एक इम्तिहान और

लुधियाना पश्चिम से विधानसभा के उप-चुनाव के लिए तिथि का ऐलान हो चुका है। यह सीट आम आदमी पार्टी के सदस्य गुरप्रीत गोगी के देहांत के बाद खाली हुई थी। इसके बाद आम आदमी पार्टी ने लुधियाना पश्चिम से राज्यसभा सदस्य संजीव अरोड़ा को चुनाव की तिथि का ऐलान होने से काफी समय पहले ही अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उस समय से ही वह चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। इस कारण इस शहर में आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं का लगातार आना-जाना भी बना रहा है। पार्टी प्रदेश में प्रशासन चला रही है। इसके सदस्य की ही यह सीट खाली हुई है। इसलिए उसके द्वारा इस चुनाव के लिए पहले से ही तैयारियां की हुई हैं।
राज्यसभा सदस्य को इस सीट के लिए चयनित करना भी कई पक्षों से अर्थ भरपूर लगता है, क्योंकि यदि पार्टी यह सीट जीत जाती है तो राज्यसभा में संजीव अरोड़ा के स्थान पर किसी अन्य बड़े नेता को भेजा जा सकता है। वैसे तो इस सीट पर अक्सर कांग्रेस का प्रभाव ज्यादा रहा है। कांग्रेस द्वारा घोषित किए गए उम्मीदवार भारत भूषण आशु पहले भी यहां दो बार जीत चुके हैं। अकाली दल का उम्मीदवार भी उस समय यहां से जीता था, जबकि अकाली और भाजपा के बीच गठबंधन था। इस बार अकाली दल (ब) ने एडवोकेट परउपकार सिंह घुम्मण को यहां अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जिनका अपना निजी आधार बहुत अच्छा माना जाता है परन्तु पार्टी द्वारा अकेले चुनाव लड़ने के कारण उसको कड़ी मेहनत करनी पड़ेगी। अब भाजपा द्वारा भी आगामी दिनों में अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी जाएगी। इस चुनाव के संदर्भ में भाजपा के लिए भी बड़ी चुनौतियां खड़ी होंगी, क्योंकि वर्ष 2022 में उसका उम्मीदवार तीसरे स्थान पर ही आ सका था। आमतौर पर यह प्रभाव बना रहता है कि अनेक कारणों से उप-चुनावों में यह माना जाता है कि सत्तारूढ़ पार्टी का ही हाथ ऊपर रहेगा। ऐसा ही जालन्धर में हुए उप-चुनाव में भी देखा गया था। इसलिए इस बार भी आम आदमी पार्टी सत्ता में होने के कारण कई पक्षों से इसका लाभ उठाने का यत्न कर सकती है, वहीं दूसरी पार्टियों को इस पक्ष से अधिक सचेत होकर अपना अभियान चलाना पड़ेगा और इस बात के लिए यत्नशील होना पड़ेगा कि यह चुनाव पारदर्शी तरीके से सम्पन्न करवाया जा सके। यदि ऐसा सम्भव होता है तो इस उप-चुनाव का परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव के प्रतिबिम्ब के रूप में देखा जा सकेगा।
जहां ‘आप’ द्वारा इसके लिए पूरी एकजुटता की जा चुकी है, वहीं कांग्रेस में अभी तक बिखराव दिखाई देता है। यदि वह कोई ठोस रणनीति तैयार नहीं कर सकी तो उसके लिए यह नुकसानदायक बात ही होगी। आगामी दिनों में इस उप-चुनाव को लेकर प्रदेश में बड़ी राजनीतिक गतिविधि देखने को मिलेगी।

—बरजिन्दर सिंह हमदर्द 

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