लोगों के दिलों में बसते कबड्डी कमैंटेटर बिट्टू सैदोके

बहुत ही छोटी उम्र में बड़ा नाम कमाने वाले, साधारण परिवार में पैदा हुए कमैंटेटर गुरप्रीत सिंह जोकि आजकल अपने अनमोल शब्दों से कबड्डी खेल के मैदानों में बिट्टू सौदोके नाम से प्रसिद्ध हैं, ने अपनी मीठी आवाज़ से कुमैंटरी के क्षेत्र में नए आयाम कायम किए हैं। गांव सैदोके में कबड्डी और कुश्ती के बड़े पहलवान पैदा होने के कारण, प्रसिद्ध खिलाड़ियों के कारण गांववासियों की ओर से करवाए जाते हर वर्ष कबड्डी टूर्नामैंट में बचपन से ही बिट्टू को कमैंटरी कला की चेटक लगी, क्योंकि गांव वाले खेल मेले में कबड्डी के महान प्रवक्ता अपने मनमोहक शब्दों से खेल मेले को अपने रंग में रंगते थे, उनकी गांव से की कमैंटरी कला की शुरुआत को सफलता का शिखर तब मिला जब धूड़कोट रणशीह खेल मेले के दौरान उनको कुमैंटरी के शुरुआती दिनों में ही जैला धूड़कोट और लभी नंगल की ओर से मोटरसाइकिल से सम्मानित किया गया। अपनी मीठी भाषा, साफ-स्वच्छ शब्दावली और ठेठ पंजाबी शब्दों से हर एक कबड्डी प्रेमी के चहेते बने बिट्टू सैदोके पंजाबियों की महबूब खेल कबड्डी की चढ़ती कला के प्रतीक हैं। गांव सैदोके में जीवन की 25वीं पतझड़ देख चुके पिता सुप्रसिद्ध गीतकार अमरीक सिंह सैदोके और माता मनजिंदर कौर के पुत्र बिट्टू खेल कबड्डी में बढ़ी अनियमितताओं से बहुत चिंतित हैं। वह कबड्डी में प्रवेश हुई बुराइयों पर अपनी नेक सोच से माइक पर रचनात्मक व्यंग्य करते रहते हैं।शब्दों के जादूगर प्रसिद्ध कबड्डी प्रवक्ता रूपिंदर जलाल को वह अपने क्षेत्र का उस्ताद मानते हैं। आजकल कबड्डी मैदानों के भीतर पंजाब के भीड़-भाड़ वाले खेल मेलों पर बिट्टू सैदोके और सुखराज रोडे की जोड़ी के खूब चर्चे हैं। बिट्टू ने शेरे पंजाब खेल क्लब मलेशिया के निमंत्रण पर मलेशिया की धरती पर पहुंच कर अपने जादुई शब्दों और प्यारी आवाज़ से मलेशिया में बसते पंजाबियों के मन और दिल मोह लिए। सोनी हांगकांग के निमंत्रण पर हांगकांग के कबड्डी खेल मेलों में बिट्टू सैदोके ने अपनी कमैंटरी कला के अच्छे रंग बिखेरे।

-बब्बी पत्तो