विश्व क्रिकेट में भारत की बादशाहत

एक, दो, तीन, और फिर चार...भारतीय क्रिकेट टीम ने चौथी बार, जीत लिया संसार। पहले 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम ने कप्तान कपिल देव के नेतृत्व में इंग्लैंड के लार्ड्स मैदान में उस समय की सर्वाधिक घातक मानी जाती टीम वैस्टइंडीज़ को करिश्माई ढंग से हरा कर पहला एक-दिवसीय विश्व कप जीता था। फिर निरन्तर 24 वर्ष के सूखे के बाद वर्ष 2007 में भारत ने महेन्द्र सिंह धोनी के नेतृत्व में दक्षिण अफ्रीका में खेले गये टी-20 विश्व कप मैच में पाकिस्तान को हराया था। तीसरा विश्व कप भी भारतीय क्रिकेट ने  सन् 2011 में इसी कप्तान के नेतृत्व में खेलते हुए, श्रीलंका टीम को हरा कर जीता था। ....और अब बारबाडोस में भारतीय क्रिकेट टीम ने 2024 के टी-20 विश्व कप आयोजन के प्राय: सभी मैचों में निरन्तर अविजित रह कर विश्व-कप जीत लिया है। भारत ने इस दौरान अपने हिस्से के सभी लीग मैचों और फिर सैमीफाइनल तक, न केवल अपने सबसे बड़े क्रिकेट प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हरा कर उसके दर्प को सातवीं बार चकनाचूर किया, अपितु आस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की टीमों को परास्त कर उनसे अपनी अतीत की पराजयों का बदला भी खूब चुकाया। इस बार की टी-20 विश्व कप प्रतियोगिता का आयोजन पहली बार  क्रिकेट सागर में उतरे अमरीका और वैस्टइंडीज़ ने मिल कर किया था, और पहली ही बार विश्व की 20 क्रिकेट टीमों ने इसमें पूरे दम-खम और सक्रियता के साथ भाग लिया। इन टीमों में विश्व की दस दिग्गज टीमों के अलावा आयरलैंड, कनाडा, स्कॉटलैंड, नेपाल, नीदरलैंड जैसी टीमें पहली बार किसी विश्व कप प्रतियोगिता के मंच पर उतरी थीं। ओमान, यूगांडा, पापुआ न्यूगिनी और नामीबिया जैसे कम विकसित देशों द्वारा अपनी टीमें भेजना इस बात का संकेत है कि बहुत शीघ्र क्रिकेट विश्व मानचित्र को अपने मैदानों में समेट लेगा। इतने बड़े स्तर पर आयोजित विश्व कप के सभी लीग मैच अमरीका की धरती पर नव-तैयार और अर्ध-विकसित मैदानों में हुए किन्तु सुपर आठ, सैमीफाइनल सुपर-4 और फिर अन्तत: फाइनल के मैच वैस्टइंडीज में खेले गये।
दो जून 2024 से शुरू हुए इस आयोजन में भारत का पहला मैच 5 जून को आयरलैंड के साथ हुआ था, किन्तु भारत की पहली खिताबी होड़ 8 जून को पाकिस्तान के साथ हुई थी। भारत ने इस मैच में अनेक उतार-चढ़ावों के बावजूद अपने चिर-प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान को हरा दिया था। अमरीकी पिचें इस पूरे आयोजन के दौरान सावन के बादलों जैसा अनिश्चित और अस्थिर व्यवहार करती रहीं। इस आयोजन में जहां एक ओर क्रिकेट इतिहास के फलक पर अनेक पुराने रिकार्ड ध्वस्त हुए, वहीं कई नये रिकार्ड भी बने। इस दौरान कई अद्भुत इतिहास भी बनते रहे। विश्व क्रिकेट के फलक पर एक मामूली- से नक्षत्र के रूप में उतरी अमरीकी टीम ने जहां पहली ही बार में दिग्गज देश पाकिस्तान को हरा कर अपने ध्वज को वैश्विक मंच पर फहराया, वहीं अफगानिस्तान ने आस्ट्रेलिया जैसी बड़ी टीम को परास्त करके सुपर-आठ मैदान से ही बाहर कर दिया। अफगानिस्तान टीम की इसी कर्मठता के कारण उसे जायंट किलर भी कहा जाता है। विश्व-श्रेणी के स्पिनर राशिद खान के नेतृत्व में अफगानिस्तान ने सैमीफाइनल के शिखर को छू कर क्रिकेट की दुनिया में एक नये इतिहास का सृजन कर दिया। यह भी एक संयोग बना कि इंग्लैंड जैसी बड़ी टीम को सुपर-8 से सैमीफाइनल में जाने के पथ पर नामीबिया जैसी पिद्दी जैसी टीम से जीत हासिल करने के लिए डकवर्थ लुइस नियमों के तहत 11 घंटे तक अनिर्णय की सूली पर लटके रहना पड़ा।
फाइनल मैच हेतु पांच-पांच टीमों के चार ग्रुपों में से भारत और दक्षिण अफ्रीका अपने हिस्से के सभी मैच जीत कर आमने-सामने थे। बेशक भारतीय टीम फाइनल जीतने हेतु सर्वाधिक मान्य थी किन्तु कप्तान रोहित और विकेटकीपर पंत के दूसरे ही ओवर में आऊट हो जाने से ़खतरे की तलवार की डोर बहुत नीचे तक आ गई थी। तथापि, विराट कोहली ने अपने बल्ले को इतना विराट रूप दिया, कि टीम ने 176 रन बोर्ड पर चस्पां कर दिये। जवाबी पारी खेलते हुए ग्यारहवें ओवर तक तो दक्षिण अफ्रीका ने भी भारतीय टीम और लगभग डेढ़ अरब भारतीयों की सांसें सूत कर रख दी थीं। एक अवसर ऐसा भी था जब द. अफ्रीका को 30 गेंदों में 30 दौड़ों की दरकार थी।  क्लासिक बल्लेबाज क्लासेन  (26 गेंदों पर 52 रन) भारतीय गेंदबाज़ों की धुनाई कर रहा था और टीम ने 4 विकेट पर 151 दौड़ें बना ली थीं। अन्तिम ओवर में द. अफ्रीका को जीत के लिए 16 दौड़ें चाहिएं थीं। पांड्या के ओवर की पहली गेंद पर सूर्यकुमार यादव ने सीमा-रेखा के आर-पार से उड़ते हुए एक ऐसे कैच को लपक लिया कि मानो भारतीय टीम ने पूरे मैच को अपनी पकड़ में ले लिया।  हार्दिक पांड्या ने अन्तिम ओवर में दो विकेट लेकर भारतीय क्रिकेट को चौथी बार विश्व-विजेता बना लिया।
नि:संदेह इस जीत की स्मृतियां विश्व क्रिकेट इतिहास के फलक पर जुगनू बन कर आगामी कई पीढ़ियों के लिए जगमगाती रहेंगी। बेशक इस फतेहयाबी में अर्शदीप सिंह, जसप्रीत बुमराह, अक्षर पटेल जैसों का योगदान भी प्रभावी रहा, किन्तु इस ट्राफी का हासिल पूरी टीम के कंधों पर सवार होकर ही नसीब हुआ है। टीम इंडिया के प्रत्येक सदस्य ने अपने-अपने मोर्चे पर सन्नद रह कर इस जीत हेतु अपनी अहम भूमिका निभाई। रोहित शर्मा और विराट कोहली ने टी-20 फार्मेट से बेशक संन्यास की घोषणा कर दी है किन्तु उनकी क्रिकेट महानता के लिए संन्यास हेतु इससे बढ़िया और कोई मौका नहीं हो सकता था। इस पूरे आयोजन के दौरान टीम के कोच राहुल द्रविड़ की भूमिका भी अग्रणीय रही। इस जीत के बाद पूरी भारतीय टीम प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के साथ, पूरे देश के लोगों और खासकर क्रिकेट-प्रेमियों के मुबारिकबाद की हकदार है।