चुनौती बना बलोचिस्तान
पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे बलोचिस्तान में एक बार फिर हालात बुरी तरह बिगड़ गए हैं। बलोच ब़ािगयों द्वारा मंगलवार को दोपहर के समय एक रेलगाड़ी को अपने कब्ज़े में लेकर उसमें से कुछ व्यक्तियों को मार दिया गया था, जो पाकिस्तान के सैनिक और पुलिस कर्मचारी थे। वहां के हालात अभी तक भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं हो सके, परन्तु ब़ािगयों ने यह भी धमकी दी है कि यदि पाकिस्तान सरकार द्वारा उनकी लहर से संबंधित नज़रबंदियों को रिहा न किया गया तो वह पाकिस्तानी सेना को और भी बड़ा नुकसान पहुंचाएंगे। पाक सेना के लिए यह बहुत बड़ी चुनौती है। जहां तक बलोचिस्तान का संबंध है क्षेत्रफल के मुकाबले यह पाकिस्तान के अन्य सभी सूबों से कहीं बड़ा है।
सूबे में बहुसंख्या में बलोच मूल के लोग बसे हुए हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग डेढ़ करोड़ है। तेल और खनिज पदार्थों के पक्ष से इसे देश का सबसे अमीर सूबा माना जाता है परन्तु बलोचों को हमेशा यह शिकवा रहा है कि उनके साथ सरकार द्वारा कभी पूर्ण न्याय नहीं किया गया। यहां के सभी प्राकृतिक खज़ानों पर पाकिस्तान की केन्द्र सरकार का कब्ज़ा है और वही अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल करती है। यहां तक कि सरकार ने चीन के साथ हुए समझौतों के तहत वहां अनेक प्रोजैक्ट आरम्भ किए हुए हैं, जिन्हें चीन अपनी इच्छा से चला रहा है। चीन ने पाकिस्तान के साथ आर्थिक गलियारा बनाने का भी समझौता किया हुआ है। इस समझौते के तहत चीन बलोचिस्तान में सड़कें, रेल मार्ग और अन्य अलग-अलग प्रोजैक्ट शुरू करके अपने तरीके से उनके लिए प्रांत के स्रोतों का इस्तेमाल कर रहा है। बलोच अलगाववादी ग्रुप इस मामले को लेकर पाकिस्तान के साथ-साथ चीन के भी विरुद्ध हैं और वे अक्सर इन प्रोजैक्टों पर हमले करते रहते हैं।विगत अवधि में उन्होंने चीन के इंजीनियरों और कर्मचारियों को भी अपना निशाना बनाया था। भारत के विभाजन के बाद पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के साथ ही बलोचों ने ब़गावत का ध्वज उठा लिया था। उन्होंने कभी भी पाकिस्तान के साथ मिलने की सहमति नहीं दी थी, अपितु वे ब्रिटिश शासन के समय से ही अलग बलोचिस्तान देश की मांग करते आ रहे थे। पाकिस्तान की सरकार ने उनके साथ किसी समझौते के बिना बलोचों को हमेशा ही दबाने की नीति अपनाई है। लगातार विरोधियों को खत्म किया जाता रहा है। वहां उठती ब़गावत की लहर को सेना ने सख्ती से कुचलने की नीति धारण की है। 1947 में पाकिस्तान के अस्तित्व में आने के बाद 1970 में ही बलोच ब़ािगयों की गतिविधियां बढ़नी शुरू हो गई थीं। अनेक ही संगठन अस्तित्व में आ गए थे। उन्होंने हथियारों से अपने-अपने संगठनों को मज़बूत बनाया। आज इनमें सबसे बड़ा संगठन बलोचिस्तान लिबरेशन आर्मी है, जिसने लगातार सरकार के विरुद्ध अपनी हिंसक और अलगाववादी गतिविधियां जारी रखी हुई हैं। विगत वर्ष नवम्बर मास में इस संगठन की ओर से बसों से निकाल कर 26 व्यक्तियों को गोली का निशाना बनाया गया था। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान के सूबे पंजाब से संबंध रखते थे।
जहां तक वहां फैले आतंकवाद का संबंध है, पाकिस्तान को आज विश्व के कुछेक आतंकवाद प्रभावित देशों में दूसरे स्थान पर माना जाता है, जहां इस समय सैकड़ों ही आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं। 1990 में अ़फगानिस्तान में तालिबान द्वारा किए गए विद्रोह में पाकिस्तान ने उसकी सहायता की थी। चाहे उस समय वह अन्तर्राष्ट्रीय तौर पर इस मुहाज़ पर दोगली नीति पर चल रहा था, परन्तु अंतत: उसे स्वयं भी अपनी इस गलत नीति का हज़र्ाना भुगतना पड़ रहा है। अमरीका जैसे मददगार देश उससे दूर हो गए। जिन तालिबान संगठनों की उसने सहायता की थी, वे भी आखिरकार उसके विरुद्ध हो गए। आज अ़फगानिस्तान में तालिबान की सरकार है, जो पाकिस्तान की बड़ी दुश्मन बनी दिखाई देती है। यहीं बस नहीं, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान नामक संगठन ने भी पाकिस्तान सरकार को भारी चुनौती दी हुई है और वह लगातार सरकार के विरुद्ध हिंसक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। पश्चिमी पंजाब में भी अनेकों संगठन सरकार के लिए अमन-कानून की समस्या बने हुए हैं। ़खैबर पख्तूनखवा प्रांत में तो पाकिस्तान का शासन न के बराबर ही चल रहा है। सिंध सूबे के लोग भी बड़ी सीमा तक केन्द्र सरकार से लगातार नाराज़ चले आ रहे हैं। चाहे पाकिस्तान में निर्वाचित सरकार है, परन्तु सेना ने हमेशा की तरह उस पर अपना पूरा शिकंजा कसा हुआ है। इससे भी ऊपर यह देश आज पूरी तरह आर्थिक तबाही के किनारे खड़ा दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में उसका भविष्य बेहद धूमिल दिखाई देता है। आम लोग एक तरह से हर ओर से मुसीबत में फंसे दिखाई दे रहे हैं। ऐसे हालात में बलोच ब़ािगयों के बड़े और बेहद गम्भीर हमले वहां के लोगों और पाकिस्तान के अस्तित्व के लिए ़खतरा बने दिखाई देते हैं। मौजूदा समय में ऐसा भी नहीं प्रतीत होता कि पाकिस्तान की सरकार कोई निर्णायक फैसले लेकर देश को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए कोई अहम कदम उठा रही है। नि:संदेह आज विश्व भर की नज़रें इस देश के लगातार बिगड़ रहे हालात पर केन्द्रित हैं।
—बरजिन्दर सिंह हमदर्द