दूरबीन द्वारा किए जाते हैं करतारपुर साहिब के दर्शन

कलानौर/डेरा बाबा नानक, 22 अगस्त (गुरशरनजीत सिंह पुरेवाल/हीरा सिंह मांगट): गत कुछ दिनों से पाकिस्तान में स्थित भारत-पाक सीमा के निकट पड़ते गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के खुले दर्शन करने के लिए रास्ता खुलने की छिड़ी चर्चा से श्रद्धालुओं में करतारपुर का रास्ता खुल जाने की पूरी उम्मीद जागी है। लोगों का कहना है कि यदि सरकार इसको पक्के तौर पर नहीं भी खोलना चाहती तो गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर कच्चे तौर पर दर्शनों के लिए रास्ता बना सकती हैं। कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा भी प्रकटाई आस के कारण लोगों में उम्मीद की किरण जागी है। वर्णनीय है कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक से 5 किलोमीटर की दूरी पर है और भारत-पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर है। जबकि श्रद्धालु इसको वीज़ा लेकर लाहौर द्वारा इसके दर्शन करने जाते हैं और लाहौर से वह 4 घंटे का सफर भी तै करते हैं। हलका डेरा बाबा नानक के विधायक और पंजाब सरकार के सहकारिता और जेल मंत्री स. सुखजिन्द्र सिंह रंधावा ने कहा कि यह मामला काफी समय से लटका हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा भी इस रास्ते को लेकर पाकिस्तान के अधिकारियों के साथ कई बार बात की गई है और अब आशा की किरण जागी है कि यह मामला आने वाले समय में हल हो सकता है। करतारपुर साहिब विश्व में वह पवित्र स्थान है, जहां जात-पात और ऊंच-नीच के अंधेरे में डूबे विश्व को रौशनी का रास्ता दिखा कर सतनाम का प्रचार करते हुए श्री गुरु नानक देव जी ने अपनी ज़िदंगी के अंतिम 18 वर्ष बिताए। यह अस्थान इस समय पाकिस्तान में होने के कारण चाहे वीज़ा और पासपोर्ट की कार्रवाई कर के संगतें दर्शन कर सकती हैं जबकि ज़िला गुरदासपुर के ऐतिहासिक कस्बा डेरा बाबा नानक में स्थित राष्ट्रीय सीमा से गुरु नानक नाम लेवा संगतें गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब जी की इमारत के सिर्फ दूरबीन द्वारा ही दर्शन-दीदार-ए कर सकती हैं। रास्ता खुलने से गुरुद्वारा साहिब तक श्रद्धालु सिर्फ 20 मिनट में पहुंच सकते हैं। वर्णनीय है कि कहते हैं कि 1921 में कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के पारिवारिक सदस्यों द्वारा इस गुरुद्वारा साहिब के लिए एक लाख रुपये की सेवा की गई थी।
गुरु नानक देव जी ने बसाया करतारपुर साहिब : भारत और अन्य देशों में जगत जलंधे को तारन और रूहानीयत का प्रचार करते हुए लम्बी उदासियों के बाद श्री गुरु नानक देव जी द्वारा पाकिस्तान के ज़िला नारोवाल तहसील शकरगढ़ में बसाया गया शहर श्री करतारपुर साहिब, जिसको करतारपुर रावी भी कहा जाता है। (क्योंकि भारत में ज़िला जालन्धर के निकट भी करतारपुर शहर है) में पहली पातशाही ने अपनी संघर्षमयी ज़िंदगी के अंतिम18 वर्ष अपनी पत्नी और बच्चों के साथ बिताए। करीब दो दशक यहां श्री गुरु नानक देव जी द्वारा ज़िंदगी का समय बिताने के कारण यह स्थान सिख धर्म का प्रचार केन्द्र बन गया था। यहां ही श्री गुरु नानक देव जी ने किरत करने, नाम जपने और बांट कर खाने का उपदेश दिया था और लंगर प्रथा चलाई थी। यहां ही गुरु अंगद देव जी को श्री गुरु नानक देव जी द्वारा अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। श्री गुरु नानक देव जी 1539 को ज्योति ज्योत समा गए थे।
डेरा बाबा नानक में दर्शन स्थल का निर्माण : दर्शन स्थल गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब (पाकिस्तान) का निर्माण बाबा गुरचरन सिंह बेदी, बाबा जगदीप सिंह बेदी मैमोरियल चैरीटेबल अस्पताल और श्री गुरु नानक देव जी के17वें अंश-वंश बाबा सुखदीप सिंह बेदी के यत्नों से वर्ष 2008 में तैयार कर सगंतों के लिए खोला गया।
संगतें चाहती हैं खुले दर्शन : पाक में स्थित लाहौर से यह स्थान तकरीबन 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबकि गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब भारत-पाक सीमा से भारत की तरफ से डेरा बाबा नानक से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसको संगतें दूरबीन द्वारा दर्शन करके श्रद्धा का प्रकटावा करती हैं। संगतों की लम्बे समय से मांग है कि डेरा बाबा नानक से गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब तक गलियारा बनाया जाए ताकि संगतें इस स्थान के खुले दर्शन कर सकें।
करतारपुर साहिब के खुले दर्शनों हेतु प्रयास : जहां भारत सहित विश्व के हर कोने में बैठा सिख प्रतिदिन दो समय बिछड़ गए गुरुधामों के खुले दर्शनों के लिए अरदास , प्रार्थना करता आ रहा है, वहीं बिना पासपोर्ट और बिना किसी रुकावट के अन्य संस्थाओं के विभिन्न प्रयासों के अलावा इस रास्ते को खोलने के लिए करतारपुर दर्शन अभिलाशी संस्था 13 अप्रैल, 2001 से अब तक अमावस के दिनों में खुले दर्शन के लिए संगतों सहित अरदास प्रार्थना करती आ रही है। चाहे इस कार्य की शुरुआत प्रसिद्ध अकाली नेता स्वर्गीय स. कुलदीप सिंह वडाला द्वारा की गई जबकि अरदास, प्रार्थना के मासिक इस कार्य को अन्य संगतें प्रत्येक अमावस पर निरंतर करती आ रही हैं। इसके अलावा संक्रांति और अन्य पर्वों पर भी गुरु नानक नाम लेने वाली संगतें खुले दर्शन के लिए समूह रूप में अरदास करती आ रही हैं।
पाक में 4 पर्व मनाने के लिए जाती हैं संगत : संगत पासपोर्ट पर वीज़ा प्राप्त करके वैसाखी, शहीदी दिवस श्री गुरु अर्जन देव जी, महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के अतिरिक्त श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश दिवस मनाने के लिए पाकिस्तान जाती हैं। जबकि फिर भी बहुसंख्यक संगतें क़ागज़ी कार्रवाई की उलझन के कारण दर्शन करने से वंचित रह जाती हैं।
गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करके भावुक होती हैं संगत : दर्शन स्थल डेरा बाबा नानक में जिस समय संगतें गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब जी की इमारत के दर्शन करती हैं इसके साथ ही गुरु को प्रेम करने वाली संगतें भावुक हो जाती हैं और इस स्थान पर बैठ कर जाप करके गुरु की खुशी प्राप्त करती हैं।
डेरा बाबा नानक में आईं संगतों के मनों की भावना : डेरा बाबा नानक में गुरुद्वारा करतारपुर साहिब के दर्शन करने के लिए प्रतिदिन देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचते हैं। चंडीगढ़ से आए श्रद्धालु समशेर सिंह ने अपनी आंखों में आंसू लाते हुए कहा कि उनके द्वारा दूरबीन द्वारा गुरुद्वारा करतारपुर साहिब जी के दर्शन करके अपने मन में गुरु प्रति प्यार की भावना को पूरा 
किया है।