सेना की गोपनीयता का भंग होना कदापि राष्ट्र-हित में नहीं

सेना देश की शान होती है जो हर संकट व मुसीबतों के समय देशवासियों की रक्षा करती है। देश की बाहरी एवं आंतरिक विरोधी शक्तियों का मुकाबला कर देश की प्रतिष्ठा को बचाती है। आज हम सभी अपनी सेना के बल पर ही अपने आप को सुरक्षित महसूस कर रहे है। सेना को अधिकार है कि देश की रक्षा में जो उचित लगे, दुश्मनों के खिलाफ  कार्यवाही करे। इस दिशा में वह हर तरह से स्वतंत्र है। जब भी उसकी इस स्वतंत्रता पर किसी भी तरह अकुंश लगाने की राजनीतिक कोशिश की गई, देश विरोधी ताकतों का मनोबल बढ़ा है। आतंकवादी गतिविधियों में विस्तार हुआ है। सेना के कीमती जवानों सहित कई निर्दोषों की जान बेवजह गई है, जिसकी  शहादत को किसी भी कीमत पर भुलाया नहीं जा सकता।  आतंकवाद अपने आप में आज अघोषित युद्ध हो गया है जिसका छद्म रूप युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है। आये दिन देश या विदेश का कौन सा प्रभाग इसके चंगुल का शिकार हो जाये, कह पाना मुश्किल है। देश के भीतरी भाग में एवं सीमा प्रांतो पर घटित आतंकवादी घटनाएं, युद्ध से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं। जिसे पड़ोसी देश पाक से समर्थन भरपूर मिल रहा है। इस तरह के विनाशकारी परिवेश से आज हम कहीं भी अछूते नहीं रह गये हैं। जब से शांति पहल एवं पड़ौसी देश पाक से बेहतर संबंध बनाने की दिशा में सदियों से बंद पड़े रास्ते खोल दिये गये तब से देश के भीतरी भाग में आतंकवादी गतिविधियां सर्वाधिक सक्रिय होती दिखाई देने लगी हैं। देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली जाली नोटों का देश में बड़े पैमाने पर विस्तार होता गया।
इस तरह के निर्णय देश के हित में अहितकारी ही साबित हुए। जब-जब यह द्वार खुला है आतंकवादी घुसपैठियों की जमात देश के भीतरी तह तक आसन जमाती गई हैं। दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुम्बई जैसे अनेक चर्चित शहर तो इसके शिकार हो ही रहे हैं, देश की सर्वोच्च अस्मिता संसद भी इस तरह के परिवेश से अछूती नहीं रही है। जब संसद ही सुरक्षित नहीं रही है तो हम सब कहां तक सुरक्षित हैं, विचारणीय मुद्दा है। इस तरह के उभरते परिवेश में सेना का स्वतंत्र होना बहुत जरूरी है एवं उसके किसी भी कर्यवाही को राजनीतिक लाभ के तहत किसी प्रकार से सार्वजनिक किये जाने की प्रक्रिया राष्ट्रहित में कदापि नहीं हो सकती।  
आज पाक की नापाक हरकतों से सभी भलि-भांति परिचित हैं। पाक में लोकतांत्रिक सरकार जरूर है पर वहां सेना सर्वोपरि है। सेना के अलावा वहां आतंकवादियों का फैला साम्राज्य वहां की सरकार पर हावी है। जिससे भारतीय सीमा पर सदैव खतरा बना रहता है।  जब पड़ौसी पड़ौसी की ही परिभाषा को नहीं समझ पा रहा है फिर उसके साथ पड़ौसी धर्म निभाने की ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई, जिसके तहत सभी बंद द्वार खोल दिये जाते रहे जिन रास्तों से देश के भीतरी भाग तक आतंकवादी पसर गये। कब कहां बम विस्फोट हो जाय, कह पाना मुश्किल है। इस तरह के हालात पर सभी को मंथन करने की आवश्यकता है एवं एकमत होकर देशहित में दुश्मनों के ख्लिफ  सेना द्वारा की जा रही कार्यवाही पर अनर्गल बहस की राजनीति बंद कर सकरात्मक कदम उठाने की जरूरत है। भारतीय सेना पर हम सभी को गर्व है जो सीमा पर उभरते सभी प्रकार के कष्ट को झेलकर एवं अपने प्राण जोखिम में डाल देश की रक्षा में हर पल समर्पित रहती है, जिसकी वजह से ही आज हम सब सुरक्षित हैं। पूर्व में हुए पड़ोसी देश पाक एवं चीन द्वारा किये गये युद्ध एवं आतंकवादी गतिविधियों के खिलाफ भारतीय सेना के वीर जवानों ने युद्ध लड़ा एवं विजय हासिल कर देश का गौरव सदैव ही सर्वोपरि रखा । जिसके त्याग एवं बलिदान से भारतीय झंडा आज भी लहरा रहा है। इस दिशा मेें हमने अनेक सपूतों को खो दिया पर देश की आन व शान पर आज तक आंच नहीं आने दी। सर्जिकल स्ट्राईक भी देशहित में सेना द्वारा दुश्मनों के खिलाफ की गई कार्यवाही है जिस पर राजनीतिक बहस आज भी जारी है। जिसकी गोपीनीयता भंग करने की भी प्रक्रिया चल रही है। दुश्मनों के खिलाफ  सेना द्वारा की गई किसी भी कार्यवाही पर राजनीतिक बहस की प्रक्रिया देशहित में तत्काल बंद होनी चाहिए एवं सेना की कार्यवाही एवं भावी योजना की गोपीनीयता को किसी भी प्रकार उजागर नहीं किया जाना चाहिए। आज सेना सुरक्षित है तो हम सभी सुरक्षित है।  सेना का हर एक जवान देश की शान है जिसकी हिफाजत करना हर भारतवासियों का पुनीत धर्म है। जिसकी किसी भी कीमत पर स्वहित में राजनीतिक बलि का शिकार नहीं होने देना चाहिए। (संवाद)