नई सरकार की पहुंच

लोकसभा चुनावों के उपरांत नई सरकार बनने के बाद राष्ट्रपति की ओर से संसद के पहले सांझे अधिवेशन को किए गए सम्बोधन में अक्सर नई सरकार की कार्यशैली तथा सरकार की भविष्य की नीतियों का वर्णन होता है। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एन.डी.ए. सरकार लगातार तीसरी बार बनी है। नरेन्द्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से निरन्तरता का एक और इतिहास सृजित किया गया है, परन्तु पिछले 10 वर्ष से यह सरकार इसलिए अलग ज़रूर दिखाई देती है, क्योंकि इसमें जहां भारतीय जनता पार्टी का बहुमत नहीं, वहीं सरकार चलाने के लिए उसे अपनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की भागीदार पार्टियों पर अधिक निर्भर रहना पड़ सकता है। 
दूसरी ओर इस बार कांग्रेस भी पहली दो पारियों से अधिक सीटें ले जाने के कारण हौसले में दिखाई देती है, तथा अपनी भागीदार पार्टियों के साथ उसका दोनों सदनों में अच्छा प्रभाव दिखाई देने लगा है। पिछले 10 वर्ष से लोकसभा में संख्या पूरी न होने के कारण किसी भी पार्टी के नेता को विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता नहीं मिली थी। इस बार राहुल गांधी को लोकसभा में विपक्ष के नेता के रूप में मान्यता दी गई है। इसलिए लोकसभा में उनके भाषण को दिलचस्पी के साथ सुना जाना स्वाभाविक था। राष्ट्रपति के भाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव पर सम्बोधित करते हुए उन्होंने कुछ सैद्धांतिक मुद्दे ज़रूर उठाए, जिनमें देश के भिन्न-भिन्न भागों में फैली हिंसा, अयोध्या के मामले के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर तथा मणिपुर के मुद्दे शामिल थे। इसके साथ ही उन्होंने पिछली सरकार के समय शुरू की गई अग्निवीर योजना की भी कड़ी आलोचना की। उन्होंने देश में बढ़ रही धार्मिक असहनशीलता की बात की तथा भाजपा पर आरोप लगाया कि वह अपनी नीतियों से देश में साम्प्रदायिकता फैला रही है, जिससे भिन्न-भिन्न समुदायों में ऩफरत पैदा हो रही है। उन्होंने बढ़ती हुई महंगाई का भी ज़िक्र किया परन्तु जिस ढंग से उन्होंने अपने इन विचारों को पेश किया, उससे जहां बड़े विवाद पैदा हुए, वहीं उनका भाषण भी अधिक प्रभावशाली सिद्ध न हो सका।
इस कारण ज्यादातर समय तक संसद एक प्रकार से अखाड़ा बनी दिखाई दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस का जवाब देते हुए जहां एन.डी.ए. सरकार की निरन्तरता एवं स्थिरता का ज़िक्र किया, वहीं उन्होंने विपक्षी दलों की ओर से लगाये जाते संविधान बदलने के आरोपों पर भी कड़ी प्रतिक्रिया प्रकट की तथा कहा कि उनकी सरकार संविधान की रक्षा करती रही है। इसीलिए देशवासियों ने उन्हें तीसरी बार सरकार बनाने का अवसर दिया है।
इसके साथ ही उन्होंने अपनी पहली सरकारों की उपलब्धियों का भी विस्तारपूर्वक ज़िक्र किया। उन्होंने मणिपुर तथा नीट के पेपरों के लीग होने के संबंध में भी अपना स्पष्टीकरण दिया तथा यह भी दावा किया कि आगामी समय में देश विश्व की तीसरी आर्थिकता बनने जा रहा है, परन्तु संसद के इस अधिवेशन से इसलिए निराशा ज़रूर होती है, क्योंकि सरकार तथा विपक्षी दलों का टकराव बेहद बढ़ता दिखाई दे रहा है, जिसका आगामी दिनों में भी प्रभाव देखने को मिलेगा। लोकतंत्र में विरोध होना स्वाभाविक है परन्तु इस मुहाज़ पर बना भारी टकराव देश के विकास में बड़े अवरोध पैदा कर सकता है। इस समय फैली ़गरीबी, बेरोज़गारी ऐसे मसले हैं, जिनके प्रति गम्भीर योजनाबंदी की ज़रूरत होगी। इस मुकाम पर सांझी सोच तथा सहयोग के साथ ही लोगों के उक्त मूलभूत मामलों को हल किया जा सकता है। ऐसे सहयोग के लिए पहल सरकार की ओर से ही की जानी चाहिए।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द