प्रिया पूनिया की सफलता


प्रिया पूनिया क्रिकेट खेलना चाहती थीं, केवल शौक के लिए नहीं बल्कि उनका लक्ष्य देश का प्रतिनिधित्व करने का था। उनके पिता सुरेन्द्र पूनिया सर्वे ऑफ इंडिया में क्लर्क हैं। दिल्ली में तैनात थे, इसलिए प्रिया के लिए क्रिकेट खेलना व नियमित प्रैक्टिस करना कोई कठिन काम न था। लेकिन 2016 में सुरेन्द्र का ट्रांसफर दिल्ली से जयपुर हो गया और प्रिया के लिए समस्या उत्पन्न हुई कि वह बल्लेबाजी कहां करें? वह एक अकादमी में प्रवेश लेना चाहती थीं, लेकिन कोच ने उन्हें उपहास भरी दृष्टि से देखा और लगभग अपमानित करते हुए कहा, ‘एक लड़की क्या कर सकती है?’ आश्चर्य यह है कि यह घटना उस समय हुई जब प्रिया टीम इंडिया में प्रवेश के लिए दस्तक दे रही थी। बहरहाल, इस कष्टदायक अनुभव के बारे में प्रिया बताती हैं, ‘कोच के बर्ताव से मुझे बहुत दु:ख हुआ। आज के आधुनिक युग में भी एक लड़की के लिए इतना तिरस्कार? मैंने तय किया कि मैं अकादमी का हिस्सा नहीं बनूंगी। एक लड़की होने के नाते मैं इस अपमान को बर्दाश्त नहीं कर सकती थी।’ इस अपमान ने प्रिया के इरादों को और पुख्ता कर दिया। अब वह दुनिया को बताना चाहती थीं कि एक लड़की क्या कर सकती है? वह देश का प्रतिनिधित्व कर सकती है, सितारा बन सकती है। मगर कैसे?
...और अब प्रिया के पिता ने उनके लिए एक क्रिकेट ग्राऊंड ही तैयार कर दिया ताकि वह ट्रेनिंग कर सकें। नतीजा? प्रिया को 21 दिसम्बर को न्यूजीलैंड के दौरे पर जाने वाली भारतीय टी-20 टीम के लिए बतौर सलामी बल्लेबाज चुना गया है। 22 वर्षीय प्रिया कहती हैं, ‘मैं आशा करती हूं कि अब मेरे पिता अपने प्रयासों की सफलता पर गर्व कर सकते हैं।’ निश्चितरूप से। एक बड़े व्यापारी को  अपने बच्चों के लिए टेनिस कोर्ट या शूटिंग रेंज का निर्माण करा देना कोई बड़ी बात नहीं है क्योंकि उसके पास साधनों का अभाव नहीं होता है, लेकिन एक सरकारी क्लर्क के लिए ऐसा करना असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है, विशेषकर इसलिए कि बहुत सी निगाहें सवाल करने लगती हैं कि पैसा कहां से आया? 
राजस्थान के सलीम दुर्रानी की तरह जयपुर की प्रिया भी लम्बे लम्बे छक्के मारने के लिए विख्यात हैं। शानदार घरेलू सत्र के बाद प्रिया को आशा थी कि 2015 में ही उन्हें भारतीय टीम के लिए चुन लिया जायेगा। उस सत्र में उन्होंने नार्थ जोन के लिए खेलते हुए वैस्ट जोन के विरुद्ध शानदार 95 रन बनाये थे और साथ ही इंडिया ए के लिए भ्रमणकारी न्यूजीलैंड के खिलाफ 42 गेंदों में 59 रन बनाये थे, जो मेजबानों के लिए सर्वाधिक एकल स्कोर था। उस पारी में चयनकर्ताओं का ध्यान विशेष रूप से प्रिया के संयम व आत्मविश्वास पर गया था, जब वह नंबर 3 पर बल्लेबाजी करने के लिए आई थीं। 
प्रिया बताती हैं, ‘मुझे विश्वास था कि मेरा टीम में चयन हो जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुझे निराशा हुई, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी। मैं जानती थी कि मेरा समय आयेगा।’ और प्रिया का समय आ गया। दिलचस्प बात यह है कि सुरेन्द्र भी देश के लिए खेलने की इच्छा रखते थे। अब वह अपनी बेटी के माध्यम से अपने सपनों को साकार होते हुए देखना चाहते हैं बल्कि देख रहे हैं। प्रिया मूलत: राजस्थान में चुरू की रहने वाली हैं। वह घरेलू सर्किट में दिल्ली की तरफ  से खेलती हैं और पिछले दो सत्र से अपनी टीम के लिए सबसे ज्यादा रन बना रही हैं। इस सत्र में वह दो शतक लगा चुकी हैं। वह कहती हैं, ‘मुझे एक दिवसीय टीम का हिस्सा बनने की उम्मीद थी, लेकिन जो भी अवसर मुझे मिल रहे हैं मैं उनका भरपूर लाभ उठाना चाहती हूं ताकि अंतर्राष्ट्रीय मंच पर अच्छा प्रदर्शन कर सकूं।’ -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर
-सारिम अन्ना