भारत के लिए अवसर है पाकिस्तान पर आर्थिक प्रहार

पहले से आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक मोर्चे पर खस्ताहाल पाकिस्तान की कठिनाइयों का बढ़ना भारत के लिए आर्थिक विस्तार के नये द्वार खोल सकता है। पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय संगठन की प्रताड़ना के बावजूद मनी लांडरिंग और आतंकी संगठनों के वित्त पोषण पर लगाम नहीं लगा पाया। इसलिए एफ.ए.टी.एफ. फाइनैंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में डाल दिया है। इसके कारण पाकिस्तान को ऋण मिलना कठिन हो जाएगा। देश में कारोबार करना महंगा हो जाएगा। चंद महीनों बाद पाकिस्तान में चुनाव हैं। यह कठोर निर्णय अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उसकी दिक्कतें बढ़ाता है। ठीक संदेश नहीं देता। जी-7 देशों की पहल पर एस.टी.एफ. गठित हुआ था। 1989 में तब इसके सदस्य देशों की संख्या 16 थी। 2016 में यह संख्या बढ़ कर 37 हो गई। भारत भी इसका सदस्य है। शुरू में इसे मनी लांडरिंग रोकनी थी, लेकिन 2001 में अमरीका पर हुए आतंकी हमले के बाद अब आतंकी संगठनों को वित्त पोषण करने वाले देश भी इसके दायरे में आ गए हैं। ऐसा काम करने वाले देशों की दो सूचियां होती हैं। एक ग्रे और दूसरी ब्लैक। ग्रे सूची में इथोनिया, इराक, सर्बिया, सीरिया, श्रीलंका, त्रिनिडाड, ट्यूनीशिया, यमन पहले से थे अब पाकिस्तान भी हो गया। इससे जो तत्काल आर्थिक कठिनाइयां, पाकिस्तान को आएंगी वे इस प्रकार हैं। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक इत्यादि वित्तीय संस्थाएं इसकी साख गिरा सकती हैं। कज़र् आसानी से नहीं मिलेगा। यहां भारत अपनी साख और रेटिंग बढ़ा पाकिस्तान का स्थानापन्न न बने। विकास के लिए अधिक ऋण की मांग करे। इस घोषणा के बाद मूडी, स्टैंडर्ड एंड युअर और फिंच जैसी क्रैडिट रेटिंग एजेंसियां पाक की रेटिंग घटा सकती हैं। इससे उसकी अर्थ-व्यवस्था डांवाडोल और निवेशक बिदक सकते हैं। यहां भारत अपनी रेटिंग सुधार कर पाकिस्तान का विकल्प बने और पलायन करते निवेश को अपनी ओर आकर्षित करे। हमने निवेश में पी.पी.पी. योजनाएं शुरू कर रखी हैं। अपनी रेटिंग सुधार हम निवेशकों को इनकी ओर आकर्षित कर सकते हैं। इस घोषणा से पाकिस्तान में वित्तीय अनिश्चितता बढ़ेगी, शेयर बाज़ार लुढ़केगा। चीन इस स्थिति का अधिक से अधिक फायदा उठा अपने निवेश पाकिस्तान में करेगा। हम क्यों न पूरे विश्व में करें?पाक की बैंकिंग का बंटाधार हो सकता है। स्टैंडर्ड चार्टेड, सिटी, ड्यूरा बैंक अगर वहां कारोबार समेटते हैं, तो भारत में बढ़ा सकते हैं। यह भारत की लड़खड़ाती हुई बैंकिंग के लिए एक बड़ा सहारा हो जाएगा। अब विदेशी लेन-देन और मुद्रा प्रवाह पाकिस्तान में कम होगा। हम क्यों न भारत में इसे सम्भालें, इससे विनिमय मंडियों में भारतीय रुपए का गिरता हुआ मूल्य सम्भल सकेगा। विदेशी निवेशक और कम्पनियां इस घोषणा के बाद अगर पाकिस्तान से बिदकती हैं, तो भारत अपनी अर्थ-व्यवस्था को अधिक आमंत्रण की मुद्रा दे। अब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के फंडों का इस्तेमाल पाकिस्तान के लिए इतनी आसानी से नहीं होगा। भारत के लिए माहौल अधिक साज़गार हो सकता है। यूरोपीय देशों का अगर पाकिस्तान में निर्यात घटता है तो भारत इसका लाभ उठा इन देशों के साथ अपना निर्यात व्यापार बढ़ा सकता है। एक का घाटा हमारा लाभ बनें तो हमारा प्रतिकूल भुगतान शेष अनुकूल हो। ये तो सुखद कल्पनाएं हैं, जो पाकिस्तान पर एफ.ए.टी.एफ. के प्रतिबंध लगने से भारत को लाभ के रूप में मिल सकती हैं।लेकिन इसके साथ कुछ प्रत्यक्ष लाभ भी हैं जो भारत को मिल सकते हैं, अगर पाकिस्तान को टैरर, फंडिग रुकने से और उसकी आतंकी गतिविधियां कम होने से भारत चौकस हो प्रतिक्रिया दे।  पाकिस्तान भारत में अपनी आतंकी गतिविधियों को केवल सशस्त्र वारदातों से ही नहीं कर रहा। इस का मुकाबला तो हमारे सैन्य बल कर ही लेंगे। इसके साथ पाकिस्तानी आतंकी नकली नोटों और मादक द्रव्यों की तस्करी से भी भारतीय अर्थ-व्यवस्था को हिला देना चाहते हैं। उनकी अंतर्राष्ट्रीय टैरर फंडिंग अगर रुक जाती है, तो नकली नोटों और मादक द्रव्यों की तस्करी की उनकी आर्थिक क्षमता भी कम हो जाएगी और भारत के लिए ऐसी अकल्याणकारी गतिविधियों पर लगाम लगानी सरल हो जाएगी। फिर सरहदों पर अगर अपेक्षाकृत शांति हो जाती है, तो वहां बसे गांवों के उखड़े हुए नागरिकों को स्थायित्व मिल जाएगा। टैरर फंडिंग कम होने का असर कश्मीर की आतंकी गतिविधियों और पत्थरबाज़ों को नियंत्रण करने के रूप में सामने आता है तो यह कश्मीर की अर्थ-व्यवस्था की बदहाल हालत को सुधार सकता है। इस हिंसक हुल्लड़ में कश्मीर का पर्यटन व्यवसाय और घरेलू दस्तकारियां रसातल में जा रही हैं। कश्मीरी नौजवानों में बेरोज़गारी, आक्रोश और आवेश बढ़ रहा है। अगर टैरर फंडिंग रुकने से आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगती है, तो एक नये विकसित होते हुए कश्मीर का सपना भी साकार हो सकता है।