नायब सिंह सैनी का बतौर मुख्यमंत्री एक साल हुआ पूरा

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मुख्यमंत्री पद पर अपने एक साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है। पिछले साल 12 मार्च को नायब सैनी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। उस समय नायब सिंह सैनी को मनोहर लाल खट्टर के स्थान पर मुख्यमंत्री बनाया गया था। सैनी के मुख्यमंत्री बनते ही प्रदेश में पहले लोकसभा व फिर विधानसभा चुनाव हुए और चुनाव दौरान ज्यादातर समय आदर्श चुनाव आचार संहिता ही लागू रही। उनके नेतृत्व में ही भाजपा ने हरियाणा में लगातार तीसरी बार विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने का एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। 
मुख्यमंत्री सैनी की गिनती केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के बेहद भरोसेमंद साथियों में होती है। लोकसभा चुनाव के बाद मनोहर लाल को केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक ताकतवर मंत्री के तौर पर शामिल किया गया। अपने एक साल के कार्यकाल में नायब सिंह सैनी ने बहुत मजबूती से सरकार चलाई और लोगों को सरकार के साथ जोड़ने और पार्टी द्वारा किए वादों को लागू करने का भी काफी हद तक प्रयास किया है। आज नायब सिंह सैनी की गिनती एक सफल मुख्यमंत्री के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के भरोसेमंद साथियों में होती है। 
अनेक उपलब्धियों का दावा
मुख्यमंत्री बनने से पहले नायब सिंह सैनी नारायणगढ़ से विधायक, प्रदेश सरकार में मंत्री, कुरुक्षेत्र से सांसद और पार्टी संगठन में भी अनेक महत्वपूर्ण पदों पर रहे थे। 55 वर्षीय सैनी मृदुभाषी होने के साथ-साथ बेहद मिलनसार और काफी मेहनती हैं और पिछले एक साल से वह प्रदेश के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक निरंतर सक्रिय भी नज़र आते हैं। अपनी एक साल की उपलब्धि के रूप में दावा करते हैं कि उन्होंने प्रदेश में पारदर्शी तरीके से करीब 25 हज़ार युवाओं को सरकारी नौकरियां प्रदान कीं और अंत्योदय की भावना से काम करते हुए महिलाओं को 500 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर प्रदान करने के साथ-साथ और भी अन्य अनेक महत्वपूर्ण कदम उठाए। उनका यह भी कहना है कि उन्होंने शामलात भूमि पर पिछले 20 सालों से काबिज पट्टेदारों को मालिकाना हक देने का अभूतपूर्व फैसला किया और खराब मौसम के प्रभाव से फसलों का कम उत्पादन होने पर भी किसानों को 2000 रुपए प्रति एकड़ राहत देने जैसे कई कदम उठाए। उनके बारे में यह भी कहा जाता है कि उनसे मिलने के लिए अगर कोई रात को 12 बजे भी आ जाए तो वह न सिर्फ हर किसी से मिलते हैं बल्कि लोगों की हरसंभव सहायता करके उनको राहत पहुंचाने का भी काम करते हैं। उनका यह भी दावा है कि उनकी सरकार प्रदेश में सभी 24 फसलों पर एमएसपी देने का काम कर रही है और ड्रोन दीदी  जैसे अनेक कदम उठा चुके हैं। पिछले एक साल के कामकाज पर नजर डाली जाए तो उनके आत्मविश्वास में न सिर्फ काफी बढ़ौतरी हुई है बल्कि वह विरोधियों को भी अपने साथ जोड़ने का हुनर रखते हैं। 
हर विधायक को मिलेंगे 5 मिनट
हरियाणा विधानसभा के स्पीकर हरविंद्र कल्याण ने प्रदेश में एक नई प्रथा शुरू की है। इसके तहत विधानसभा के सभी विधायक शून्यकाल के दौरान 5 मिनट तक अपनी बात रख सकेंगे। शून्यकाल को प्रभावी बनाने के लिए स्पीकर ने यह कदम उठाया है और अब सदस्य 3 की बजाय 5 मिनट तक अपनी बात रख सकेंगे। हरविंद्र कल्याण का कहना है कि विधानसभा में 10 वर्षों तक बतौर सदस्य रहने के दौरान उन्होंने महसूस किया था कि शून्यकाल को और ज्यादा प्रभावी बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस विषय पर 6 मार्च को विधानसभा सत्र से पहले हुई सर्वदलीय बैठक में भी विचार किया गया और इस प्रक्रिया को और ज्यादा प्रभावी और उत्पादक बनाने पर जोर दिया गया। स्पीकर ने कहा कि उन्होंने खुद यह बात महसूस की थी कि अपनी बात रखने के इच्छुक प्रत्येक विधायक को ज्यादा समय मिलना चाहिए। इसी के तहत यह कदम उठाया गया और सदन के अधिकांश सदस्यों ने स्पीकर के इस निर्णय की प्रशंसा की है। उम्मीद की जा रही है कि सदन में अब बेवजह नोक-झोंक की बजाय सदस्य अपना मुद्दा बेहतर तरीके से सदन में रख पाएंगे और उन मुद्दों पर विधानसभा में सार्थक चर्चा भी होने की उम्मीद रहेगी। 
बिना नेता प्रतिपक्ष चल रहा सदन
हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र 7 मार्च को राज्यपाल के अभिभाषण के साथ शुरू हुआ है और इसके 27 मार्च तक चलने के आसार हैं। हरियाणा में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव के बाद यह विधानसभा का दूसरा सत्र है। पिछले करीब 5 महीनों से कांग्रेस अभी तक पार्टी विधायक दल के नेता का चयन नही कर पाई है। हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी है और सदन में कांग्रेस के 37 विधायक हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आलाकमान ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पूरी तरह से फ्री हैंड दिया था और कांग्रेस के बाकी सभी नेताओं को पूरी तरह से नजरअंदाज़ करते हुए हुड्डा के कहने पर ही ज्यादातर टिकटें बांटी गई थीं। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनने की काफी संभावनाएं जताई जा रही थीं। लेकिन उम्मीदों के विपरीत कांग्रेस की बजाय प्रदेश में भाजपा की तीसरी बार सरकार बन गई और कांग्रेस आलाकमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से नाराज हो गया। उदयभान की गिनती भी हुड्डा के बेहद खास भरोसेमंद में होती है। पिछले चुनाव में टिकटें सबसे ज्यादा हुड्डा समर्थकों को मिली थी, इसलिए हरियाणा में कांग्रेस के ज्यादातर विधायक भी हुड्डा के समर्थक हैं। वे भूपेंद्र हुड्डा को ही नेता प्रतिपक्ष बनाने के मूड में हैं। जबकि कांग्रेस आलाकमान हुड्डा की जगह नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी किसी अन्य को सौंपने का सोच रही है। इसी के चलते अभी तक नेता प्रतिपक्ष के लिए कांग्रेस आलाकमान किसी का भी नाम तय नहीं कर पा रही। 
हरियाणा गुरुद्वारा कमेटी को नहीं मिला प्रधान
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के 40 सदस्यों के वोटों द्वारा चुने जाने के बाद अभी तक न तो हरियाणा कमेटी के लिए नामजद किए जाने वाले 9 सदस्यों का चयन हो पाया है और न ही कमेटी के नए प्रधान व अन्य पदाधिकारियों को चुना जा सका है। जिन 9 सदस्यों को नामजद किया जाना है उनमें 2 सदस्य सामान्य वर्ग से, 2 महिलाएं, 3 अनुसूचित जाति से व 2 सदस्य सिंह सभाओं के प्रतिनिधि चुने जाने हैं। हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के लिए जनवरी, 2025 में पहली बार चुनाव हुए हैं और चुनावों के करीब 2 महीने बाद भी अभी तक नए पदाधिकारी चुने नहीं जा सके। 2014 में भूपेंद्र हुड्डा की सरकार ने अलग से हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बारे कानून बनाया था और कमेटी के सदस्य मनोनीत किए थे। उस समय जगदीश सिंह झींडा नामजद कमेटी के प्रधान बने थे और उनके बाद बलजीत सिंह दादूवाल को प्रधान बनाया गया। हरियाणा की भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद नई कमेटी नामजद की और उस कमेटी के प्रधान पहले महंत कर्मजीत सिंह बने थे और उनके विवादों में आ जाने के बाद हरियाणा कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भूपेंद्र सिंह असंध को अध्यक्ष पद की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। अब सभी की नज़रें इस ओर हैं कि नई निर्वाचित कमेटी कब अपना कार्यभार संभालेगी और कब 9 सदस्य नामजद किए जाएंगे और कमेटी का नया प्रधान कौन बनेगा। 

मो.-9855465946

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