क्या रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध विराम के प्रयास सफल होंगे ?

गत वर्ष 6 अगस्त को यूक्रेन ने पश्चिम रूस के कुर्स्क क्षेत्र जो उसके सूमी क्षेत्र की सीमा से लगा हुआ है, में ज़बरदस्त हमला किया था और 1.376 वर्ग कि.मी. व लगभग 100 शहरों-गांवों पर कब्ज़ा कर लिया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद पहली बार किसी देश की सेना रूस की ज़मीन पर घुसी व काबिज़ हुई थी। हालांकि रूस ने भी यूक्रेन के लगभग पांचवें हिस्से पर कब्ज़ा किया हुआ है, लेकिन यह बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शर्मसार करने वाली थी, विशेषकर इसलिए कि उन्होंने खुद को उन रूसी शासकों की ऐतिहासिक परम्परा में शामिल किया हुआ है, जो सैन्य तौर पर अत्यधिक सफल हुए थे। बहरहाल, पिछले साल अक्तूबर में रूसी सेना का साथ देने के लिए उत्तर कोरिया की सेना भी कुर्स्क में आ गई और तब से युद्ध में रूस का पलड़ा भारी होता गया और उसने सुद्ज्हा (कीव के कब्ज़े में उसका जो सबसे बड़ा क्षेत्र था)  सहित अपना लगभग 90 प्रतिशत क्षेत्र वापिस ले लिया है, लेकिन 10 प्रतिशत पर अभी भी यूक्रेन का कब्ज़है।  
अब अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प के बयान से ऐसा प्रतीत होता है कि पश्चिमी कुर्स्क में रूस व उत्तर कोरिया के सैनिकों ने यूक्रेन के सैनिकों को घेर लिया है। ट्रम्प ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा, ‘मैंने राष्ट्रपति पुतिन से सख्ती से आग्रह किया है कि वह उननी (हज़ारों यूक्रेनी सैनिकों) की ज़िंदगी बख्श दें। यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे अधिक भयावह कत्लेआम होगा।’ इस पर पुतिन का जवाब था कि वह अपने पश्चिम कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन के सैनिकों की जान बख्श देंगे अगर कीव अपने सैनिकों को उन्हें आत्मसमर्पण का आदेश दे तो। दूसरी ओर यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर ज़ेलेंस्की ने अपने सैनिकों की स्थिति को ‘अति कठिन’ अवश्य बताया है, लेकिन इस बात से इंकार किया है कि कुर्स्क में उनके सैनिकों को घेर लिया गया है। उन्होंने रूस के दावे को झूठ व मनगड़ंत बताया है। इस बीच यूक्रेन ने तीन वर्ष के युद्ध में अब तक का अपना सबसे बड़ा हमला किया, लेकिन उसके 337 ड्रोनों को रूस की एयरफोर्स ने मार गिराया। इसके बाद क्रेमलिन ने अपने पड़ोसी पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण करने का आदेश दिया है। 
कीव के पास रूस के साथ सौदेबाज़ी करने के जो चंद पहलू हैं, उनमें से प्रमुख कुर्स्क पर उसका कब्ज़ा ही है। अगर यूक्रेन कुर्स्क पर अपना नियन्त्रण खो बैठता है तो क्या होगा? यूक्रेन अपने क्षेत्र, मनोबल और सौदेबाज़ी करने की क्षमता को खो बैठेगा। महीनों के भीषण युद्ध के बाद कुर्स्क से निकलने पर ज़ेलेंस्की अतिरिक्त कमज़ोर हो जायेंगे जबकि 28 फरवरी, 2025 को ट्रम्प के साथ असफल वार्ता के बाद वह पहले से ही दबाव में हैं। इस पृष्ठभूमि में शांति योजना के उस प्रस्ताव को देखना आवश्यक है, जिसे अमरीका चाहता है कि क्रेमलिन बिना शर्त के स्वीकार कर ले। गौरतलब है कि 11 मार्च, 2025 को जेद्दाह, सऊदी अरब में अमरीका व यूक्रेन के वार्ताकारों के बीच 8 घंटों से भी अधिक बातचीत हुई। इसके बाद दोनों देशों ने अपने शांति प्रस्ताव के संदर्भ में संयुक्त वक्तव्य जारी किया। अमरीका का कहना है कि अब इस सिलसिले में गेंद मास्को के पाले में है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यूक्रेन ‘तुरंत प्रभाव से 30 दिन के अंतरिम युद्ध विराम के लिए तैयार है’ जिसे संबंधित पार्टियों की आपसी सहमति से आगे भी बढ़ाया जा सकता है। अमरीका ने यूक्रेन पर जो सुरक्षा सहयोग व इंटेलिजेंस साझा करने पर रोक लगायी थी, उसे वापिस ले लिया गया है।
पिछले तीन वर्षों से पुतिन यह प्रचारित करते आ रहे हैं कि यूक्रेन युद्ध को कीव व उसके पश्चिमी सहयोगियों ने उकसाया है। इसी को आधार बनाकर उन्होंने ‘रुसकीय मीर’ (रूसी प्रभाव के यूक्रेन क्षेत्रों) को वापिस लेने का राष्ट्रवादी दृष्टिकोण पेश किया। ज़ाहिर है कि यूक्रेन को पराजित किये बिना मास्को का यह प्रोजेक्ट अधूरा रहेगा। इस समय अगर युद्ध विराम कर लिया जाता है तो रूस जंग में अपना वेग खो बैठेगा, जबकि इस समय वह बढ़त बनाये हुए है। दूसरी ओर रूस अगर युद्ध विराम के प्रस्ताव को एकदम से नकार देता तो यूक्रेन सही साबित हो जाता कि मास्को की शांति में दिलचस्पी नहीं है और रूस-अमरीका के संबंध सामान्य करने के जो प्रयास जारी हैं, वे प्रयास भी पटरी से उतर जायेंगे। शायद इसलिए पुतिन ने बीच का रास्ता अपनाते हुए कहा कि वह 30 दिन के युद्ध विराम को स्वीकार करने के लिए सहमत हैं, लेकिन अनेक ‘प्रश्नों’ का समाधान अभी शेष है। पुतिन मुख्यत: यह जानना चाहते हैं कि कुर्स्क पर जो यूक्रेन सैनिकों का कब्ज़ा है, उसका क्या होगा और क्या 30 दिन के युद्ध विराम के दौरान कीव को हथियार दिए जायेंगे? पुतिन  का यह भी सवाल है कि शांति योजना की निगरानी कैसे की जायेगी और उसे कैसे लागू किया जायेगा? ट्रम्प ने कहा है कि वह पुतिन से टेलीफोन पर बात करेंगे।
बहरहाल, पुतिन के बयानों से स्पष्ट होता है कि मास्को शांति स्थापित करने की जल्दी में नहीं है। पुतिन के मुख्य सलाहकार यूरी उषाकोव का कहना है कि रूस अस्थायी युद्ध विराम की बजाय दीर्घकालीन शांति समझौते को प्राथमिकता देगा। तो क्या ट्रम्प ने पुतिन  के धोखे को ज़ाहिर कर दिया है? पुतिन या तो अंतरिम युद्ध विराम के प्रस्ताव को स्वीकार करें या पूरी दुनिया के समक्ष पुष्टि करें कि रूस का सैन्य आक्रमण हमेशा से साम्राज्य इच्छा से प्रेरित था। ट्रम्प ने धमकी भी दी है कि अगर पुतिन ‘न’ कहते हैं तो वह यूक्रेन का समर्थन जारी रखेंगे। रूसी प्रशासन में अधिकतर की राय यह है कि युद्ध विराम का प्रस्ताव जाल है और इस समय उसे स्वीकार करने का अर्थ होगा कि यूक्रेन को रिकवर और हथियारों से लैस होने का अवसर प्रदान करना। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि रूस युद्ध विराम को इस शर्त पर स्वीकार करे कि उस पर से पाबंदियां हटायी जायें या यूक्रेन के चार क्षेत्रों (जो अभी मास्को के पूर्ण नियन्त्रण में नहीं हैं) को क्रीमिया के साथ रूसी क्षेत्रों के तौर पर मान्यता दी जाये। रूस में युद्ध का समर्थन करने वाली आवाज़, जो पुतिन का मुख्य राजनीतिक आधार हैं, ने युद्ध विराम को सीधे तौर पर ठुकरा दिया है। पुतिन ने स्वयं युद्ध विधवाओं से कहा है कि मास्को का इरादा रुकने का नहीं है। इसलिए अनुमान यही है कि भले ही पुतिन युद्ध विराम के लिए ‘ओपन’ हों और इस पर अतिरिक्त चर्चा चाहते हों, साथ ही ट्रम्प ने उन्हें ‘हां या न’ की दुविधा में डाल दिया हो. युद्ध के निकट भविष्य में तो रुकने के आसार दिखायी नहीं दे रहे।  -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर  

#क्या रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध विराम के प्रयास सफल होंगे ?