इश्क  के मोर्चे पर आम आदमी की तरह हारता रहा नेपोलियन बोनापार्ट

दुनिया में जब भी महान् योद्धाओं का ज़िक्र होगा, वह नेपोलियन बोनापार्ट के ज़िक्र के बिना पूरा नहीं होगा। कहते हैं किसी योद्धा में जो सर्वश्रेष्ठ चार गुण होने चाहिएं, वो चारों गुण नेपोलियन बोनापार्ट में थे। वह बेहद महत्वाकांक्षी, चतुर दिमाग रखने वाला, दूरगार्मी सोच का स्वामी और अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहने वाला योद्धा था। आधुनिक यूरोपीय इतिहास में वह पहला महायोद्धा था, जिसने फ्रांस, इटली तथा यूरोप के ज्यादातर हिस्सों में अपना अधिकार जमा लिया था। फ्रांस की सेना में नेपोलियन एक साधारण सैनिक के रूप में भर्ती हुआ था, लेकिन अपनी अद्भुत प्रतिभा के चलते उसने सेना का सर्वोच्च पद हासिल किया और फिर यूरोप का सर्वकालिक महान् शासक बना। अगर उस अंतिम युद्ध को छोड़ दें जिसमें धोखे से नेपोलियन हार गया, तो उसने जीवन में बड़े से बड़े युद्धों में पूरी तरह से मात नहीं खायी। लेकिन यही महान योद्धा इश्क के मोर्चे में एक मामूली सिपाही की तरह एक नहीं दो-दो बार बहुत बुरी तरह से हारा।नेपोलियन की पहली शादी उनसे छह साल बड़ी जोसोफिन डी ब्युहार्नेस से हुई थी। जोसेफिन से उनकी मुलाकात और फिर प्यार में डूब जाना सब कुछ किसी फिल्म की कहानी जैसा है। नेपोलियन बोनापार्ट जब फ्रांस की सेना के ब्रिगेडियर जरनल थे,तो फ्रांसीसी क्रांति के बाद उनके आदेश पर पेरिस के लोगों को डी-आर्म यानी नि:शस्त्र किया जा रहा था। आदेश दिया गया था कि जिस भी किसी के पास जो भी हथियार है, उसे सेना को सौंप दिया जाए। नेपोलियन खुद इस काम को अपनी देखरेख में करा रहे थे। एक दिन जब पेरिसवासियों की लंबी लंबी कतारें अपने तमाम व्यक्तिगत हथियारों को सेना को सौंप रही थीं, उसी समय नेपोलियन ने देखा एक 14 साल का लड़का भीड़ में खड़े बार-बार अपने आंसू  पोंछ रहा है। जब काफी देर तक नेपोलियन लड़के को इस कद्र रोते देखते रहे, वह उसके पास गये और बोले, ‘तुम कौन हो और इस तरह क्यों रो रहे हो?’ उस पर उस किशोर ने कहा मेरा नाम यूजीन है, मेरे पिता अलेक्सांद्र बोहार्ने सेना द्वारा मारे गये हैं और अब आप मुझसे अपने पिता की आखिरी निशानी ये तलवार भी छीन लेना चाहते हैं। महान् योद्धा लेकिन नरम दिल का स्वामी बोनापार्ट लड़के की इस बात से बहुत भावुक हो गया, उसने उसे अपनी तलवार वापस लेकर जाने का आदेश दे दिया। अगले दिन जब इसी प्रक्रिया के तहत फ्रांसीसी सेनाएं आम लोगों से हथियार ले रही थीं और नेपोलियन इस पूरी कार्यवाही को घूमकर देख रहा था। तभी एक बेहद खूबसूरत महिला ने उनके पास आकर कहा, ‘आपका बहुत-बहुत शुक्रिया, आपने मेरे बेटे को उसके पिता की तलवार अपने पास रखने की अनुमति दी है। मैं आपकी इस दयालुता को कभी नहीं भूल सकती।’नेपोलियन पर यूजीन की बेहद खूबसूरत मां ने मानो जादू कर दिया। नेपोलियन बोनापार्ट अपने से छह साल बड़ी इस महिला की खूबसूरती को बस देखता ही रह गया। आगे की कहानी पूरी दुनिया जानती है कि सारी बाधाओं को एक तरफ करके नेपोलियन ने जोसोफिन से पहले प्यार और फिर शादी कर ली। लेकिन महान् नेपोलियन का यह दुर्भाग्य ही रहा कि जोसोफिन ने उसे कभी दिल से प्यार नहीं किया, बस अपने फायदे के लिए प्यार का नाटक करती रही। इसलिए जैसे ही नेपोलियन अपने युद्ध अभियान के लिए फ्रांस से बाहर गया, जोसेफिन खुलकर बेवफाई पर उतर आयी। नेपोलियन जोसेफिन को इतना ज्यादा प्यार करता था कि वह हर दिन युद्धभूमि से जोसेफिन के नाम एक पत्र लिखता और वह पत्र सैनिकों के ज़रिये जोसेफिन तक पहुंचता। लेकिन जोसोफिन को नेपोलियन का यह प्यार उस पर मर मिटने के लिए तैयार नहीं कर सका। वह कभी-कभार ही नेपोलियन को पत्र का जवाब देती और वह भी इतना संक्षिप्त और औपचारिक कि नेपोलियन दिल मसोसकर रह जाता। जब जोसेफिन को लगा कि अभी नेपोलियन जल्दी घर नहीं लौट सकता, तो वह अपने एक पूर्व प्रेमी हिपोलित चार्ल्स  के प्रेम पाश में बंध गई, जो नेपोलियन की सेना का ही एक अधिकारी था। प्रेम के किस्से कभी छिपते तो हैं नहीं। आखिरकार नेपोलियन तक भी पहुंचे और पूरे फ्रांस में एक तरह से उसका मज़ाक उड़ने लगा कि खुद को महान् योद्धा कहने वाले नेपोलियन से उसकी पत्नी तक नहीं संभाली जाती। नेपोलियन खुद को लेकर इस तरह की चर्चाओं से बहुत आहत हुआ। उसने सैनिकों को भेजकर पत्नी जोसेफिन को अपने पास बुलाया, लेकिन महलों में रहने की आदी जोसोफिन ने पहले तो युद्धभूमि में जाकर पति के साथ रहने से इंकार कर दिया लेकिन जब उस पर नेपोलियन के सख्त आदेश का दबाव बना तो उसने नेपोलियन के पास जाकर रहना स्वीकार कर लिया। लेकिन उसने नेपोलियन से यह इजाजत ले ली कि युद्धभूमि में रहने के दौरान भी वह अपनी सेविकाओं को भी साथ में रखेगी। नेपोलियन को एतराज नहीं था, लेकिन इसके पीछे एक षड्यंत्र था। दरअसल जोसोफिन अपने प्रेमी हिपोलित को सेविका बनाकर चुपचाप रखने की कोशिश कर रही थी। लेकिन नेपोलियन की सजग सैन्य व्यवस्था में हिपोलित पहली घड़ी में ही पकड़ा गया और उसका सर कलम करने का आदेश हो गया। मगर जोसोफिन ने नेपोलियन के कदमों मेें गिरकर खूब माफी मांगा, रोयी-धोयी और अंतत: उसने अपने प्रेमी को जीवनदान दिलवा दिया। हालांकि इसके बाद जोसोफिन ने कई सालों तक नेपोलियन के साथ प्रेम का नाटक किया, मगर जल्द ही यह नाटक एक बार फिर पकड़ा गया, जब नेपोलियन के भाई ने जोसोफिन और हिपोलित को रंगे हाथों पकड़ा। अब मृत्युदंड के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लेकिन नेपोलियन का मन जोसोफिन से टूट चुका था। मगर अब भी वह उसे बहुत प्यार करता था। इसलिए उसने जोसोफिन और उसके प्रेमी को मृत्युदंड नहीं दिया बल्कि जोसोफिन को इजाजत दे दी कि वह अपने प्रेमी के साथ जाकर जीवन गुज़ारे। यही नहीं इतिहासकारों के मुताबिक नेपोलियन ने अपनी पत्नी को दुल्हन की तरह सजाकर हिपोलित के साथ भेज दिया। लेकिन अपनी पत्नी को तमाम विश्वासघातों के बावजूद नेपोलियन लंबे समय तक नहीं भूला। जोसोफिन को त्यागने के बाद नेपोलियन ने लंबे समय तक किसी से न प्रेम किया, न शादी। लेकिन कई सालों के बाद एक बार फिर से उसे ऑस्ट्रिया के सम्राट् फ्रांसिस की बेटी मैरी लूसी से प्यार हो गया और बाद में उसने उसके साथ शादी भी कर ली। लेकिन दुनिया का यह महान योद्धा एक बार फिर से अपनी कथित प्रेमिका और पत्नी लूसी से छला गया। लूसी का भी एक प्रेमी था और वह अपने पिता को भी बहुत चाहती थी। अत: षड्यंत्रपूर्ण ढंग से लूसी ने अपने प्रेमी और पिता से मिलकर नेपोलियन को वाटरलू की लड़ाई में भेज दिया, जहां नेपोलियन परास्त हुआ और जीवनभर एक अंधे द्वीप में घुट घुटकर मरा, जबकि नेपोलियन की पत्नी ने लूसी एडम अल्ब्रेज नाम के उस काउंट के साथ शादी कर ली। इस तरह महान सेनानायक और सफलता का किंवदंती स्वामी नेपोलियन बोनापार्ट इश्क के मोर्चे पर एक आम आदमी की तरह बार बार हारा और कभी प्यार नहीं पा सका। -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर