धर्म प्रचारक ‘आनंदपुरी विचारधारा’ को मुख्य सूत्र बनाएं : ज्ञानी रघबीर सिंह

श्री आनंदपुर साहिब, 11 फरवरी (मधु सूदन, दिनेश नड्डा) : शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की तरफ से आज गुरुद्वारा तख्त श्री केसगढ़ साहिब में धर्म प्रचार लहर के अंतर्गत करवाये गये सप्ताहिक विशाल गुरमति समागम को संबोधित करते हुए जत्थेदार तख्त श्री केसगढ़ साहिब ने धर्म प्रचार लहर में गुरू साहिबान की तरफ से खालसा पंथ को बखशीश की ‘आनंदपुरी विचारधारा’ को मुख्य सूत्र बनाने की प्रेरणा दी। उन्होंने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के समूह सदस्यों, रागी, ढाडी, कथा वाचकों और प्रचारकों से अपील करते हुए कहा कि उनको आनंदपुरी विचारधारा का संदेश घर-घर तक पहुंचाने सम्बन्धि पंथ की तरफ से आज तख्त श्री केसगढ़ साहिब से ज़िम्मेदारी संभाली जा रही है जिस को वह पूरी निष्ठा के साथ अदा करें। उन्होंने कहा कि हर सिख को धर्म प्रचार के लिए अपना योगदान डालना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि गुरबाणी और सिख इतिहास में इसे बहुत बड़ा दर्जा दिया गया है इसलिए अपने-अपने परिवारों में बच्चों को छोटी उम्र में ही गुरमति से अवगत करवाना चाहिए जिससे वह इस मार्ग पर आगे बढ़ सकें। इस आयोजित धार्मिक समारोह को संबोधित करते हुए शिरोमणि कमेटी के अध्यक्ष भाई गोबिंद सिंह लौंगोवाल ने कहा कि गुरुबाणी, सिख इतिहास और गुरमति विचारधारा के साथ आज की नौजवान पीढ़ी को जोड़ना वर्तमान समय की बड़ी ज़रूरत है तथा इसी कारण शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा धर्म प्रचार लहर को ओर भी प्रचंड करने के लिए योजना बनाई गई है। उन्होंने कहा कि गुरू साहिबान ने सिख कौम को जो मार्ग दर्शन दिया, वह दुनिया की अपेक्षा पृथक है। साथ ही उन्होंने कहा कि भले ही आज के प्रसंग में धर्म प्रचार करने के सरोकार बदले हैं परन्तु शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी हर तरह गुरमति संस्कृति के प्रसार हेतु वचनबद्ध है। भाई लौंगोवाल ने यह भी कहा कि शिरोमणि कमेटी की तरफ से गांवों की पंचायतों, स्कूलों, कालेजों सहित पारिवारिक मिलाप का भी प्रबंध किया गया है। उन्होंने चुनोतियों का जिक्र करते हुए कहा कि आज समाज को नशे, भ्रूण हत्या तथा बिगड़ते जा रहे पर्यावरण सहित कई मानसिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ रहा है, जिन में से निकलने के लिए गुरमति विचारधारा को अपनाने की ज़रूरत है। इस दौरान शिरोमणि कमेटी के सदस्य भाई अमरजीत सिंह चावला ने सिख विरसे की विलक्षणता का ज़िक्रकरते हुए कहा कि समूचा सिख इतिहास ही हक सत्य, न्याय, हमदर्दी आदि की जीवित मिसाल है और सिख इतिहास से दिशा निर्देश लेकर हमें अपने जीवन की दिशाएं निर्धारित करनीं चाहिऐ । इस समारोह के दौरान प्रिंसीपल सुरिन्दर सिंह, बीबी परमजीत कौर, सुरिन्दर सिंह भुल्लेवाल राठों, भाई प्रितपाल सिंह लुधियाना और दिलजीत सिंह बेदी ने भी विचार प्रकट किये। इस दौरान शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष भाई गोबिन्द सिंह लौंगोवाल को तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह और शिरोमणि कमेटी सदस्यों ने संयुक्त रूप से सम्मानित किया। इस से पूर्व सिख कौम के प्रसिद्ध रागी, ढाडी और कविशरी जत्थों ने संगतों को गुरबाणी कीर्तन और कौम के अनमोल इतिहास के साथ जोड़ा। इस अवसर पर तखत श्री केसगढ़ साहिब के मुख्य ग्रंथी भाई फुला सिंह, ज्ञानी हरपाल सिंह फतेहगढ़ साहिब, शिरोमणि कमेटी के अंत्रिंग सदस्य रविन्द्र सिंह चक्क, शिरोमणि कमेटी सदस्य दविन्दर सिंह, जंगबहादुर सिंह राये, बीबी रणजीत कौर माहलपुर, गुरबख्श सिंह खालसा, दलजीत सिंह भिंडर, अजमेर सिंह खेड़ा, रविन्द्र सिंह ख़ालसा तथा आत्मा सिंह घट्टीवाल सहित भारी संख्या में संगतें भी मौजूद थी।


 

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