आधुनिक युग में बढ़ गया है योग का महत्व 

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर विशेष
भारतीय धर्म और दर्शन में योग या योगा का अत्यधिक महत्व है। आध्यात्मिक उन्नति या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है। आधुनिक युग में योग का महत्व बढ़ गया है। इसके बढ़ने का कारण व्यस्तता और मन की व्यग्रता है। आधुनिक मनुष्य को आज योग की अधिक आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में मन और शरीर अत्यधिक तनाव, वायु प्रदूषण तथा भागम-भाग के जीवन से रोगग्रस्त हो गया है।
दरअसल योग भविष्य का धर्म और विज्ञान है। भविष्य में योग का महत्व बढ़ेगा। यौगिक क्रियाओं से वह सब कुछ बदला जा सकता है जो हमें प्रकृति ने दिया है और वह सब कुछ पाया जा सकता है जो हमें प्रकृति ने नहीं दिया है। 
योग 5000 वर्ष पुराना ज्ञान एंव गूढ़ विज्ञान है जिसे आज पूरी दुनिया ने माना है। यही वह विज्ञान या संस्कृति है जिसके कारण भारत को विश्व गुरु कहा जाता है। महर्षि पतंजलि ने योग को लिखित रूप दिया और योग सूत्र की रचना की जो आज हमारे लिए वरदान से कम नहीं है। यह तो सभी जानते हैं कि योग न सिर्फ शरीर को लचीला बनाता है, बल्कि योगा करने से शरीर को मज़बूती भी मिलती है। अगर आप सोच रहे हैं कि योग से आपको सिर्फ यही फायदा पहुंचता है तो आपको इसके बारे में दोबारा सोचना चाहिए। 
अमरीका की बोस्टन यूनिवर्सिटी द्वारा करवाई गए हालिया रिचर्स में पाया गया कि योग करने से ब्रेन का ‘गाबा कैमिकल’ का स्तर बढ़ जाता है जिससे ब्रेन को नर्व एक्टिविटी रेगुलेट करने में आसानी होती है। यह कैमिकल लोगों के मूड और एंग्जाइटी डिस्ऑर्डर के कारण कम होने लगता है। ऐसे में दवाएं लेने से बेहतर योग करना चाहिए जिससे तनाव भी दूर होगा और मूड भी सही रहता है।
भारत से योग लगभाग पूरे विश्व फैल चुका है और शायद ही कोई ऐसा देश होगा जिसने योग को नहीं अपनाया। यह योग का चमत्कार ही है कि 30 करोड़ की जनसंख्या वाले अमरीका में ही करीब 2 करोड़ से ज्यादा लोग योग करते हैं। योग की शक्ति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 21 जून को संयुक्त राष्ट्र योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा तो रिकॉर्ड 177 देशों ने न केवल इसका समर्थन किया, बल्कि वे इसके सह-प्रस्तावक भी बने। योग की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ है से हुई जिसका अर्थ है जोड़ना। योग शब्द के दो अर्थ हैं और दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। पहला है—जोड़ और दूसरा है समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ते, समाधि तक पहुंचना असंभव होगा। भारतीय योग जानकारों के अनुसार योग की उत्पत्ति भारत में लगभग 5000 वर्ष से भी अधिक समय पहले हुई थी। योग की सबसे आस्चर्यजनक खोज 1920 के शुरुआत में हुई। योग पर लिखा गया सर्वप्रथम सुव्यव्यवस्थित ग्रंथ है योगसूत्र। योगसूत्र को पतंजलि ने 200 ई. पूर्व लिखा था। 
इस ग्रंथ पर अब तक हज़ारों भाष्य लिखे गए हैं, लेकिन कुछ खास भाष्यों का यहां उल्लेख मिलता हैं। व्यास भाष्य: व्यास भाष्य का रचना काल 200-400 ईसा पूर्व का माना जाता है। महर्षि पतंजलि का ग्रंथ योग सूत्र योग की सभी विद्याओं का पूरी दुनिया में 21 जून को योग दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। हर तरफ  योग की चर्चा है, लेकिन महर्षि पतंजलि जिन्हें योग के प्रणेता के रुप में जाना जाता है, उनकी चर्चा कम ही होती दिख रही है। यही बात ध्यान रखते हुए महर्षि पतंजलि के बारे में रोचक बातें खोजने के लिए इतिहास के पन्नों को खंगालने की कोशिश की, ताकि इस 21 जून को जब योग अभ्यास किया जाए तो महर्षि पतंजलि को भी याद किया जाए। ऋषि पतंजलि का सीधा संबंध आयुर्वेद से हैं। ईसा पूर्व द्वितीय शताब्दी में संस्कृत व्यापकरण के महान ग्रंथ महाभाष्य के रचियता पतंजलि मूल रूप से काशी के निवासी थे, जिन्हें पाणिनि के बाद सर्वश्रेष्ठ व्यापकरण रचनाकार ऋषि माना गया। 
सीधा अर्थ यह है कि भाषा की शुद्धि के लिए व्यापकरण, मन की शुद्धि के लिए योग और शरीर की शुद्धि के लिए आयुर्वेद के साथ महर्षि पतंजलि का नाम जुड़ा है। इसलिए जहां पूरी दुनिया योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्सव के रुप में मनाने जा रही है। वहीं इसके जनक महर्षि पतंजलि को याद करना भी उतना ही आवश्यक है। 

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