राणा के.पी. व सिद्ध द्वारा छठी विश्व पंजाबी कांफ्रेंस का आगाज़

चंडीगढ़, 10 मार्च (अजायब सिंह औजला): वर्ल्ड पंजाबी कान्फ्रैंस व पंजाब कला परिषद् द्वारा करवाई जा रही दो दिवसीय छठी विश्व पंजाबी कान्फ्रैंस का उद्घाटन पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह व पंजाब के सांस्कृतिक मामलों व पर्यटन मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा शमां रोशन कर किया गया। इस अवसर पर उनके साथ 6वीं विश्व पंजाबी कान्फ्रैंसों के चेयरमैन एच.एस. हंसपाल, पंजाब कला परिषद् के चेयरमैन पदमश्री डा. सुरजीत पात्र, रामधारी दरबार के सतगुरु उदय सिंह, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के उपकुलपति डा. बी.एस. घुम्मण, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के उपकुलपति प्रो. ए.के. ग्रोवर, पंजाबी जागृति मंच के महासचिव व प्रसिद्ध पत्रकार सतनाम माणक, कान्फ्रैंस के वाइस प्रधान डा. दीपक मनमोहन सिंह व कान्फ्रैंस के महासचिव डा. रवेल सिंह के अतिरिक्त पंजाब कला परिषद् चंडीगढ़ के महासचिव डा. लखविन्द्र सिंह जौहल भी उपस्थित थे। पंजाब यूनिवर्सिटी के लॉ आडीटोरियम में करवाए उद्घाटनी सत्र में राणा के.पी. सिंह व स. नवजोत सिंह सिद्ध ने पंजाबी भाषा के विकास के लिए सभी पक्षों को मिल कर प्रयास करने का निमंत्रण देते नई पीढ़ी को पंजाबी मातृ-भाषा, अमीर विरसे व सभ्याचार से जुड़ने की वकालत की। पंजाब विधानसभा के स्पीकर राणा के.पी. सिंह ने इसी दौरान कहा कि आज चाहे पंजाबी भाषा का प्रसार दुनिया भर में हो चुका है परन्तु अभी भी विभिन्न कोर्सों की पढ़ाई, नौकरियां व रोज़गार के साधनों में हमारी भाषा को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कान्फ्रैंस में पंजाबी भाषा के पतन के लिए जिन नुक्तों पर विचार किए गए हैं, उनके हल निकालने के लिए पंजाबी भाषा वैज्ञानियों, बुद्धिजीवियों, लेखकों, राजनीति से जुड़े लोगों, सामाजिक नेताओं व अन्य पक्षों को इकट्ठे होना चाहिए। स. नवजोत सिंह सिद्ध ने पंजाब, पंजाबी व पंजाबियत के लिए विभिन्न मंचों पर काम करने वाली संस्थाओं व शख्सियतों को इकट्ठे होकर काम करने का निमंत्रण देते कहा कि यदि आने वाली पीढ़ी पंजाबी भाषा से बेमुख हो गई तो हमारे महान पंजाबी लेखकों/शायरों को कौन पढ़ेगा व सुनेगा। उन्होंने कहा कि इंटरनैट के ज़माने में हमें नई पीढ़ी को पंजाबी विरसे, साहित्य व सभ्याचार से जोड़ने के लिए नई तकनीकों का प्रयोग करना पड़ेगा। बड़े साहित्यकारों, लेखकों व कलाकारों को कौम का सरमाया कहते हुए उन्होंने यह भी कहा कि बड़ा दुख होता है जब कोई बड़ा साहित्यकार बड़ी आयु में पैसे की कमी के कारण इलाज के लिए तरसता है। उन्होंने कहा कि साहित्य व पंजाबी भाषा से जुड़ी सभी संस्थाएं इस दिशा में पहलकदमी करने तथा सबसे पहले वह स्वयं 50 लाख रुपए में इस फंड में डालेंगे। स. सिद्ध  ने कहा कि डा. सुरजीत पात्र के नेतृत्व में पंजाब कला परिषद् द्वारा सभ्याचारक संसद बनाकर गांवों, शहरों, कस्बों को इन गतिविधियों का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्होंने इस अवसर पर इस बात पर तसल्ली व्यक्त की कि पिछले दिनों पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला में पांच दिनों के पुस्तक मेले में एक करोड़ रुपए की पुस्तकों की बिक्री हुई। इससे पहले विश्व पंजाबी कान्फ्रैंस के चेयरमैन एच.एस. हंसपाल ने स्वागती भाषण में सुझाव दिया कि पंजाब के सभी व्यापारिक संस्थानों, सड़की बोर्डों व दुकानों पर लगने वाले बोर्डों में पहले स्थान पर पंजाबी लिखी जानी ज़रूरी की जानी चाहिए। सतगुरु उदय सिंह ने कहा कि हमें पंजाबी बोलने पर गर्व करना चाहिए तथा इस संबंधी किसी हीनभावना का शिकार नहीं होना चाहिए। पंजाब कला परिषद् के चेयरमैन डा. सुरजीत पात्र ने अपने सम्बोधन दौरान उदाहरणों सहित पंजाबी भाषा के विकास के लिए सुझाव दिए तथा उन्होंने कहा कि हमारी पहल होनी चाहिए कि सबसे पहले अपनी मातृ-भाषा को अच्छी तरह सीखें तथा उसके बाद अन्य भाषाओं का ज्ञान हासिल करें। अंत में डा. दीपक मनमोहन सिंह सभी मेहमानों व कान्फ्रैंस में भाग लेने आए लेखकों का धन्यवाद किया। उद्घाटनी सत्र के अध्यक्षता मंडल में उक्त प्रवक्ताओं के साथ पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के उपकुलपति प्रो. अरुण ग्रोवर, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के उपकुलपति प्रो. बी.एस. घुम्मण व पंजाबी जागृति मंच के महासचिव श्री सतनाम माणक शामिल थे। इस अवसर पर राणा जंग बहादुर गोयल, सुक्खी बाठ, इकबाल माहल व राज कुमारी अनीता सिंह को पंजाबी भाषा के लिए डाले योगदान बदले सम्मानित किया। इसी दौरान आल इंडिया सिख स्टूडैंट फैडरेशन के प्रधान करनैल सिंह पीर मुहम्मद ने पंजाबी के साइन बोर्डों संबंधी नवजोत सिंह सिद्ध को विधानसभा में प्रस्ताव लाने के लिए तथा स्पीकर राणा के.पी. सिंह द्वारा समूचे तौर पर स्वीकृत करवाकर पास करवाने की भी अपील की गई है। इस अवसर पर पंजाब कला परिषद् के महासचिव डा. लखविन्द्र सिंह जौहल, पंजाबी साहित्य अकादमी के प्रधान डा. सुखदेव सिंह सिरसा, पंजाब साहित्य अकादमी के प्रधान डा. सरबजीत कौर सोहल, पंजाब यूनिवर्सिटी के पंजाबी विभाग के प्रमुख डा. योगराज अंगरीश के अतिरिक्त प्रसिद्ध लेखकों में गुलज़ार संधू, प्रिंसीपल सरवन सिंह, बलदेव सिंह सड़कनामा, प्रसिद्ध गायक पम्मी बाई, गायक सुक्खी बराड़, सुखविन्द्र अमृत, नछत्तर, डा. मनमोहन सिंह के अतिरिक्त प्रो. मनमोहन सिंह दाऊं, श्रीराम अर्श, कृपाल कज़ाक, गुरमीत जौड़ा, डा. अमरजीत कौर घुम्मण, डा. शरनजीत कौर, सरदारा सिंह चीमा, बलवंत भाटिया, दीपक शर्मा चरनारथल, डा. गुरमेल सिंह, डा. गुरमिन्द्र सिद्ध , लखविन्द्र आही, नरिन्द्र कौर नसरीन, मलकीत बसरा, अमरजीत हिरदे के साथ-साथ दर्शन दर्वेश, गुरचरन बोपाराय, स्वर्ण सिंह, इकबाल संधू, बलविन्द्र सिंह, डा. सुरजीत, सिमरजीत ग्रेवाल, दर्शन धालीवाल, अमरीका से महिन्द्रदीप ग्रेवाल, गुल्ल चौहान, गवर्धन गब्बी आदि द्वारा भी शिरकत की गई।