गम्भीर आर्थिक संकट में से गुज़र रहा है पाकिस्तान

पाकिस्तान में ‘बदलाव’ सरकार हर दिन कोई न कोई हैरानी पैदा कर रही है। कमाल यह है कि ‘कैप्टन’ हर क्षेत्र के लिए अलग-अलग हैरानी भरे फैसले कर रहे हैं। सबसे पहले बात करेंगे आम लोगों की। लोग गत 45 दिनों से जो हैरानी भुगत रहे हैं, उनमें पानी, बिजली, गैस, आटा सब कुछ महंगा हो चुका है। महंगाई का यह तूफान लोगों को अपने साथ एक अंजान और लापता मुकाम की ओर ले जा रहा है, जिसका रास्ता शायद उसको स्वयं भी पता नहीं है और वापिसी भी असम्भव है। गरीब और गरीब होता जा रहा है तथा अमीर के बारे में कुछ पता नहीं कि सरकार उसके साथ क्या सलूक करेगी। वह अमीर भी रहेगा सकेगा अथवा नहीं। शक्ति का ‘कुल्हाड़ा’ ज़ोरों से चल रहा है और भला-बुरा देखे बिना सब कुछ काटता जा रहा है। टैक्स ने एक जाल की तरह सभी को अपनी चपेट में ले लिया है और इस तरह प्रतीत हो रहा है कि इस जाल से बाहर दुनिया कुछ और तथा भीतर की दुनिया कुछ और लग रही है। टैक्स सूची में जिनके नाम नहीं होंगे वह न तो मोटरसाइकिल खरीद सकते हैं और न ही कोई सम्पत्ति। ऐसे व्यक्तियों को सिर्फ एक ही सुविधा हासिल है कि वह सिर्फ दाल, सब्ज़ी, आटा, चावल खरीद सकते हैं। शेष प्रत्येक कार्य के लिए उनको सरकार को बताना पड़ेगा कि उनका पैसा कहां से और क्यों आया? लोगों को सस्ती शिक्षा, बढ़िया स्वास्थ्य सुविधाएं, सस्ती बिजली, पानी, गैस और रोज़गार के अवसर कब मिलेंगे, इसके बारे में सरकार के किसी भी मंत्री को कुछ पता नहीं। अर्थ-व्यवस्था की बात की जाए तो वर्ल्ड इक्नॉमिक फोर्म की मासिक रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में गरीबी में कमी आई है। पहली बार दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी का शुमार अमीर या मध्य वर्ग में होने लगा है, जोकि गत हज़ारों वर्षों में पहली बार हुआ है। ऐसा प्रतीत होता है कि इक्नॉमिक फोर्म ने  शायद पाकिस्तान में रहने वाले शक्तिशाली व्यक्तियों को शामिल नहीं किया। क्योंकि यहां राजनीतिक तथा आर्थिक हालात तेजी से बदल रहे हैं। पाकिस्तान डैमोग्रैफिक तथा स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की आबादी 2046 में दोगुनी हो जाएगी अर्थात् जन-संख्या बढ़ेगी तो मुश्किलें भी बढ़ेंगी। पाकिस्तान को 12 करोड़ नौकरियों, लगभग 2 करोड़ मकान तथा 85 हज़ार प्राइमरी स्कूल बनाने पड़ेंगे। पाकिस्तान इस समय पानी की कमी का शिकार तीन देशों में से एक है। दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा बच्चों की जन्म दर पाकिस्तान में है और पांच वर्ष से कम आयु के 68 प्रतिशत बच्चे भोजन की कमी का शिकार हैं। इसके अलावा सबसे भयानक बात यह है कि पूरी दुनिया में बच्चे को जन्म देने के समय मांओं और बच्चों की होती मौतों की दर पाकिस्तान में सबसे अधिक रही है। यह आंकड़े साफ बता रहे हैं कि स्वास्थ्य और भोजन की समस्या पाकिस्तान में बड़ी होती जा रही है और कोई भी सरकार इन मुद्दों को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकती और यदि वह ऐसा करेगी तो इससे बड़ा अपराध अन्य कोई नहीं होगा।  अर्थ-व्यवस्था की बात करें तो स्थिति बुरी खबर से बाहर निकलती नहीं नज़र आ रही है। कारोबारी लोग मांग कर रहे हैं कि सरकार अपनी नीति साफ करे क्योंकि हालात के हर गुज़रते पल से मुश्किलें और बढ़ रही हैं। दूसरी तरफ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ.) और ऋण देने के लिए पाकिस्तान पर कड़ी शर्तें लागू कर रहा है, जिस कारण इमरान खान की सरकार के लिए ऋण लेने का ही इम्तिहान बना हुआ है। वित्त मंत्री असद उमेर सरकार में आने से पहले आई.एम.एफ. से ऋण लेने के पक्ष में नहीं थे, परन्तु अब वह ऋण लेने को मजबूरी करार दे रहे हैं और कह रहे हैं कि ऋण लिए बिना हमारा गुज़ारा सम्भव नहीं है। हम शीघ्र ही आई.एम.एफ. के साथ बातचीत शुरू करेंगे, परन्तु आई.एम.एफ. छोटे बजट तथा टैक्सों की भरमार करने के बावजूद इमरान सरकार से खुश नहीं है और बिजली, गैस की कीमतों में वृद्धि को नाम मात्र कह रही है। पाकिस्तान में आर्थिक विश्लेषक सरकार को सलाह दे रहे हैं कि आई.एम.एफ. के जाल में फंसने की अपेक्षा आर्थिक संकट हल करने के लिए चीन, सऊदी अरब तथा यू.ए.ई. और प्रवासी पाकिस्तानियों से मदद ले तथा साथ-साथ मनी लांड्रिंग रोके और भ्रष्टाचार में फंसे पैसे की भी वसूली करे। राजनीतिक स्थिति की बात करें तो मुस्लिम लीग (नवाज़) का तो इम्तिहान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा। उनके प्रमुख नेताओं पर केस बनने का सिलसिला जारी है और गिरफ्तारियां भी जारी हैं। नवाज़ शरीफ, मरियम नवाज़ तथा कैप्टन (सेवानिवृत्त) सफदर को तो ज़मानतें मिली हैं परन्तु नैशनल अकाऊंटेबिलिटी ब्यूरो ने राष्ट्रीय असैम्बली के विपक्ष के नेता और मुस्लिम लीग (नवाज़) के प्रधान शाहबाज़ शऱीफ को गिरफ्तार कर लिया है। इस गिरफ्तारी से पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) बेहद नाराज़ है। नवाज़ शऱीफ की अपने छोटे भाई के साथ मुलाकात की मांग भी रद्द कर दी गई है। नवाज़ शऱीफ ने सरकार को सुचेत किया कि ‘जिस तरह करोगे उसी तरह भरोगे, सरकार जो आज कर रही है कल को अपनी इस तरह की स्थिति के लिए तैयार रहना पड़ेगा।’ शाहबाज़ शऱीफ के बेटे हमज़ा शाहबाज़ जो इस समय पंजाब असैम्बली में विपक्ष के नेता भी हैं ने कहा है कि ‘शाहबाज़ शऱीफ की गिरफ्तारी लोकतंत्र के सीने पर घाव है’ पूर्व प्रधानमंत्री शाहिद खकान अब्बासी ने कहा है कि ‘शाहबाज़ की गिरफ्तारी से उप-चुनावों में रैगिंग को उत्साह मिलेगा। सिर्फ पाकिस्तान मुस्लिम लीग को ही निशाना बनाया जा रहा है।’ प्रधानमंत्री इमरान खान ने विपक्ष की नाराज़गी का जवाब स्वयं मीडिया के सामने आकर दिया है। उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी पहली कांफ्रैंस लाहौर में की और सारी स्थिति पर खुलकर विचार रखे और साफ शब्दों में कहा है कि ‘मैंने जनता के साथ वादा किया है कि मैं किसी भी भ्रष्टाचारी को नहीं छोड़ूंगा, किसी ने विरोध करना है तो करे।’ उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान पीपल्ज़ पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग मिल कर उप-चुनाव लड़ रही हैं। दोनों पार्टियों ने यूनियन बना ली है, परन्तु मैंने पीछे नहीं हटना। 28 हज़ार अरब रुपए के ऋण का मतलब है कि हालात बहुत खराब हैं। हम कई विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। बिजली का घाटा 1200 अरब का है, गैस क्षेत्र में 157 अरब का घाटा है, बिजली क्षेत्र में ऋण कभी इतना बड़ा नहीं होता था। बिजली महंगी नहीं करेंगे तो ऋण और बढ़ेगा और बिजली क्षेत्र के लिए बैंक ऋण देने को तैयार नहीं हैं। पाकिस्तान के इतिहास में ऋण की इतनी बड़ी छलांग नज़र नहीं आती।  पाकिस्तान स्टील पर 187 अरब रुपए का ऋण है, पी.आई.ए. पर 358 अरब का ऋण है। 2013 से 2018 तक पाकिस्तान का ऋण 28 हज़ार अरब तक पहुंच गया। सिर्फ 70 हज़ार लोग टैक्स देते हैं। मैं 22 वर्षों से कह रहा हूं कि पाकिस्तान का सबसे बड़ा मामला भ्रष्टाचार है। अभी हमारी नीति नहीं बनी। 100 दिन के बाद बनाएंगे... देश का बच्चा-बच्चा मजबूर है, सिर्फ भ्रष्टाचार पर काबू पा लिया जाए तो देश के हालात बेहतर हो सकते हैं। हमने पाकिस्तान से बाहर पाकिस्तानियों की 10 हज़ार अवैध सम्पत्तियां पकड़ी हैं। सिर्फ दुबई में गत 4 वर्षों में 9 अरब डॉलर की सम्पत्ति बनाई गई है। मेरी सरकार बाहर गए सभी पैसे वापिस लाएगी। 100 दिन पूरे होंगे तो सभी को बदलाव नज़र आएगा। शऱीफ परिवार पर भ्रष्टाचार के केसों का फैसला अदालत ने करना है। इमरान खान तथा उनकी सरकार क्या कर रही है  इसका फैसला जनता ने करना है। हमने अब तक की तस्वीर संक्षिप्त रूप में अपने पाठकों के समक्ष रख दी है कि पाकिस्तान में ‘यह क्या हो रहा है...’ परन्तु उम्मीद की जा सकती है कि जो कुछ भी हो रहा है बेहतरी के लिए ही हो रहा है और सभी राजनीतिक पार्टियों को पाकिस्तान के बेहतर भविष्य के लिए साफ और पारदर्शी होना ही पड़ेगा।