हिंदुओं को बौद्ध बनना है तो अनुमति लेनी होगी: गुजरात सरकार का सर्कुलर


अहमदाबाद, 13 अप्रैल - : एक सर्कुलर जारी करके गुजरात सरकार ने साफ किया है कि बौद्ध धर्म अलग है। यह हिंदू धर्म से अलग है। ऐसे में अलग कोई धर्म बदलता है तो उसे अनुमति लेनी होगी। गुजरात सरकार ने कहा है कि कोई भी व्यक्ति हिंदू धर्म से बौद्ध बनना चाहता है तो उसे गुजरात फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट, 2003 का पालन करना होगा। सरकार के अनुसार इस एक्ट इसका जिक्र है।
क्यों जारी किया सर्कुलर?
8 अप्रैल को जारी परिपत्र (सर्कुलर)में कहा गया है कि कानून और इसके तहत नियमों की जिला मजिस्ट्रेट कार्यालयों में मनमाने ढंग से व्याख्या की जा रही है और यह नोट किया गया है कि हिंदू धर्म से बौद्ध धर्म में परिवर्तन की अनुमति देने के मामले में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है। सर्कुलर में कहा गया है कि कभी-कभी आवेदकों के साथ-साथ स्वायत्त संगठन भी तर्क देते हैं कि इस तरह के धर्मांतरण के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है, कुछ मामलों में आवेदक अपने आवेदन में उल्लेख करते हैं कि चूंकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 (2) में सिख धर्म भी शामिल है। हिंदू धर्म में बौद्ध और जैन धर्म में धर्म परिवर्तन के लिए आवेदक को किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
मजिस्ट्रेट की अनुमति जरूरी
सर्कुलर में दोहराया गया कि बौद्ध धर्म को एक अलग धर्म माना जाना चाहिए और हिंदू धर्म से सिख धर्म, बौद्ध धर्म या जैन धर्म में परिवर्तित होने वाले किसी भी व्यक्ति को जिला मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति लेनी होगी। इसमें कहा गया है कि मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण की अनुमति मांगने वाले किसी भी आवेदन का जवाब देने से पहले समय-समय पर जारी कानूनी प्रावधानों और सरकारी निर्देशों पर विचार करना होगा। गुजरात धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 2003 में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति बल प्रयोग या प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से किसी भी व्यक्ति को सीधे या अन्यथा एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा और न ही कोई व्यक्ति ऐसा करने के लिए उकसाएगा।