एक जानी-पहचानी कहानी का पुनर्लेखन


एक पंजाबी लोकोक्ति का अर्थ आप हमें समझाने पर क्यों उतारु हो गये। आपने फरमाया कोई मरे या जिये, सुथरा घोल कर बताशा पी जाये। ‘भाई यह सुथरा साहिब’ कौन हैं? वही जो चौराहे पर लगे फ्लैक्सी बोर्ड में से हाथ जोड़ कर झांकते हुए आपकी ओर देख कर मुस्कुरा रहे हैं। इधर दशहरे का रावण जल रहा था। बरसों से सुनते आये हैं, वह देखो बदी जल गई, और नेकी मुस्कुरा दी।
जला तो अवश्य कुछ न कुछ। सामने ऊंची रेल की पटरी पर एक बड़ा मजमा इस बदी को जलते देखने आया था। अचानक काल की गति से तेज भागती हुई रेल आ गई। वह मजमा उसके मौतों के हरकारों जैसे पहियों के नीचे कट मरा। हम लोगों के इस ढेर में से कैसे बच गये? नहीं जानते। हमारे बदन पर मरे हुए लोगों के बाजू और अंग छितरा गये थे। हम उसे किस प्रकार झाड़ कर उठ बैठे।
अपनी बदहवासी में हमने देखा, सामने रावण का पुतला जल रहा था, लेकिन मंच पर भद्र लोगों का महिमांडन करने वाले भोंपू गायब थे। हारों से लदे फदे ने भद्रजन कहां हैं, कोई अता-पता नहीं। हमारे आस-पास चीत्कार और आतर्नाद का कोलाहल जारी था। हम तो बदी जलाने आए थे। पुतला जल गया, लेकिन आयोजक अभी भी फ्लैक्सी बोर्ड में हाथ जोड़ कर अभिवादन स्वीकार रहे हैं। देखते ही देखते वह छोटा-सा मैदान खाली हो गया, अभी तो यहां तिल धरने की भी जगह नहीं थी।
उधर रेल पटरी पर पड़ी क्षत-विक्षत लाशें चुप हैं। अभी कुछ समय पहले तो वे बदी को जलता देखने आए थे, खुद ही ज़िन्दगी से जुदा हो गया। सन्नाटा पसरने लगा, सिवा फ्लैक्सी बोर्ड पर मुस्कराते हुए भद्रजन के जो अभी हारों से लदे-फदे अपनी वक्तृता का चमत्कार दिखा रहे थे। चमत्कार नहीं रहा अब इस लोकोक्ति का क्या करें। यहां तो लग मरे ही मरे, कोई जीता नज़र नहीं आता। सुथरा साहिब कहां हैं? साफ-सुथरे अर्थात् स्वच्छ भारत का नेतृत्व करने वाले। वह घोल कर बताशा नहीं पी रहे। आजकल बताशें कौन पीता है? उनकी मुस्कराहट ने रेल पटरी से उठती हुई चीखों को भी समेट लिया। मुस्करहाट कुटित होती चली गई, लेकिन सिर्फ फ्लैक्सी बोर्ड पर। अभी कुछ दिन वह सप्राण कहीं और नज़र आएगी। केवल उनके कारिंदे एक कागज़ मीडिया के कैमरों के सामने फड़फड़ायेंगे, जिसमें लिखा रहेगा, कि इस बद-इंतजाम की इजाज़त पहले ले ली गई थी। अब इस मुद्दे पर बहस हो रही है कि इजाज़त का कागज़ है भी या नहीं? वह सही कोनों तक पहुंचा भी या नहीं?
जनाब, अकबर इलाहाबादी होते तो शायद अपना लिखा संशोधित कर देते कि हाकिम को बहुत चिंता है, लेकिन अपना खेल दिखाने के बाद।
हम सोचा करते थे कि यह कैसे सम्भव है कि उसका रोम जल रहा है, और बादशाह नीरो केवल बांसुरी बजाता रहे। आज उस संकरे मैदान से निकल कर बाहर आए तो पाया कि वहां न जाने कितने नीरो थे, जो मीडिया के कैमरे के सामने अपनी-अपनी बांसुरी पर अपना-अपना राग अलाप रहे थे।
एक सज्जन चिल्लाए, दोषी कौन है, पहले उसे तो तलाश कर लो। अंदर जाओ, मंच खाली है, वहां केवल कुचले हुए फूल पड़े हैं। कानून के रखवाले जो पहले भद्र अतिथि का स्वागत करते हुए एड़ियां बजा रहे थे, अब रेल पटरी पर मुर्दों के बीच अपने घायल टटोलती भीड़ पर व्यवस्था बनाने के लिए अपनी डांट ऊपर के बेंत बरसा रहे थे। काश! जब यह अभिशक्त भीड़ वहां इकट्ठी हुई थी, तो उसे हटाने के लिए ये बेंत वहां बरसा दिये जाते। लेकिन ऐसा तो नहीं होता है न। अपने यहां तो सांप निकल लकीर पीटने की पुरानी परम्परा है। 
बाहर मीडिया कैमरों के सामने उनकी बांसुरी बजती रही, जिसकी धुन एक ही थी, मेरा दामन पाक और साफ। लेकिन तेरी कमीज़ बहुत मैली कुचैली। अब जब सब पाक दामन हों तो पर्चा किसके खिलाफ दर्ज होता? जनाब, उस दिन इतनी लाशें कट गिरीं घायलों की चीखो-पुकार से अस्पतालों की दीवारें हिल गईं, लेकिन पुलिस का पर्चा इसके दोषी तलाश नहीं कर पाया। पर्चा अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज होता है, कहीं रह जाता है। लगता है बीच बाज़ार से लखनऊ में वाजिद अली शाह के आखिरी दिन याद दिलाये जा रहे हैं, जब अंग्रेज़ी कुमक ने बढ़ कर इनके मुल्क ही नहीं महल पर भी कब्ज़ा कर लिया था, लेकिन वह अपने मुसाहिबों और प्रतियोगियों के साथ शतरंज बिछा कर बैठे रहे। यहां भी अपने-अपने प्यादों के साथ दूसरे का वज़ीर मारने की कोशिश हो रही है। एड़ियां बजाने वाली पुलिस ने कहा, हम दोषी नहीं, अंधाधुंध रेल गाड़ी भगाने वाला क्या बताये, वह तो कहीं गायब ही हो गया। रेल फाटक बंद करने वाला मासूम था, क्योंकि उसने रेल जाब्ते के अनुसार पूरी कार्रवाई की थी। उधर आयोजक ने मंजूरी का कागज़ फिर दिखाया, हमने इजाज़त लेकर यह सब किया था। बड़ा अफसर सिर हिलाता है, ‘हम तक यह कागज़ पहुंचा ही नहीं।’ हैरानी की क्या बात है। यहां वही लाल फीताशाही का पुराना भूसे का ढेर है, और आप इसमें कार्यपालिका तलाश कर रहे हैं?
बेहतर है सब चीखें पीछे छोड़ बीच बाज़ार चले जाओ, वहां एक नये प्रेम चंद शतरंज के खिलाड़ी नाम की कहानी दोबारा लिख रहे हैं। उसे पढ़ो।