सीजफायर और उसके बाद
संघर्ष विराम की घोषणा के बाद पाकिस्तान सेना की तरफ से जो कारनामा किया गया उससे पूरी दुनिया परिचित हो गई। इसे पहला अवसर नहीं कहा जा सकता। इस तरह अपनी बात से मुकर जाने का कार्य वहां की नई बात नहीं। अपनी ज़मीन से आतंकवाद की फैक्टरी चलाने के भारत द्वारा बार-बार विश्व स्तर पर सबूत दिखाने के बावजूद वह इन हरकतों से कभी नहीं हटा। डी.जी.एम.ओ. के अनुसार भारत ने 7 मई की रात 9 ठिकानों पर निशाना बनाकर हमला किया, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।
यह छोटी लड़ाई थी। 1965 का युद्ध 49 दिन, 1971 का युद्ध 13 दिन व कारगिल युद्ध 85 दिन चला था। भारत ने 1971 युद्ध के बाद पहली बार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीतर तक स्ट्राइक की। वह पाकिस्तान की आर्मी साइट है। पचास साल से न्यूक्लियर शक्ति सम्पन्न भारत ने दूसरे एटमी पावर वाले देश पाकिस्तान के एयरबेस पर हमला किया। एक अंग्रेज़ी अखबार के अनुसार शुक्रवार रात को नूरखान एयरबेस पर भीषण हमले के बाद सनसनी फैल गई थी।
दरअसल रावलपिंडी में जहां नूरखान एयरबेस है, उससे मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान का परमाणु जखीरा रखा है। इस हाई सिक्योरिटी साइट को पाकिस्तान प्लान डिवीज़न कहा जाता है। अमरीकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाऊस को आशंका हुई कि पाक का परमाणु जखीरा ़खतरे में है। अमरीकी उप-राष्ट्रपति डी. वैंस एक्शन में आए और तुरंत पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर तथा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शऱीफ से फोन पर बात की। इस प्रक्रिया में आगे जाकर युद्ध-विराम तक बात पहुंची।
भारत के संवेदनशील लोगों और पाकिस्तान के संवेदनशील लोगों ने सीजफायर का स्वागत किया। युद्ध किसी को भी पसंद नहीं। भारत और पाकिस्तान का एक प्रगतिशील वर्ग हमेशा शांति पूर्ण वार्ता को प्राथमिकता देता रहा है, लेकिन जब भी युद्ध हम पर थोपा गया हमारी सेनाओं ने भरपूर जवाब दिया है।
भारत ने ट्रम्प की कश्मीर की मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दी है। अमरीकी राष्ट्रपति ने दोनों देशों के साथ व्यापार बढ़ाने का वादा करते हुए कश्मीर का मुद्दा सुलझाने के लिए मध्यस्थता की भी पेशकश की। जवाब में भारत ने ट्रम्प की मध्यस्थता की पेशकश ठुकरा दी। भारत का कहना है कि पाक को सबसे पहले कब्जाई गई ज़मीन लौटानी होगी। दरअसल ट्रम्प की हर बात को स्वीकार करना भारत के लिए मुश्किल है। भारत अपना फैसला खुद कर सकता है। हमने पहलगाम पर आतंकी हमले का ज़ोरदार ढंग से जवाब दिया। कश्मीर में यदि अशांति नज़र आती है तो पाकिस्तान द्वारा पाले गए आतंकवाद के कारण है, जिसे कोई भी देश स्वीकार नहीं कर सकता।
आप एक बार वैश्विक स्तर पर नज़र डालें। विशेषज्ञ बता रहे हैं भविष्य में इज़रायल, गाज़ा, लेबनान, ईरान, इराक, सीरिया, यमन, म्यांमार, मैक्सिको, माली, सुडान, यूक्रेन और पाकिस्तान के हालात और खराब होने वाले हैं। अमरीका ने इनमें से कई देशों को उकसाया है। 2022 में यूक्रेन को 18 अरब डॉलर के हथियार दिए। इज़रायल को 2023 में 21.2 अरब डॉलर दिए, 2024 में यह राशि 42.76 अरब डॉलर हो गई।
अमरीका पाकिस्तान को बहुत पतित हालत में शायद ही जाने दे। उस पर कज़र् का बोझ लादता रहेगा। हथियार खरीदने के लिए ग्राहक तो चाहिए न। उसके सामने ़खतरा नहीं होगा तो हथियार क्यों खरीदेगा? पाकिस्तान को देश बचाने के लिए पहले आतंकवाद की फैक्टरी बंद करनी चाहिए। हथियारों की दौड़ से भारत और पाकिस्तान दोनों बच सकते हैं, लेकिन अगर वह आज भी सबक नहीं सीख पाता तो गम्भीर परिणामों के लिए तैयार रहना होगा। भारत ने तो गोली का जवाब गोले से देने की ठान ली है।