पहले बजट से स्पष्ट हो जाएगी नई सरकार की नीति

मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने तीसरी पारी शुरू कर दी है। इस बीच नीट परीक्षा को लेकर वह हर तरफ से दबाव में दिख रही है। ऐसी स्थिति में जुलाई के तीसरे सप्ताह में आने वाला बजट केन्द्र, राज्य कर्मचारियों के लिए आशा की किरण दिख रहा है। केन्द्र एवं राज्य के कार्मिक लगातार पुरानी पेंशन, आठवे वेतन आयोग के गठन सहित कई मांगों को लगातार केन्द्र सरकार से उम्मीद कर रहे है। उघोगों से लेकर आम जनता की भी काफी आशाएं आगामी बजट से जुड़ी हुई है। आशा अनुरूप प्रदर्शन न कर पाने की कसक भी भाजपा नेतृत्व में समाहित है। आगामी कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी करीब है। ऐसे में मोदी सरकार की तीसरी पारी के पहले बजट में केन्द्र सरकार का रुख दिखाई देना तय है। निश्चित तौर पर यह कयास लगाए जा रहे हैं कि केन्द्र सरकार आगामी बजट में कड़े निर्णय लेने से परहेज़ करेगी। केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद अब केंद्रीय बजट की तैयारियां शुरू हो गई हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले दिनों बजट 2024-25 पर सुझाव लेने के लिए सभी राज्यों और विधानमंडल वाले केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों के साथ बजट पूर्व चर्चा कर चुकी है। जुलाई के तीसरे सप्ताह में केंद्रीय बजट पेश किया जा सकता है। ज्ञात हो कि लोकसभा चुनाव से पहले एक फरवरी 2024 को अंतरिम बजट पेश किया गया था। केंद्रीय कर्मचारी संगठनों ने भी वित्त मंत्री के समक्ष पुरानी पेंशन बहाली, आठवें वेतन आयोग का गठन, मेडिकल सुविधाओं की बेहतरी, स्टाफ  बेनिफिट फंड, रेस्टोरेशन कम्युटेशन ऑफ पेंशन, इनकम टैक्स स्लैब, होम लोन रिकवरी व रेलवे की क्षमता में वृद्धि आदि मांगें शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी बजट में टैक्स छूट देकर मिडिल क्लास को बड़ी राहत दे सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली नई सरकार आगामी बजट में खपत को बढ़ावा देने के लिए 50 हज़ार करोड़ रुपये (6 अरब डॉलर) से ज्यादा के उपायों पर विचार कर रही है। संभावित उपायों में कम कमाने वालों के लिए टैक्स की दरों में कटौती भी शामिल हो सकती है।
कुछ विशेषज्ञों के अनुसार वित्त मंत्रालय के अधिकारी उन करदाताओं के लिए टैक्स में कटौती पर विचार कर रहे हैं, जो सबसे ज्यादा खर्च करते हैं। मतलब बजट में उन लोगों को टैक्स पर फायदा दिया जा सकता है, जिनकी वार्षिक आय 5 से 10 लाख रुपये के बीच है। अभी इस इनकम ब्रैकेट में 5 से 20 फीसदी की दर से इनकम टैक्स लगता है। बजट में इन दरों को कुछ कम किया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि केंद्र सरकार की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जुलाई में पेश होने जा रहे पूर्ण बजट में नए टैक्स स्लैब का भी ऐलान कर सकती हैं. नया टैक्स स्लैब भी मिडिल क्लास फोकस करेगा। कुल मिलाकर ये कह सकते हैं कि अगर अनुमान और दावे सही साबित हुए तो आने वाला बजट मिडिल क्लास के लिए ऐतिहासिक बदलावों वाला साबित हो सकता है। कई उद्योग संगठन जैसे सीआईआई और फिक्की आदि भी सरकार और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से पर्सनल इनकम टैक्स में कटौती की मांग कर रहे हैं। इस साल लोकसभा चुनावों के कारण फरवरी में अंतरिम बजट पेश हुआ था। अब जुलाई के दूसरे या तीसरे सप्ताह में पूर्ण बजट आने की उम्मीद है। राज्यों के कर्मचारी शिक्षक संगठन पुरानी पेंशन बहाली, आठवे वेतन आयोग के गठन के साथ मौजूदा परिस्थितियों और महंगाई के दौर में वेतनमान, भत्ते और पेंशन लाभ का रिवाइज़ करने की मांग कर रहे हैं। इससे पहले कर्मचारी संगठन प्रधानमंत्री मोदी से लेकर डीओपीटी मंत्री के साथ पत्राचार कर चुके हैं। यही नहीं केन्द्र में लगभग 10 लाख और राज्यों में एक करोड़ से अधिक पद रिक्त बताए जा रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी संगठन लगातार आउटसोर्सिग को पूरी तरह बंद कर स्वीकृत पदों के सापेक्ष नियमित नियुक्तियों की मांग कर रहे है। यही नहीं हर तरफ विस्तार होने और संख्यावृद्वि के अनुसार अतिरिक्त पदों का सृजन और तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के नियमित कार्मिकों की भर्ती पर ज़ोर दिया जा रहा है। कर्मचारी संगठनों का दावा है कि नियमित और तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर भर्ती से सरकार की रोज़गार देने की मंशा भी पूरी होगी तथा उसका रोज़गार देने का वायदा पूरा होगा। 
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में नौकरियों पर ज़ोर रहने की उम्मीद है। इसके लिए प्रॉडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव योजना का विस्तार ऐसे सेक्टर्स में किया जा सकता है जिनमें लोगों को ज्यादा रोज़गार मिलता है। इनमें फर्नीचर, खिलौने, फुटवियर और टेक्सटाइल्स शामिल हैं। टेक्सटाइल्स में और ज्यादा सेगमेंट्स को इस योजना में शामिल किया जा सकता है। इसके साथ ही बजट में एमएसएमई सेक्टर, महिलाओं की आय का स्तर बढ़ाने और इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने पर ध्यान रह सकता है। इनमें से कई मुद्दे सरकार के 100 दिन के एजेंडे का भी हिस्सा हैं। मिडिल क्लास के लिए रियायत हाउसिंग लोन के लिए ब्याज दर सब्सिडी के रूप में दी जा सकती है। उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का और अधिक क्षेत्रों में विस्तार करने का प्रस्ताव कुछ समय से विचाराधीन है। इनमें विशेष रसायन भी शामिल हैं। इस सेक्टर में यूरोपीय कम्पनियां पीछे हट रही हैं। उनकी चिन्ता निवेश के आकार को लेकर है। विदेशी कम्पनियां इस मुद्दे पर सरकार से स्पष्टता चाहती हैं। सूक्षम, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) पैकेज का विवरण अभी तक तय नहीं हुआ है, लेकिन इसका उद्देश्य छोटी कम्पनियों को मज़बूत बनाना है। कृषि के बाद यह सेक्टर सबसे ज्यादा नौकरियां देने वाला क्षेत्र है। इसलिए बजट में इस पर खास ध्यान रहने की उम्मीद है। हाल में हुए लोकसभा चुनावों में रोज़गार का मुद्दा प्रमुखता से उठा और कई जानकारों का मानना है कि इस मामले में व्यापक असंतोष के कारण भाजपा बहुमत के आंकड़े से चूक गई। महिलाओं के लिए आय के स्तर को बढ़ाने और कार्यबल में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए भी कई सुझाव दिए गए हैं। कुल मिलाकर तीसरे कार्यकाल का पहला बजट सहयोगी दलों की गम्भीरता और सरकार की अगली रणनीति स्पष्ट करेगा।