एक अच्छा संदेश

श्री नरेन्द्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। पिछले 10 साल के दौरान उनका ऑल इंडिया रेडियो पर निरंतर चलता मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ बहुत चर्चित रहा है। इसमें वह होने वाली छोटी-छोटी घटनाओं से लेकर अंतर्राष्ट्रीय विषयों तक को छूते रहे हैं। निरंतर उन बातों की ओर भी ध्यान दिलाते हैं, जो अकसर विस्मृत रहती हैं। उन्होंने अपने पिछले ‘मन की बात’ कार्यक्रमों में कई बार छोटे से छोटे हुनरमंदों की बात भी की थी, जो देश के अनेक लोगों के लिए उदाहरण पेश करते हैं और जिनके साथ स्थानीय स्तर पर रोज़गार की संभावनाएं बन जाती हैं। उनकी ऐसी सोच के कारण ही करोड़ों शौचालयों (टायलेटों/पाखानों)  का निर्माण हो सका, जिस के साथ देश की करोड़ों ही महिलाएं और सतही जीवन व्यतीत कर रहे ज़रूरतमंदों को बाहर खेतों में, सड़कों या रेल पटरियों के किनारों पर या अन्य खाली स्थानों पर पाखाना हेतु जाने से राहत मिली है। उन्होंने अपने ऐसे संबोधन में सार्वजनिक या अन्य स्थानों पर सफाई रखने के मुद्दों को भी प्राथमिकता दी है। शहरों में सार्वजनिक स्थानों पर शौचालयों की कमी होने के कारण लोगों को पेशाब आदि के लिए भी समुचित स्थान नहीं मिलता था। चाहे केन्द्र सरकार द्वारा ऐसी योजनाएं ज़रूर बनाई गईं किन्तु बहुत-सी प्रांतीय सरकारों की इन बातों के प्रति बेरुखी होने के कारण ये पूरी तरह सिरे नहीं चढ़ सकीं। जबकि सलीकापूर्ण जीवन जीने के लिए में इनकी अत्यन्त महत्ता मानी जानी चाहिए।
अपने तीसरे कार्यकाल को शुरू करते हुए उन्होंने इस प्रोग्राम को दोबारा शुरू करते हुए अपना 111वां भाषण दिया। इस में भी उन्होंने जहां चुनावों के दौरान चुनाव आयोग तथा मतदान प्रक्रिया से जुड़े प्रत्येक व्यक्ति को विश्व के इस सबसे बड़े लोकतांत्रिक पर्व की सफलता पर बधाई दी, वहीं यह भी कहा कि चुनावों में लोगों ने संविधान तथा लोकतंत्र में विश्वास दोहराया है। उन्होंने देश में घटित होती छोटी घटनाओं का भी ज़िक्र किया, जिनमें आदिवासियों द्वारा मनाए जाते ‘हूल दिवस’ का ज़िक्र था, जो 1855 में संथालियों द्वारा अंग्रेज़ों के खिलाफ लगाए गये सख्त मोर्चे की याद में मनाया जाता है। केरल की उस कारथुम्बी छतरी का भी ज़िक्र किया, जो आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाई जाती है और सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से बेची जाती है। इसके साथ ही उन्होंने लगभग 4 वर्ष पहले जापान की राजधानी टोक्यो में ओलम्पिक खेलों का ज़िक्र करते हुए उस समय के खिलाड़ियों के अच्छे प्रदर्शन की प्रशंसा करते हुए इसी वर्ष जुलाई-अगस्त में पैरिस में होने वाले ओलम्पिक खेलों के लिए तैयारी कर रहे एथलीटों तथा अन्य खिलाड़ियों को भी शुभकामनाएं देकर उनका उत्साह बढ़ाया।
इसके साथ ही विश्व भर में मनाए जा रहे विश्व चौगिरदा दिवस पर भारतवासियों को एक भावुक तथा अर्थ-भरपूर संदेश भी दिया और कहा कि सभी देशवासी एक-एक पौधा अपनी मां के नाम पर ज़रूर  लगाएं, जो आने वाले समय में पर्यावरण को हरियाली से भरपूर बनाने में सहायक हो सकेगा। परन्तु हमारा मानना है कि इसके साथ ही उनके द्वारा देशवासियों को पानी की हो रही गम्भीर समस्या की ओर भी ध्यान दिलाना चाहिए था और इस क्षेत्र में बनाई जा रही योजनाओं में देशवासियों की पूरी शमूलियत करवाने की बात भी करनी चाहिए थी। देश में हरियाली भी तभी कायम रह सकेगी, जब हम अपने उपलब्ध स्रोतों के माध्यम से मिल रहे पानी का सही तथा समुचित इस्तेमाल करेंगे। आज देश में पानी की सम्भाल तथा बेहद बढ़ रही आबादी के संबंध में सरकारों को बहुत गम्भीर योजनाबंदी करके चलने की ज़रूरत है ताकि देश के भविष्य की धड़कन को कायम रखा जा सके।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द