आधी सदी पहले तथा आज का मालदीव

लक्षद्वीप द्वीपों के दक्षिण में धरती से टूटा हुआ समुद्र में डुबकियां लगाता एक छोटा-सा देश मावदीव आज-कल चर्चा में है। अधिक इसलिए कि इसके हाल में ही चुने गए राष्ट्रपति मुहम्मद मुइज्ज़ू ने भारत से नाता तोड़ कर चीन के साथ अपनी निकटता बढ़ा ली है। तुर्की से सुरक्षा ड्रोन खरीदना उसका नया पैंतरा है। सागर से केवल पौने आठ फुट ऊंचे इस देश के द्वीप सागर के 470 मील में फैले हुए हैं। कोई सामान से भरा समुद्री जहाज़ इन द्वीपों में से किसी एक से टकरा कर बेकार हो जाता है तो इसका माल-असबाब भी मालदीवियों का हो जाता है। 
इस देश की प्रमुख आय इसके द्वीपों की विचित्रता है जिसे देखने हेतु विश्व भर के यात्री आते हैं। 2021 से 2023 कर भारत से वहां जाने वालों की संख्या दो लाख प्रति वर्ष थी और चीनी यात्रियों की सिर्फ 54 हज़ार। 1976 के भारतीय यात्रियों में मैं तथा मेरी हमसफर भी शामिल थीं। वास्तव में मेरी पत्नी को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) ने वहां डाक्टरी सलाहकार के रूप में भेजा था और मैं पर्यटन के लिए साथ ही चला गया था। वहां जाकर पता चला कि तब तक वहां स्टेट बैंक आफ इंडिया की शाखा खुल चुकी थी। हमारे वहां से लौटने के बाद 1984 में वहां भारत-मालदीव मित्रता एसोसिएशन नामक एक संस्था भी अस्तित्व में आ चुकी थी, जिसके माध्यम से नाच-गाने, साहित्य, संस्कृति का आदान-प्रदान होता था। अब तो वहां शैक्षणिक संस्थाओं के अतिरिक्त 200 बिस्तर वाला इंदिरा गांधी मैमोरियल अस्पताल भी स्थापित हो चुका है। कोविड-19 के समय उन्हें टीके पहुंचाने वाला भी हमारा देश ही था। भारत के साथ संबंध बिगड़ने का कारण तो समझ नहीं आता परन्तु श्री नरेन्द्र मोदी के लक्षद्वीप दौरे के समय मालदीव के तीन उप-मंत्रियों ने भारत के प्रधानमंत्री के विरुद्ध टिप्पणियां की थीं। 
याद रहे कि यह छोटा तथा गरीब गणराज 98 प्रतिशत तक शिक्षित है और यहां का धर्म, झण्डा, विधान तथा जीवन-प्रणाली इस्लामिक है, परन्तु यहां पर्दे की कोई परम्परा नहीं। क्या बूढ़े तथा क्या लड़के-लड़कियां शाम को 6 बजे से रात 10 बजे तक सागर के किनारे चांदनी मार्ग पर सैर करते पैंट-स्कर्ट पहने मिलते हैं। यहां का मुख्य भोजन मछली, पपीता, केला तथा थोड़ा-बहुत नारियल भी है। उनकी आर्थिकता का मुख्य स्त्रोत भी यह मछली है या विदेशी यात्री। हमारे देश के साथ बिगाड़ नवम्बर 2023 को हुए वहां के सत्ता परिवर्तन से शुरू हुआ जब वहां की जनता चीन-पक्षीय राष्ट्रपति चुन लिया मुहम्मद मुइज्ज्ज़ू। उन्होंने  सत्ता संभालते ही भारत सरकार को कहा कि वह अपने द्वारा दिए गये हैलीकाप्टर 10 मार्च से पहले वापिस ले जाए। फिर 4 मार्च को उन्होंने यह बात भी कही कि उनका देश छोटा नहीं, सागर के नौ लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, 12 हजार टापुओं वाला अपनी देखभाल खुद कर सकता है।
चीन और तुर्की से सहायता लेने की जड़ें भी इसी में हैं। यह देश शत प्रतिशत इस्लामिक है। भारत के साथ विवाद की जड़ें मोदी सरकार के हिन्दुत्व एजेंडे में भी हो सकती हैं।
याद रहे कि यहां की फसलें नारियल, केला और पपीता है, जोकि समुद्र के किनारे प्राय: होते हैं। खाने के लिए मीठे। कहीं-कहीं संगतरा और कोई-कोई मक्की का टांडा भी पैदा हो जाता है। पीने के लिए पानी बारिश के समय मकानों की छतों पर जमा किया जाता है, जिसको बाद उतार कर पी लिया जाता है। बारिश की यहां कोई कमी नहीं।
1976 में यहां की पुलिस और सेना के पास डंडे से बड़ा कोई हथियार नहीं था। आने-जाने वाले यात्रियों को चेतावनी दी जाती थी कि मालदीव में दाखिल होने से पहले पक्का कर लें कि उनके पास कोई मूर्ति, हथियार, शराब, कुत्ता या अन्य जानवर न हो। हथियार वे रखते ही नहीं थे और जानवर वहां चूहे से बड़ा कोई नहीं मिलता था। यदि किसी मां-बाप और अध्यापक ने अपने बच्चे को यह समझाना होता कि हाथी कितना बड़ा होता है, तो वह चूहे को हज़ारों लाखों के साथ गुणा करके ही समझा सकता था।
जहां तक चलने फिरने वाले साधनों का संबंध है, हज़ारों रुपये महीना वेतन लेने वाले यू.एन.ओ. सलाहकारों को भी यहां बड़ी से बड़ी सवारी साइकिल ही मिलती थी जिसके पिछले मडगार्ड पर गवर्नमैंट ऑफ मालदीव लिखा होता था। मेरी बीवी साइकिल चलाना नहीं जानती थी लेकिन मैं निजी आवागमन के लिए उसके सरकारी साइकिल का प्रयोग नहीं कर सकता हैं। कानून इसकी आज्ञा नहीं देता था। मैंने अपने लिए साइकिल किराए पर ले लिया। मेरे साथ जो बीती, वह दिलचस्प है। एक दिन सूर्य छिपने के समय मुझे एक सिपाही ने एक मोड़ पर रोक लिया। यह कह कर कि मैंने लाईट नहीं जगाई। मैं साइकिल से उतरा और बत्ती जला ली। जब पुन: चलने लगा तो सिपाही ने फिर सीटी मार दी। मैं फिर उतर गया। उसने इशारा करके मुझे बताया कि मुझे गोल-चक्कर ऊपर से घूमकर आना चाहिए था। चक्कर छोटा, कुएं की गोलाई जितना। मैं अपनी गलती के लिए सॉरी बोल कर फिर साइकिल पर बैठ गया परन्तु सिपाही ने फिर सीटी बजा कर मुझे साइकिल से उतार लिया। गलती की माफी मांग लेना काफी नहीं था। जितनी देर तक मैं गोल चक्कर के ऊपर से होकर नहीं निकला, उसने मुझे चलने नहीं दिया। सिपाही यह भी जानता था कि मैं वहां का सबसे अधिक वेतन लेने वाली और इज्ज़तदार डाकटर का पति हूं, लेकिन वहां का कानून उसको यह आज्ञा नहीं देता था कि मेरे द्वारा किये गये कानून के उल्लंघन को वह दृष्टिविगत करता।
उस दिन से लेकर आजतक कोई 100 के करीब मालदीव के निवासी मुझे पिछले 45 वर्षों में दिल्ली से चंडीगढ़ आकर मिल चुके हैं। उन्हें हमारा कुछ महीने वहां रहना नहीं भुला और मुझे उनके सिपाही द्वारा गोल चक्कर की फेरी लगवाना। सार्क बैठकों के समय भारत, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, बर्मा और श्रीलंका के मंत्रियों और प्रधानमंत्रियों के साथ क्या होता होगा, इसे वे स्वयं ही बता सकते हैं।
अंतिका
—मिज़र्ा गालिब—
रात के वक्त मय पिये, 
साथ ऱकीब को लिये
आये वो यां ़खुदा करे, 
पर न करे ़खुदा कि यूं।