केस मजबूत होने के बावजूद चुनौतीभरा होगा चोकसी का प्रत्यर्पण

हालांकि भारतीय एजेंसियों- ईडी व सीबीआई द्वारा स्थानीय प्रशासन के समक्ष दर्ज किये गये हिरासत व प्रत्यर्पण आग्रह के आधार पर बेल्जियम पुलिस ने भगोड़े हीरा व्यापारी मेहुल चोकसी को गिरफ्तार तो कर लिया है, लेकिन उसे वापस भारत लाना कड़ी चुनौती होगी। चोकसी पर आरोप है कि उसने 13,500 करोड़ रूपये का बैंकिंग फ्रॉड किया और उसके खिलाफ मनी लौंडरिंग के मामले भी दर्ज हैं। इस घोटाले में नीरव की पत्नी एमी मोदी व भाई नीशल मोदी भी आरोपी हैं। ट्रायल से बचने के लिए चोकसी भारत से भाग गया था। कैंसर पीड़ित चोकसी ने एंटीगुआ की नागरिकता ली हुई है। उसके खिलाफ इंटरपोल रेड कार्नर नोटिस जारी हुआ था, लेकिन उसने उसे यह कहते हुए रद्द करा दिया था कि भारतीय एजेंसीज ने उसका अपहरण करने का प्रयास किया था। यह नोटिस कोई अंतर्राष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है बल्कि यह अनुरोध करने वाले देश द्वारा इंटरपोल के माध्यम से जारी किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय अलर्ट है, जो प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्यवाई के लम्बित रहने तक किसी व्यक्ति का पता लगाने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने में मदद करता है। 
चोकसी को बेल्जियम में मुंबई की अदालत द्वारा जारी किये गये दो गैर ज़मानती वारंट के आधार पर गिरफ्तार किया गया है, जो 2018 व 2021 में जारी किये गये थे। बहरहाल, चोकसी की गिरफ्तारी से इतना तो सुनिश्चित हुआ है कि जब तक उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रियाएं पूरी नहीं हो जातीं वह बेल्जियम में सलाखों के पीछे ही रहेगा। लेकिन उसका प्रत्यर्पण कठिन व चुनौतीपूर्ण है। यह अनुमान अकारण नहीं। चोकसी का भगोड़ा भांजा नीरव मोदी भी 2019 से लंदन की जेल में बंद है। उसे भी भारत के आग्रह पर गिरफ्तार किया गया था कि उस पर भी फ्रॉड के आरोप हैं और वह भी ट्रायल से बचने के लिए भारत से फरार हो गया था। चोकसी इंग्लैंड के हाईकोर्ट के हाल के आदेश का सहारा लेकर अपने प्रत्यर्पण को रोकने का प्रयास करेगा। भारत ने वांछित हथियार व्यापारी संजय भंडारी के प्रत्यर्पण का आग्रह किया था, जिसे इंग्लैंड के हाईकोर्ट ने यह कहकर ठुकरा दिया था कि भारतीय जेलों में बहुत खराब स्थितियां हैं, जैसा कि नई दिल्ली की तिहाड़ जेल (जो सबसे सुरक्षित मानी जाती है) में गैंगस्टर टिलू ताजपुरिया की हत्या से स्पष्ट है। 
बेल्जियम की अदालतें भी मानवाधिकार मुद्दों को लेकर अति संवेदनशील हैं। इसलिए चोकसी का प्रत्यर्पण इस बात पर निर्भर करता है कि बेल्जियम की अदालत भारतीय जेलों की स्थितियों के बारे में क्या रुख अपनाती है इंग्लैंड के हाईकोर्ट के नज़रिये से सहमत होती है या असहमत? सभी भगोड़े, जिन देशों में अपराध करते हैं वहां न्याय से बचने के लिए प्रत्यर्पण का विरोध करने के लिए मानवाधिकार मुद्दे उठाते हैं। भारतीय एजेंसीज को सूचना मिली थी कि चोकसी बार बार बेल्जियम की यात्रा कर रहा है। इसी को मद्देनज़र रखते हुए लगभग छह माह पहले ईडी ने बेल्जियम के अधिकारियों से उसके प्रत्यर्पण का आग्रह किया था। इसी आग्रह के चलते आखिरकार चोकसी की गिरफ्तारी हुई है। 
चोकसी और नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक के साथ हज़ारों करोड़ रूपये का फ्रॉड किया था। जांच एजेंसीज धीरे-धीरे उस तक पहुंचने ही वाली थी कि उसे अपने फंसने की भनक लग गई और वह जनवरी 2018 में फरार हो गया। उसने एंटीगुआ व बारबुडा में शरण ली और बाद में एंटीगुआ की नागरिकता भी ले ली। ईडी एंटीगुआ व बारबुडा में उसकी गतिविधियों पर करीब से नज़र रख रही थी। चोकसी को जून 2021 में डॉमिनिका से डिपोर्ट करने का प्रयास किया गया था, जहां वह एंटीगुआ से संदिग्ध हालात में पहुंचा था, लेकिन यह कोशिश असफल रही, जिसके कारण इंटरपोल ने उसके खिलाफ जारी किये गये रेड कार्नर नोटिस को वापस ले लिया। 
इस बीच डायग्नोज़ हुआ कि चोकसी को कैंसर है। वह इलाज के लिए नियमित बेल्जियम आ जा रहा था। इस जानकारी से भरतीय एजेंसीज हरकत में आ गईं और उसके प्रत्यर्पण की अज़र्ी दाखिल की। चोकसी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए स्विट्ज़रलैंड भागने का प्रयास किया था, लेकिन उसे बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा और बेल्जियम में ही रुकना पड़ा। चोकसी के वकील अभी से ही इंग्लैंड की अदालत का हवाला देने लगे हैं। चोकसी के वकील विजय अग्रवाल का कहना है, ‘हम चोकसी को जेल से बाहर निकालने का इस आधार पर प्रयास कर रहे है कि वह बीमार है और उसका कैंसर का उपचार चल रहा है।’ चोकसी की ज़मानत याचिका पर सुनवायी कम से कम एक सप्ताह बाद आरंभ होगी। तब तक वह जेल में ही रहेगा। 
भारतीय एजेंसीज को जब यह मालूम हुआ कि चोकसी अपने स्टेट्स को अपग्रेड कराके एफ प्लस रेजीडेंसी कार्ड कराने जा रहा है, जिससे बेल्जियम से प्रत्यर्पण अधिक कठिन हो जाता तो उन्होंने अपनी कार्यवाही को अधिक तेज़ कर दिया। फलस्वरूप बेल्जियम ने एफ रेजीडेंसी को एफ प्लस नहीं किया। चोकसी ने कैंसर उपचार के लिए स्विट्ज़रलैंड की विशिष्ट कैंसर फैसिलिटी हिरस्लानडेन क्लीनिक आरु में अप्लाई किया था। उसे प्रवेश लगभग मिल ही गया था कि उसने सभी आवश्यक प्रक्रियाएं पूर्ण कर ली थीं, लेकिन इससे पहले कि वह बेल्जियम छोड़ पाता उसे एंटवर्प में गिरफ्तार कर लिया गया। मानवीय व अपनी स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए चोकसी ने स्विट्ज़रलैंड में अर्जेंट मैडीकल उपचार के लिए भी अप्लाई किया था। चोकसी की गिरफ्तारी का श्रेय लेते हुए केंद्र में जूनियर वित्त मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि भ्रष्टाचार के प्रति सरकार की बर्दाश्त शून्य है, लेकिन यह भी कड़वा सच है कि अभी तक विजय माल्या, नीरव मोदी, चोकसी आदि एक भी फ्रॉड करने वाले भगोड़े को वापस भारत नहीं लाया जा सका है। 
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

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