मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, हर नेता भारतीय प्रवासियों की तारीफ करता है- पीएम मोदी

अमेरिका, 22 सितम्बर - न्यूयॉर्क के नासाऊ कोलिज़ियम में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "नमस्ते यूएस! अब हमारा नमस्ते भी ग्लोबल हो गया है। यह सब आपने किया है। आपका प्यार मेरा सौभाग्य है। मैं हमेशा से आपके सामर्थ्य को, भारतीय प्रवासियों के सामर्थ्य को समझता रहा हूं। जब मेरे पास कोई सरकारी पद नहीं था तब भी समझता था और आज भी समझता हूं। मेरे लिए, आप सभी भारत के सशक्त ब्रांड एंबेसडर रहे हैं। इसीलिए मैं आपको 'राष्ट्रदूत' कहता हूं। हम जहां जाते हैं वहां सबको परिवार मानकर उनसे घुल-मिल जाते हैं। हम उस देश के वासी हैं जहां सैकड़ों भाषाएं और सैकड़ों बोलियां हैं, दुनिया के सभी धर्म और आस्थाएं हैं और फिर भी हम एकजुट होकर आगे बढ़ रहे हैं। हम दूसरों का भला करके, त्याग करके सुख पाते हैं, हम किसी भी देश में रहें यह भावना नहीं बदलती है। हम जिस सोसाइटी में रहते हैं वहां ज्यादा से ज्यादा योगदान करते हैं।  भाषाएं अनेक हैं लेकिन भाव एक है, वह भाव है- 'भारतीयता'। दुनिया के साथ जुड़ने के लिए यह हमारी सबसे बड़ी ताकत है। यही मूल्य हमें सहज रूप से 'विश्वबंधु' बनाती है। दुनिया के लिए AI का मतलब है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लेकिन मैं मानता हूं कि AI का मतलब है- 'अमेरिकन-इंडियन'। अमेरिका-इंडिया यह जज़्बा है और वही दुनिया का AI पावर है। मैं दुनिया में जहां भी जाता हूं, हर नेता भारतीय प्रवासियों की तारीफ करता है। कल राष्ट्रपति बाइडेन मुझे अपने घर, डेलावेयर ले गए। उनकी आत्मीयता, गर्मजोशी मेरे लिए हृदय को छू लेने वाला क्षण था। वह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों का है, यह सम्मान आपका है, और यहां रहने वाले लाखों भारतीयों का है। मैं राष्ट्रपति बाइडेन और आप लोगों का आभारी हूं। 2024 का यह वर्ष पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। एक तरफ कुछ देशों के बीच संघर्ष और तनाव है, दूसरी तरफ कई देशों में लोकतंत्र का जश्न मनाया जा रहा है। लोकतंत्र के इस जश्न में भारत और अमेरिका एक साथ हैं। आपको एक शब्द 'पुष्प' याद रहेगा 'पुष्प', मैं इसे इस प्रकार परिभाषित करता हूं 'पी' से प्रगतिशील भारत, 'यू' से अजेय भारत, 'एस' से आध्यात्मिक भारत, 'एच' से मानवता प्रथम को समर्पित भारत और 'पी' से समृद्ध भारत। 'पुष्प' की सभी पांच पंखुड़ियां को मिलाकर ही हम विकसित भारत बनाएंगे। आजादी के आंदोलन में करोड़ो भारतीयों ने स्वराज के लिए अपना जीवन खपा दिया था, उन्होंने अपना हित नहीं देखा था। वे देश की आजादी के लिए सब कुछ भूलकर अंग्रेजों से लड़ने चल पड़े थे, उस सफर में किसी को फांसी का फंदा मिला, किसी को गोलियों से भून दिया गया, कोई यातनाएं सहते हुए जेल में ही गुजर गया। हम देश के लिए मर नहीं पाए लेकिन हम देश के लिए जरूर जी सकते हैं।