नशे के विरुद्ध जंग

पंजाब सरकार द्वारा एक बार फिर नशों के विरुद्ध जंग छेड़ दी गई है। कुछ दिन पहले इस संबंधी मंत्रियों की एक पांच सदस्यीय कमेटी के गठन का भी ऐलान किया गया था, जिसमें अमन अरोड़ा, हरपाल सिंह चीमा, बलबीर सिंह, लालजीत सिंह भुल्लर और तरुणप्रीत सिंह सोंद शामिल थे। इस बेहद गम्भीर मामले को लेकर एक बार फिर एक चुनौती के साथ सरकार इस लाहनत को खत्म करने के लिए दृढ़ दिखाई दे रही है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि पिछले तीन सालों में अनेक दावों और उठाए गये सख्त कदमों के बावजूद प्रशासन इस पर प्रभावशाली ढंग से काबू नहीं पा सका था। 
जहां तक ‘आप’ सरकार का सवाल है आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने तीन साल पहले जब पंजाब सरकार ने शपथ भी नहीं ली थी, साल 2022 के विधानसभा चुनावों के समय यह ऐलान किया था कि उनकी सरकार आने पर कुछ माह में ही फैले इस नशे के प्रचलन को खत्म कर दिया जाएगा। पिछले 3 साल के समय में भी कई बार ऐसे ऐलान किये गये थे, जिनके अधीन अनेक बड़े-छोटे कदम ज़रूर उठाए गये, परन्तु वह इस समस्या का समाधान नहीं कर सके। विगत लोकसभा चुनावों में भी प्रदेश सरकार की इस बात पर बड़ी आलोचना हुई थी कि वह बार-बार आरम्भ की गई इस मुहिम में सफल नहीं हो सकी थी। इस समय दौरान इस प्रचलन के बढ़ते जाने की और नशों से ग्रस्त लोगों, खासतौर पर नौजवानों की लगातार होती दु:खद मौतों की सूचनाएं मिलती रहीं। अभिभावक, इलाका निवासी और पंजाब के लोग बेबस होकर इस दु:खांत को देखते और झेलते रहे। 3 साल के समय के बाद एक बार फिर पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल के पुन: ज़ोर देने पर पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा बड़ा कदम उठाया गया है। अब इस कार्रवाई को शुरू किए कुछ दिन बीत गये हैं। इस समय के दौरान सैकड़ों नशा तस्करों को नज़रबंद किया गया है और दर्जनों ही पुलिस रिपोर्टें दर्ज की गई हैं। पुलिस के दावों के अनुसार जिस प्रकार के नशीले पदार्थ इन कार्रवाईयों में पकड़े गये हैं, वह बेहद घातक हैं। इन नशों का सेवन शरीर को पूरी तरह खोखला एवं खत्म कर देता है। भारी मात्रा में पकड़े गए इन नशों में हैरोइन, गांजा, अफीम, अनेक प्रकार की गोलियां एवं टीके शामिल हैं। पिछले दिनों ही पुलिस ने एक बेहद घातक नशे ‘आइस’ की बड़ी खेप पकड़ी है। अमृतसर हवाई अड्डे पर भी थाईलैंड से आए एक यात्री से लगभग 19 किलोग्राम गांजा तथा 2 किलो सिंथैटिक नशा पकड़ा गया है। इस प्रकार लगभग 403 नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। सोमवार शाम तक पुलिस ने उनसे भारी मात्रा में हैरोइन, गांजा तथा अन्य सिंथैटिक नशा बरामद किया है। नशे का यह प्रचलन नया नहीं है। विगत कई दशकों से पंजाब इसका प्रत्येक पक्ष से लगातार संताप झेल रहा है। स. प्रकाश सिंह बादल के नेतृत्व वाली अकाली-भाजपा सरकार के समय भी यह मुद्दा गर्माता रहा था। 10 वर्षों में इसे नकेल डालने के लिए बड़े यत्न भी किए गए, परन्तु इसे खत्म नहीं किया जा सका। 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने भरी सभा में इस बुराई को खत्म करने की शपथ ली थी और कहा था कि सरकार बनने पर वह एक माह के भीतर पंजाब में इस बुराई को खत्म कर देंगे। अपने बड़े यत्नों के बावजूद वह इसमें सफल नहीं हुए। मौजूदा सरकार द्वारा अब आरम्भ किए गए इन यत्नों को बड़ी उम्मीद से देखा जा रहा है। यदि अपनी इस कार्रवाई में सरकार सफल होती है तो यह उसकी बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी। 
हम समझते हैं कि फैले इस गम्भीर प्रचलन के सतही प्रभावों को तो एक बड़ी सीमा तक खत्म किया जा सकता है, परन्तु इससे जुड़े अनेक कारणों को दूर करने के लिए लगातार सख्त क्रियान्वयनों एवं योजनाबंदी की ज़रूरत होगी। इस गम्भीर समस्या का एक पक्ष यह भी है कि पड़ोसी देशों अ़फगानिस्तान तथा पकिस्तान से भारी मात्रा में तरह-तरह के नशे की खेपे भारत भेजी जाती हैं। एकाएक अमीर बनने की इच्छा से कुछ लोगों द्वारा पंजाब सहित देश भर में एक पूरा नशा-तंत्र खड़ा किया गया है, जो आगे छोटी इकाइयों से भी जुड़ा हुआ है, जिन्हें लगातार इस नशे को भेजा जाता है। तस्कर प्रत्येक गांव, गली या मुहल्ले तक इसे पहुंचाने में सफल होते हैं। इसलिए समाज को भी पूरी तरह जागरूक करने की ज़रूरत होगी। नि:संदेह बड़ी एवं प्रभावशाली कार्रवाइयां समय-समय पर इस प्रचलन को कम करने में तो सहायक हो सकती हैं, परन्तु इसके राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्येक तरह के बड़े गठजोड़ को भी तोड़ने की आवश्यकता होगी। 


—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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