहीं थीं। इसी सिलसिले में अपने होटल के रेस्टुरेंट में बैठे हुए एक स्थानीय व्यक्ति से मैंने सवाल किया। उसने उल्टा मुझसे से ही प्रश्न किया, ‘क्या आपने बांग्लादेश का ताजमहल देखा है?’ ताजमहल और बांग्लादेश में! मुझे आश्चर्य हुआ। मेरी जिज्ञासा को शांत करते हुए उसने आगे कहा, ‘सर, एक छोटा-सा ताजमहल हमारे पास भी है।’ उसकी बात सुनकर मुझे फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ में ओमपुरी का डायलाग याद आ गया- ‘एक छोटा-सा कश्मीर हमारे पास भी है।’ बहरहाल, इस वार्तालाप के बाद मैंने बांग्लादेश का ताजमहल देखने का मन बना लिया था। दुनियाभर से लोग आगरा में मुगल बादशाह शाहजहां व मुमताज महल की प्रेम कथा के प्रतीक ताजमहल को देखने के लिए आते हैं और मैं बांग्लादेश में ताजमहल तलाश करने के लिए निकल पड़ा।
मुझे ढाका के उत्तरपूर्व में जाना था। मैंने ढाका के गुलिस्तान बस स्टॉप से टैक्सी की। ढाका-चिट्टागोंग हाईवे से होते हुए हम मदनपुर पहुंचे, जहां से लेफ्ट टर्न करते हुए हम गाजीपुर रोड पर चलने लगे। सोनारगांव से पूर्व में लगभग 10 मील का सफर तय करने के बाद हम पेराबो में थे। बंग्लार ताजमहल यहीं स्थित है। ढाका से यहां पहुंचने के लिए हमें टैक्सी से लगभग 50 मिनट लगे थे, तकरीबन 33 किमी की यात्रा पूरी करने के लिए। बंग्लार ताजमहल पर्यटकों के लिए रोज़ाना सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है। मैंने 150 बांग्लादेशी टका बतौर प्रवेश शुल्क दिए और बंग्लार ताजमहल के अंदर पहुंच गया। अंदर जाते हुए मैं आगरा के ताजमहल की तस्वीर अपने जहन में बनाये हुए था कि दोनों ताजमहलों की तुलना करूंगा, लेकिन बंग्लार ताजमहल पर पहली नज़र पड़ते ही मैंने तुलना करने का इरादा छोड़ दिया। असल फिर असल ही होती है और नकल उसका कोई मुकाबला कर ही नहीं सकती, भले ही उसे कितनी ही मेहनत से तैयार किया हो। शायद यही कारण रहा होगा कि 2000 के दशक में जब रेप्लिका के तौर पर बंग्लार ताजमहल का निर्माण कराया जा रहा था तो भारत सरकार ने कॉपीराइट व नकल की प्रारम्भिक आपत्तियों के बाद बात को आगे नहीं बढ़ाया था। इसलिए बंग्लार ताजमहल को तुलना की दृष्टि से देखना फिजूल होगा, निराशा ही हाथ लगेगी। लेकिन एक अलग इमारत के रूप में उसे देखना अच्छा अनुभव हो सकता है, विशेषकर एक पर्यटक के रूप में।
बंग्लार ताजमहल की मुख्य बिल्डिंग पारदर्शी व महंगे स्टोन से बनी हुई है। इसका निर्माण बांग्लादेश के रईस फिल्म निर्माता व निर्देशक अहसानुल्लाह मोनी ने 58 मिलियन अमरीकी डॉलर में 1.6 हेक्टेयर में कराया था और इसको बनाने में पांच साल (2003-2008) का समय लगा था। इसके निर्माण के पीछे मोनी का उद्देश्य यह था कि उनके देश के गरीब लोग आगरा का ताजमहल देखने की प्रबल इच्छा रखते हैं लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वहां तक का सफर नहीं कर पाते हैं, बंग्लार ताजमहल गरीब बांग्लादेशियों की ख्वाहिश को पूरा करने का जरिया बन जायेगा। लेकिन बंग्लार ताजमहल को देखने के लिए आज केवल गरीबी बांग्लादेशी ही नहीं आते हैं बल्कि रोज़ाना सैंकड़ों विदेशी पर्यटक भी इसे देखने के लिए आते हैं। बांग्लादेश में ताजमहल के लिए दीवानगी हर जगह देखने को मिल जायेगी- कॉफी मग से लेकर विवाह मंडपों तक में आपको ताजमहल की तस्वीरें मिलेंगी। शायद इसी भावना को भुनाने का मोनी ने सफल प्रयास किया है। बंग्लार ताजमहल का उद्घाटन 2009 की ईद से पहले हुआ था। बंग्लार ताजमहल के अंदर मोनी ने दो कब्रों की जगह भी छोड़ी हुई है, संभवत: अपने और अपनी पत्नी रजिया के लिए।
बंग्लार ताजमहल के चारों कोनों पर चार बड़ी-बड़ी मीनारें हैं। बीच में जो मुख्य इमारत है वह टाइल्स से भरी हुई है। इमारत के सामने पानी के फव्वारे हैं, फूलों का गार्डन है और पर्यटकों के लिए बैठने की जगह भी हैं। पास में ही राजमोनी फिल्म सिटी रेस्टोरेंटस हैं जिनमें अच्छा व स्वादिष्ट फूड मुझे खाने का अवसर मिला। बंग्लार ताजमहल की वजह से आसपास का क्षेत्र व्यापार के लिए अच्छा केन्द्र बन गया है। विभिन्न प्रकार के हेंडीक्राफ्टस, जामदानी साड़ी, आदि की दुकानें भी हैं। ‘भालोबशर ताज मोहोल’ (प्रेम का ताजमहल) शर्मीले प्रेमियों और परिवारों के लिए हॉटस्पॉट बन गया है। पर्यटक सेल्फी लेते हैं, सस्ते ताजमहल-संबंधी उत्पाद खरीदते हैं, जोकि चीन में बने हैं और बंगाली चाइनीज फूड का आनंद लेते हैं। इस जगह राजनीतिक, आध्यात्मिक या कलात्मक महत्वकांक्षा का तो अभाव है, लेकिन 150 टका के महंगे प्रवेश शुल्क के बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर