गम्भीर चुनौती बनते ड्रग्स के मामले
नशा जीवन के लिए तो घातक है ही यह राष्ट्र विकास में भी बाधक है। दिनोंदिन नए नए रूप में नशा परोसा जा रहा है। तंबाकू, बीड़ी, सिगरेट, भांग व शराब आदि से होते हुए नशे के मामले अब हेरोइन, कोकीन, मेथम्फेटामाइन और मार्फीन जैसे खतरनाक ड्रग्स की ओर बढ़ रहे हैं, यह चिंताजनक है। पिछले कुछ दिनों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ड्रग्स के कई बड़े मामले पकड़े जा चुके हैं। हाल ही में गुजरात से 5000 करोड़ की व दिल्ली के वसंत कुंज नामक क्षेत्र से लगभग 5600 करोड़ रुपए की 500 किलोग्राम कोकीन पकड़ी गई, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय ड्रग्स तस्करों की सक्रियता मिली है। इस मामले में पकड़े गए लोगों के द्वारा जानकारी मिलने पर अमृतसर से भी 10 करोड़ की कोकीन बरामद की गई है। कुछ दिन पहले ही वसंत कुंज से ही गुजरात एटीएस द्वारा 20 करोड़ की चार किलोग्राम ड्रग्स के साथ अफगानी युवक को गिरफ्तार किया गया। कुछ दिन पहले ही नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और गुजरात एटीएस ने मध्य प्रदेश भोपाल के बगरोदा औद्योगिक क्षेत्र में बंद पड़ी फैक्टरी में मादक ड्रग्स मेफेड्रोन बनाने का कारखाना पकड़ा है। छापे में 907 किलो मेफेड्रोन ड्रग्स ठोस और तरल रूप में मिली है जिसकी कीमत लगभग 1814 करोड़ रुपए है। छत्तीसगढ़ में जशपुर ज़िले के तपकरा थाना क्षेत्र में भी 26 किलो गांजा सहित लुधियाना के पांच तस्करों को गिरफ्तार किया गया है।
आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2021 में गुजरात के समुद्र तटीय क्षेत्र से 21 हजार करोड़ की ड्रग्स पकड़ी गई थी। फरवरी 2022 में भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने संयुक्त अभियान में 221 किलोग्राम मेथम्फेटामाइन पकड़ी। वहीं अक्तूबर 2022 में केरल के समुद्र तटीय क्षेत्र से 200 किलोग्राम हाई ग्रेड हेरोइन पकड़ी गई। गुजरात के कच्छ, जामनगर, सौराष्ट्र आदि क्षेत्र समुद्र तटीय हैं। वर्ष 2023 में भी कच्छ के समुद्र तटीय क्षेत्र से 80 किलोग्राम कोकीन पकड़ी गई। फरवरी 2024 में भारतीय नौसेना और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने गुजरात के समुद्र तटीय क्षेत्र से 3089 किलोग्राम चरस, 158 किलोग्राम मेथम्फेटामाइन और 25 किलोग्राम मार्फीन पकड़ी। इसके अतिरिक्त पंजाब ड्रग्स का प्रमुख केंद्र बन चुका है, हिमाचल व जम्मू क्षेत्र में भी सीमापार से ड्रग्स तस्करी के अनेक मामले सामने आ रहे हैं। ये कुछ ऐसे मामले हैं जो सामने आए हैं और जिनमें व्यापक स्तर पर अभियान छेड़ते हुए धरपकड़ की गई है लेकिन इससे यह भी अनुमान होता है कि देश में व्यापक स्तर पर ड्रग्स का कारोबार चल रहा है। जिस प्रकार विभिन्न मामलों मंश अलग-अलग प्रदेशों व देशों के लोगों की संलिप्तता उजागर हो रही है, उससे यह भी स्पष्ट होता है कि यह एक संगठित और व्यापक कारोबार बन चुका है। ध्यातव्य है कि किसी भी प्रकार का नशा जहां एक ओर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य अथवा जीवन के लिए घातक है वहीं समाज और राष्ट्र के विकास में भी बाधक है। नागरिक किसी भी समाज एवं राष्ट्र की अमूल्य निधि एवं उसके विकास की मूल कड़ी होते हैं। यदि यह नागरिक ही नशे अथवा ड्रग्स की चपेट में आ जाएंगे तो फिर राष्ट्र विकास कैसे संभव है? जुलाई 2022 को लोकसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री द्वारा वर्ष 2016 से 2020 के बीच देश में नकली शराब पीने से मरने वालों का आंकड़ा 6172 बताया गया था। वर्ष 2021 में जहरीली शराब से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश, पंजाब और मध्य प्रदेश में हुई थी। नशे से होने वाली मौतों का यह आंकड़ा प्रतिवर्ष बढ़ता ही जा रहा है।
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय तस्कर लगभग 60 से 70 प्रतिशत ड्रग्स समुद्री मार्ग से भारत में पहुंचा रहे हैं। यद्यपि गृह मंत्रालय प्रत्येक मोर्चे पर ड्रग्स तस्करों के नेटवर्क को ध्वस्त करने की रणनीति पर तेजी से काम कर रहा है तथापि ड्रग्स तस्करी के मामले गंभीर चुनौती बनते जा रहे हैं। प्रतिवर्ष उच्चस्तरीय ड्रग्स निवारण समिति द्वारा हजारों करोड़ रुपए की ड्रग्स नष्ट की जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनेक बार युवा भारत की बात कहते हैं। ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर युवा भारत को ड्रग्स के जरिए खोखला करने का भी प्रयास हो रहा है। ड्रग्स तस्कर मोटी कमाई के लिए छात्रों और युवा वर्ग को नशे की दलदल में धकेल रहे हैं। विगत दिनों छपे एक समाचार के अनुसार ये तस्कर उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश व देश के अन्य विश्वविद्यालयों में ड्रग्स खपा रहे हैं। यहां यह भी समझने की आवश्यकता है कि देश के विद्यालय और महाविद्यालय युवाओं के शिक्षा और विभिन्न गतिविधियों के केन्द्र हैं। उनके आसपास नशे और ड्रग्स की खपत होना देश के विकास की राह में बड़ी बाधा बन सकती है। ड्रग्स पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में कुल अफीम उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत अफगानिस्तान में होता है। इससे ही प्रक्रिया स्वरूप हेरोइन समेत अनेक नशीले पदार्थ तैयार किए जाते हैं। क्या आज यह आवश्यक नहीं है कि ड्रग्स तस्करी पर निर्णायक लड़ाई के लिए नीति बनाकर अंतर्राष्ट्रीय समन्वय करते हुए कठोर कार्रवाई की जाए।
चिंताजनक यह भी है कि आज नशे की गिरफ्त में केवल युवा अथवा पुरुष ही नहीं हैं अपितु महिलाएं और छोटे-छोटे अबोध बालक भी इस लत के शिकार होने के साथ-साथ इस कारोबार में झोंके जा रहे हैं। नशे के कारोबार से तस्करों को खूब धन मिलता है और राजनीतिक संरक्षण भी मिल रहा है लेकिन आज एक राष्ट्र के रूप में यह समझने की आवश्यकता है कि पूरे देश में महामारी की तरह फैलते ड्रग्स के मामले युवा भारत और विकसित भारत के संकल्प में बड़ी बाधा हैं। आज यह भी आवश्यक है कि इन विषयों पर समाज और शिक्षण संस्थानों में व्यापक चर्चा हो। जन-जन को जागरूक किया जाए। भारतीय दंड संहिता में ड्रग्स के मामलों में पकड़े जाने पर कठिन और त्वरित दंड के प्रविधान किए जाएं। ड्रग्स जीवन के साथ-साथ राष्ट्र की सुरक्षा और विकास के लिए भी बड़ा खतरा हैं तो ड्रग्स तस्करी के लिए मृत्युदंड का प्रावधान क्यों नहीं होना चाहिए?