इंटरनेट : मानव के लिए लाभदायक या हानिकारक ?

1990 में शुरु हुये वर्ल्ड वाइड वेब को इंटरनेट का नाम मिला। तभी से यह विवाद चल रहा है कि यह मनुष्य के लिए यह ज़रुरी एवं लाभकारी है या हानिकर है। अभी हाल में ही वैश्विक स्तर पर सम्पन्न 24 लाख लोगों पर किए गए एक 16 वर्षीय अध्ययन में पाया गया है कि इंटरनेट का उपयोग जीवन में संतुष्टि और उद्देश्य की भावना जैसे कल्याणकारी उपायों को प्लेटफार्म देता है। यह इस आम धारणा को चुनौती देने वाला अध्ययन है कि इंटरनेट का उपयोग मानव कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। 
जर्मनी में वुर्जबर्ग विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक मार्कस एप्पल की मानें तो डिजिटल मीडिया का उपयोग मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालने का एक महत्वपूर्ण उपाय है। इंटरनेट विरोधियों के इस दावे कि सोशल मीडिया, इंटरनेट और मोबाइल फोन का उपयोग वास्तव में हमारे समाज के लिये नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करता है, सही नहीं है और हमें इस नये अध्ययन को गंभीरता से देखने को आमंत्रित करता है। इंटरनेट के हानिकारक प्रभावों की चिंता आम तौर पर सोशल मीडिया के उपयोग से जुड़े व्यवहारों से संबंधित होती हैं, जैसे साइबर बुलिंग, सोशल मीडिया की लत आदि  लेकिन एप्पल का मानना है  कि अब तक के कई सर्वश्रेष्ठ अध्ययनों ने इंटरनेट के उपयोग के कुछ छोटे नकारात्मक प्रभाव ही देखे गये है। इससे कोई बड़ा हानिकारक प्रभाव नहीं है। 
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक शोधकर्ता एंड्रयू प्रिज़बिल्स्की ने 9 मई को एक पै्रस ब्रीफिंग में कहा कि भले ही इन्टरनेट वैश्विक हो चला है, अभी भी मानव समाज पर इसे लेकर गम्भीर अध्ययन का अभाव है। उन्होंने कहा कि 90 प्रतिशत से अधिक डेटा उन्हें मात्र मुट्ठी भर अंग्रेज़ी बोलने वाले देशों से आते हैं।  प्रिज़बिल्स्की और उनके सहयोगियों ने वाशिंगटन डीसी स्थित एनालिटिक्स कम्पनी गैलप द्वारा आयोजित गैलप वर्ल्ड पोल से इंटरनेट एक्सेस के आठ उपायों से संबंधित डेटा का विश्लेषण किया है। डेटा को 2006 से 2021 तक 168 देशों में 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के 1,000 लोगों से फोन या व्यक्तिगत साक्षात्कार के माध्यम से सालाना एकत्र किया गया था। शोधकर्ताओं ने उन कारकों को नियंत्रित किया जो इंटरनेट के उपयोग और कल्याण को प्रभावित कर सकते हैं, जिसमें आय स्तर, रोज़गार की स्थिति, शिक्षा का स्तर और स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं।
टीम ने पाया कि औसतन जिन लोगों के पास इंटरनेट तक पहुंच थी, उन्होंने जीवन की संतुष्टि, सकारात्मक अनुभवों और अपने सामाजिक जीवन से संतुष्टि के उपायों को अपनाने पर 8 प्रतिशत अधिक स्कोर किया, उन लोगों की तुलना में जिनके पास वेब तक पहुंच नहीं थी। ऑनलाइन गतिविधियां लोगों को नई चीज़ें सीखने और दोस्त बनाने में मदद कर सकती हैं और यह लाभकारी बदलावों में योगदान दे सकती हैं। हालांकि, 15-24 वर्ष की आयु की महिलाएं जिन्होंने अध्ययन के पिछले सप्ताह इंटरनेट का उपयोग करने की सूचना दी थी, औसतन वे जिस स्थान पर रहती हैं, उससे उन लोगों की तुलना में कम खुश थीं, जिन्होंने वेब का उपयोग नहीं किया था। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि जो लोग अपने समुदाय में स्वागत, सम्मान महसूस नहीं करते हैं, वे अधिक समय ऑनलाइन बिताते हैं, यह प्रिज़बिल्स्की ने कहा। उन्होंने कहा कि यह निर्धारित करने के लिए आगे के अध्ययनों की आवश्यकता है कि इंटरनेट के उपयोग और कल्याण के बीच संबंध का कोई ठोस कारण हैं या केवल एक जुड़ाव भर है।
यह अध्ययन ऐसे समय में आया है जब इंटरनेट और सोशल मीडिया के उपयोग के नियमन को लेकर खासकर युवाओं के बीच चर्चा हो रही है। वैसे टोबियास डिएनलिन, जो वियना विश्वविद्यालय में सामाजिक मीडिया कल्याण को कैसे प्रभावित करता है, इसका अध्ययन करते हैं।
वह कहते हैं, ‘संदर्भित अध्ययन हाल की बहस में योगदान नहीं दे सकता है कि सामाजिक मीडिया का उपयोग हानिकारक है या नहीं, या स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए या नहीं?’ जैसे सवालों के लिए यह अध्ययन जवाब देने के लिए नहीं किया गया था। (अदिति)