जब नेपोलियन ने बर्फ का किला बनाया

नेपोलियन तब दस साल का था, जब पढ़ने के लिए जंगी पाठशाला भेजा गया। वहां भी उसने चुपचाप पढ़कर योग्यता प्राप्त की। उसके विद्यार्थी जीवन में ही इतनी बर्फ गिरी कि इसके पहले कभी इतनी बर्फ न गिरी थी। पाठशाला के विद्यार्थी बाहर नहीं निकला करते थे। 
नेपोलियन भला कब मानने वाला था। उसने अपने मनोरंजन के लिए एक अच्छा बर्फ का किला बनाया। हां, जितनी शिल्प-कला उसने सीखी थी, उसका समावेश उसने किया था। किला बनते समय सैकड़ों लड़के काम करते थे। किसका साहस था कि वह कहे और काम न करे।
बर्फ का किला बनकर तैयार हुआ तो हजारों नगर निवासी देखने के लिए उमड़ आये। नेपोलियन ने अपने साथियों के दो दल तैयार किए। एक दल किले की रक्षा के लिए भीतर रहा, दूसरा दल बाहर से धावा करने लगा। नेपोलियन सेनानायक बना। वह कभी पहले दल का नायक बन जाता, कभी दूसरे दल का। वह लड़ाई बहुत दिनों तक चलती रही। बहुत लोग घायल भी हुए। एक बार अन्धाधुंध बर्फ के टुकड़े फेंके गये। एक छोटे अफसर ने एक बड़े अफसर का आदेश न माना तो बड़ा कोहराम मचा। नेपोलियन ने उसे पटक दिया और ऐसा मारा कि उसके चेहरे पर चोटों के निशान उभर आए। इस तरह नेपोलियन के जीवन का विकास हुआ और एक शक्तिशाली सम्राट बना।

—कमल सोगानी