बेहद दु:खद त्रासदी
प्रयागराज (इलाहाबाद) में चल रहे महाकुंभ के धार्मिक आयोजनों में बुधवार की सुबह को जो बेहद दु:खद एवं भयावह घटना घटित हुई है, उसने माहौल को बेहद शोकमय बना दिया है। पिछले कुछ महीनों से प्रयागराज (इलाहाबाद) के महाकुंभ के आयोजन की व्यापक चर्चा होती रही है। यह भी प्रचार होता रहा है कि इसमें करोड़ों व्यक्तियों के पहुंचने की सम्भावना है, इसके लिए उत्तर प्रदेश के प्रशासन द्वारा व्यापक स्तर पर प्रबन्ध भी किये गये थे परन्तु इनके होते हुए भी संगम क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना घटित हो गई। बुधवार तड़के मौनी अमावस्या पर इस संगम पर स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं के सैलाब के कारण भीड़ बेकाबू हो गई, जिसे अचानक सम्भाल पाना प्रशासन के लिए बेहद कठिन हो गया। संगम के निकट पहले ही बैठे या सौ रहे बड़ी संख्या में लोगों को इस भीड़ ने कुचल दिया, जिस कारण अब तक 30 लोगों की मौत और लगभग 90 लोगों के घायल होने के समाचार प्राप्त हुए हैं। बुधवार तड़के यह हादसा घटित होने के बाद सकते में आये प्रशासन, ने इस बेहद भयावह घटनाक्रम में हुई मौतों को पहले तो पूरी तरह छिपाने का यत्न किया, परन्तु सायं होने तक जब यह सब कुछ स्पष्ट रूप में सामने आ गया, तो उसे भी इसकी पुष्टि करनी पड़ी। विपक्षी दलों ने इसे सरकार की अव्यवस्था करार देते हुए कहा कि इस दु:खांत को और अधिक योग्य प्रबन्धों से रोका जा सकता था।
प्रदेश की योगी सरकार ने इस घटनाक्रम को बेहद गम्भीरता से लेते हुए न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं तथा पीड़ित परिवारों को 25 लाख प्रति व्यक्ति सहायता देने की भी घोषणा की है। देश भर में इस दु:खद घटना पर गहरा शोक प्रकट किया जा रहा है। हम समझते हैं कि संबंधित प्रशासन को इतने विशाल धार्मिक आयोजन के लिए और भी अधिक कड़े प्रबन्ध करने चाहिए थे। इसलिए भी क्योंकि इस तरह की यह पहली घटना नहीं है। पिछले अनेक दशकों से इस तरह की घटनाएं घटित होती रही हैं। इससे भी भयावह घटना वर्ष 1954 में घटित हुई थी, जब 3 फरवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में भारी संख्या में इकट्ठा हुए श्रद्धालुओं में भगदड़ मचने से लगभग 800 श्रद्धालु मारे गए थे। 1986 में भी हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान ऐसी ही भगदड़ में 200 लोगों की मौत हो गई थी। पिछले वर्ष जुलाई महीने में उत्तर प्रदेश के ही हाथरस में एक धार्मिक सत्संग में भगदड़ मचने से 100 लोगों की मौत हो गई थी।
अब तक घटित हो चुकी ऐसी अनेक घटनाओं की सूची बहुत लम्बी है, जिसे देखते हुए प्रबन्धकों को सबक सीखने की ज़रूरत थी। 12 वर्ष पहले प्रयागराज में ही भारी संख्या में एकत्रित हुए श्रद्धालुओं में रेलवे स्टेशन पर भगदड़ मचने से 42 व्यक्तियों की मौत हो गई थी। अभी इस महाकुंभ के आयोजन 26 फरवरी तक होने हैं, जिस दौरान तीन और शाही स्नान भी किए जाएंगे। इस भयावह घटना से सबक लेते हुए संबंधित प्रशासन की ओर से इस तरह के कड़े प्रबन्ध किए जाने की ज़रूरत है कि किसी भी स्थान पर भारी भीड़ एकत्रित न हो सके। लोगों को समुचित योजनाबंदी से अनुशासन में रखा जाना भी बेहद ज़रूरी है। हमारा यह भी मानना है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना से किसी भी पक्ष को राजनीतिक लाभ लेने के उद्देश्य से बयानबाज़ी करने से बचने की ज़रूरत होगी।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द