पाकिस्तान में ट्रेन हाइजैक ; बोया पेड़ बबूल का...!

पाकिस्तान में क्वेटा से चलकर पेशावर जाने वाली जाफर एक्सप्रेस 11 मार्च 2025 को सुबह 9 बजे क्वेटा से रवाना हुई थी। इसके सिबि पहुंचने का समय दोपहर 1:30 बजे का था। लेकिन सिबि पहुंचे इसके पहले ही दोपहर करीब 1 बजे बलूचिस्तान के बोलान ज़िले के माशकाफ इलाके में बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए), के आतंकियों ने इसको हाईजैक कर लिया। पाक सेना बलूच विद्रोहियों के कब्ज़े से ट्रेन को अब तक छुड़ा नहीं पायी थी। जबकि अब तक पाकिस्तान से आने वाली खबरों के मुताबिक उन्होंने 30 आतंकियों को मार दिया है। जबकि रेलगाड़ी में स्वार 190 यात्रियों को बचा लिया है। जिस जगह घात लगाकर आतंकियों ने ट्रेन को हाइजैक किया है वह जगह तीन तरफ पहाड़ और एक तरफ सुरंग से घिरी है। ऐसे में आतंकियों ने पाक सेना की तमाम कोशिशों को उन तक पहुंचने से नाकाम कर दिया है। हालांकि इन रिहा हुए बंधकों के मुताबिक यह भी सच है कि हाइजैक इलाके में पाकिस्तान सेना के जेट विमान, गन फ्लाइट हेलीकॉप्टर और अनेक ड्रोन मौजूद हैं, लेकिन जाफर एक्सप्रेस पर विद्रोहियों का ही कब्ज़ा है, रिहा हुए बंधकों के मुताबिक 12 मार्च 2025 की सुबह 7 बजे तक एक भी पाक सैनिक ट्रेन में नहीं था।
हालांकि जल्द ही कोई न कोई वह पल आयेगा, जब ट्रेन मुक्त होगी, पाक सेना ट्रेन पर कब्ज़ा करेगी, लेकिन वह पल कितनी खूनी कीमत लेगा यह वक्त बतायेगा। बीएलए ने बंधक बनाए गए पैसेंजर्स को युद्धबंदी कहा है और इनके बदले पाकिस्तान की जेलों में बंद बलूच विद्रोहियों, राजनैतिक कैदियों, गायब लोगों, लड़ाकों और अलगाववादी नेताओं की बिना शर्त रिहाई की मांग की है। इसके लिए बीएलए ने मंगलवार रात 10 बजे पाकिस्तान सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। बीएलए का कहना है कि यह फैसला बदलेगा नहीं। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक रिहा किये गये 58 पुरुष, 31 महिलाओं और 15 बच्चों ने भी आतंकियों के इरादों को पक्का और खूंखार बताया है। पाकिस्तान के मंत्री मोहसिन नकवी ने कहा है कि हम ऐसे जानवरों से कोई समझौता नहीं करेंगे, जिन्होंने बेकसूर यात्रियों पर गोलीबारी की, लेकिन आज ऐसी सैद्धांतिक जुबान बोलने वाले पाकिस्तानी मंत्री और पाक सरकार को तब ये जुमले और सिद्धांत याद क्यों नहीं आते जब वह पूरी दुनिया, खासकर पड़ोसी देश भारत में आतंक का निर्यात करते हैं।
हालांकि कुदरत का पुराना नियम है, ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय।’ अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही आतंक का निर्यात कर रहे पाकिस्तान को यह बात आज तक समझ में नहीं आयी कि खुद उसे आग से खेलने के इस आतंकी खेल की कितनी कीमत चुकानी पड़ी है? दशकों से आतंकवाद को एक रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे पाकिस्तान ने इस खूनी खेल में आज तक जितना गंवाया है, उतना शायद ही किसी दूसरे देश ने खोया हो। पाकिस्तान ने इस खूनी आतंक की अब तक आर्थिक, सामाजिक व अपनी अंतर्राष्ट्रीय साख के मिट्टी में मिलने की हद तक जितनी कीमत चुकाई है उतनी कीमत, उसके पड़ोसी अफगानिस्तान तक ने भी नहीं चुकायी। आतंकवाद और अस्थिरता के कारण आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कितनी बुरी तरह से टूट चुकी है कि पाकिस्तान को दुनिया के तमाम देश किसी भी कीमत पर कर्ज देने तक को राजी नहीं हैं, यहां तक कि मुस्लिम देश भी। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान और विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के अनुसार साल 2001 से 2023 तक पाकिस्तान ने 150-170 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान झेला है जबकि वह टर्की से लेकर सऊदी अरब तक से पांच अरब डॉलर की मदद के लिए चिरौरी विनती करते घूमता है।
इसी खूनी आतंक का कारोबार करने के कारण पाकिस्तान की तरफ विदेशी निवेशक आंख उठाकर नहीं देखते, चीन जैसे जो देश देखते हैं वे कारोबार की नज़र से नहीं देखते बल्कि कब्जा जमाने और पाकिस्तान को अपना गुलाम बनाने के उद्देश्य से कर्जा देते हैं, वरना आम विदेशी निवेशक तो पाकिस्तान के बारे में अब सोचता भी नहीं है। लालची से लाची बहुराष्ट्रीय कंपनियां पाकिस्तान में व्यापार करने से बचती हैं। वैश्विक संगठन ‘फाइनेंसियल एक्शन टास्क ़फोर्स’ द्वारा ग्रे लिस्ट में डाले जाने के कारण पाकिस्तान में विदेशी निवेश और फंडिंग पर बिल्कुल शून्य पर है। सिर्फ विदेशी निवेश की ही बात क्यों करें पाक ने अपनी आतंकप्रिय नीति के कारण भारी सैन्य सुरक्षा कीमत भी चुका रहा है। अपने जन्म के बाद से अब तक पाकिस्तान के अपने लाखों नागरिक और हजारों सुरक्षा बल आतंकवादी संगठनों के हमलों की बली चढ़ा दी है। सिर्फ साल 2007 से ही अब तक 80,000 से अधिक लोग (सुरक्षाकर्मी और आम नागरिक) इन खूंखार आतंकी वारदातों में मारे गए हैं। टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) और अन्य आतंकी गुटों ने पाकिस्तानी सेना और पुलिस को निशाना बनाया है।  शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं इस कदर प्रभावित हुई हैं, खासकर स्वात और वजीरिस्तान में, कि यहां लोग स्कूलों में जाने तक की नहीं सोच सकते। आतंकियों ने अस्पतालों को भी नष्ट कर दिया है। जहां दुनिया में पाकिस्तान की किसी तरह की इज्जत की बात है तो पूरी दुनिया में आज पाकिस्तान को एक आतंक समर्थक देश के रूप में जाना जाता है, जिस कारण यह वैश्विक मंच पर बुरी तरह से अलग-थलग पड़ गया है। भारत ने ही नहीं पाकिस्तान के तथाकथित संरक्षक अमरीका तक ने भी उसे कई बार आतंकवाद को बढाने पर चेतावनी दी है। आतंकियों ने पाकिस्तानी राजनेताओं को भी इसका शिकार बनाया है। 2007 में बेनजीर भुट्टो की हत्या इसका बड़ा सबूत है। इसलिए यह महज एक ट्रेन का हाइजैक का मामला नहीं है, उससे ज्यादा खूनी और खूंखार है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#पाकिस्तान में ट्रेन हाइजैक ; बोया पेड़ बबूल का...!