केजरीवाल...केजरीवाल...?

आजकल आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल की चर्चा गली-गली में है। अपने अस्तित्व को लोगों में उजागर करने के लिए उन्होंने स्वयं को कट्टर ईमानदार साबित करने का ऊंचे स्वर में नारा लगाया था। भारतीय तंत्र को उन्होंने बेहद बेईमान बताया था तथा सैकड़ों बार ‘सभी चोर हैं’ के शब्द कांग्रेस सहित अन्य कई बड़ी पार्टियों के बड़े-छोटे नेताओं के विरुद्ध उपयोग किये थे। यह अलग बात है कि बाद में कई पार्टियों के नेताओं की ओर से उनके बयानों को अदालत में चुनौती दिये जाने के कारण उन्हें लिखित रूप में माफी भी मांगनी पड़ी थी।  बेहद आश्चर्यजनक बात यह है कि पिछले दशक भर से भारतीय राजनीति में पाक-पवित्र बन कर सामने आया तथा दिल्ली का मुख्यमंत्री बना, यह व्यक्ति आज भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरा सलाखों के पीछे है। अभी तक भी उन पर लगे आरोपों पर विश्वास नहीं होता, परन्तु अब जिस तरह स्पष्ट रूप में शराब घोटाले के संबंध में तथ्य सामने आये हैं, उन्हें झुठलाया जाना भी बेहद कठिन प्रतीत होता है।  
उन पर ऐसे आरोप एकाएक या एक ही समय नहीं लगे, अपितु पिछले कई वर्ष से लगते आ रहे हैं। इन आरोपों के आधार पर ही उनके कई बड़े साथी एवं मंत्री सलाखों के पीछे हैं। देश की छोटी से लेकर बड़ी अदालतों की ओर से भी उन्हें अब तक किसी तरह की छूट नहीं दी गई। पंजाब में भी केजरीवाल के नाम पर दो वर्ष पहले उनकी ‘आम आदमी पार्टी’ को बड़ा समर्थन मिलने के बाद भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बनी थी। पहले कभी भी लोगों ने किसी अन्य पार्टी को इतना बड़ा समर्थन नहीं दिया था परन्तु दो वर्ष की अवधि में ही जिस तरह लोग इस पार्टी से निराश हो गए हैं, वह भी आश्चर्यजनक है। अब लगातार जिस तरह इस सरकार की परतें खुल रही हैं, वे बेहद परेशान करने वाली हैं। लोगों की आस-उम्मीदें जगा कर ईमानदार के नाम पर बनी यह सरकार आज बुरी तरह भ्रष्टाचार एवं अन्य अनेक विवादों में घिरी हुई है। इसके कई मंत्रियों एवं विधायकों के व्यवहार की भी कड़ी आलोचना हो रही है। 
भ्रष्टाचार के जो मुद्दे इस पार्टी ने चुनावों से पहले उठाये थे, आज वह स्वयं इनमें बुरी तरह फंसी दिखाई देती है तथा आश्चर्यजनक बात यह है कि पार्टी के संयोजक केजरीवाल फिर भी इस सरकार की खुल कर प्रशंसा करते रहे हैं तथा इसे केजरीवाल का पूरा समर्थन मिलता रहा है। आज देश में कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में विपक्षी दलों के लोकसभा चुनावों के लिए बने ‘इंडिया’ गठबंधन में आम आदमी पार्टी भी भागीदार है। केजरीवाल के पकड़े जाने पर दिल्ली में कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेता उनके समर्थन में आ गये हैं, परन्तु यही कांग्रेसी नेता अनेक बार तथा बार-बार केजरीवाल सरकार के काले चिट्ठे लोगों के समक्ष उजागर करते रहे हैं। शायद आज वे अनेकानेक बयान उन्होंने भुला दिये हैं जिनमें केजरीवाल तथा उनके साथी कांग्रेस एवं उनके नेताओं को भी भ्रष्टाचारी बता कर  उन पर निशाना साधते रहे हैं, परन्तु जब उन्होंने स्वयं को मुश्किल में घिरा महसूस किया तो उन्होंने बड़ा मोड़ लेते हुये कांग्रेसियों के साथ गठबंधन करने में देर नहीं लगाई, अपितु इस संबंध में ज्यादा तत्परता भी दिखाई। 
केजरीवाल एवं उनके साथियों का उभार 2011 में उस समय की कांग्रेस सरकार के विरुद्ध आन्दोलन में से हुआ था। उस समय के  वरिष्ठ गांधीवादी नेता अन्ना हज़ारे को आगे करके सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को नकेल डालने के लिए  इंडिया अगेंस्ट क्रप्शन संगठन ने लोकपाल बिल बनाने के लिए विरोध शुरू किया था, जो एक बड़ी लहर बन गया था। इस लहर में केजरीवाल ने अपने आधार को देखते हुए 26 नवम्बर, 2012 को एक राजनीतिक पार्टी बनाने की घोषणा की थी। इसका उनके गुरु अन्ना हज़ारे ने उस समय कड़ा विरोध किया था परन्तु केजरीवाल ने उनकी बात नहीं मानी थी। इसके बाद वह अपने साथियों को साथ लेकर राजनीति की सीढ़ियां चढ़ते रहे परन्तु यह बड़ी आश्चर्यजनक बात है कि राजनीतिक पार्टी शुरू करने के समय उनके सिद्धांतों को समर्पित एवं निकटवर्ती प्रतिबद्ध साथी समय-समय पर उनकी कार्यशैली से नाराज़ एवं निराश हो कर उन्हें अलविदा कहते रहे। इनमें प्रशांत भूषण, शांति भूषण, किरण बेदी, कुमार विश्वास, योगेन्द्र यादव, जस्टिस एन. सन्तोष हेगड़े आदि शामिल हैं। अब उनकी कार्यशैली के दृष्टिगत अन्ना हज़ारे ने भी यही कहा है कि केजरीवाल को उसके कर्मों का फल मिल रहा है। आम आदमी पार्टी का उभार दशक भर पहले ही हुआ था परन्तु आज वह अपने नेता सहित जिस सीमा तक अनेकानेक विवादों में घिरे दिखाई देती है, उससे इसका भविष्य बेहद धूमिल दिखाई देने लगा है। यह  बेहद चिन्ताजनक बात है कि एक बड़े भ्रष्टाचार-विरोधी आन्दोलन में से निकली इस पार्टी का भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरने के कारण ही ऐसा हश्र हुआ है।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द