चीन की हरकतें बढ़ा रही हैं शक...!


इसमें कोई दो राय नहीं कि मार्च 2021 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञों ने चीनी वैज्ञानिकों के साथ मिलकर करीब एक महीने तक ‘कोरोना वायरस कहां से आया?’ के संबंध में जो जांच की थी, उस रिपोर्ट में कहा गया है कि लैब में इसके बने होने की आशंका बहुत ही कम है। लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस संबंध में यह आखिरी निष्कर्ष नहीं है। इसमें अभी और ज्यादा शोध की ज़रूरत है। शायद इसीलिए अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमरीकी इंटेलिजेंस एजेंसियों को आदेश दिया है कि वे 90 दिनों के अंदर यह पता लगाएं कि कोरोना वायरस कहां से फैला? अमरीकी स्वास्थ्य मंत्री जेवियर बेसेरा ने भी वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में विश्व स्वास्थ्य संगठन से कहा है कि कोरोना वायरस कहां से फैला, इसकी जांच का दूसरा चरण बिल्कुल पारदर्शी होना चाहिए। 
गौरतलब है कि हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोरोना वायरस के संबंध में की गई जांच रिपोर्ट को अमरीका के एक अखबार वॉल स्ट्रीट जर्नल ने तब शक के दायरे में ला दिया था, जब उसने अमरीकी इंटेलिजेंस के हवाले से इस बात का खुलासा किया कि नवम्बर 2019 में वुहान वायरोलॉजी लैब के 3 सदस्यों को कोविड जैसे लक्षणों से ग्रस्त पाया गया था। इन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था मगर चीन ने इस जानकारी को पूरी दुनिया से ही नहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में वैज्ञानिकों के उस जांच दल से भी छिपाया, जो फरवरी-मार्च 2021 में कोरोना वायरस की पैदाइश के अध्ययन के लिए वुहान में था। कोरोना के चीनी लैब में पैदा होने को लेकर अमरीका द्वारा चीन पर लगाये गये आरोपों में भले ठोस दम न दिख रहा हो, लेकिन यह भी देखा जा रहा है कि चीन कोरोना की पैदाइश को लेकर की जा रही जांच पड़ताल में सहयोग नहीं कर रहा है। वह ऐसी पारदर्शिता भी नहीं दिखा रहा, जैसी की ज़रूरत है। इससे भी बड़ी बात यह है कि चीन की हरकतें कहीं न कहीं शक पैदा करती हैं। इसे दो बातों से समझा जा सकता है। मई 2021 में चीन में पर्यटकों का हुजूम इस कदर उमड़ा, कि दुनिया देखकर दंग रह गई। मालूम हो कि मई के शुरुआत में चीन में 5 दिनों की राष्ट्रीय छुट्टियां होती हैं। इस बार इन छुट्टियों में चीन के करीब 23 करोड़ लोग अपने घरों से पर्यटन के लिए निकले। यह संख्या जहां पिछले साल के मुकाबले 120 फीसदी से ज्यादा थी, वहीं साल 2018 और 2019 से भी 5 से 6 प्रतिशत ज्यादा थी।
सवाल है जब पूरी दुनिया में लोग कोरोना की दहशत से घरों में कैद हैं तो आखिर चीनियों के मनोविज्ञान में इस किस्म की बेफिक्री क्यों है? चीन के वुहान शहर में जिस तरह छुट्टियां मनाने हेतु पर्यटकों का हुजूम उमड़ा, उसे देखकर लगता है मानो चीनियों को पता हो कि उनका कोरोना कुछ नहीं बिगाड़ सकता। बड़े पैमाने पर चीनी लोगों ने इस दौरान मास्क भी नहीं लगा रखा था। रेस्टोरेंट खचाखच भरे हुए थे। होटलों में पैर रखने की जगह तक नहीं थी और फ्लाइटें लगातार 100 फीसदी भरकर उड़ रही थीं। चीनियों की यह बेफिक्री अपने में कोई राज तो नहीं छिपाये। हालांकि भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय का यह आरोप राजनीतिक लगता है, जिसमें वह कहते हैं कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर चीन की गहरी साज़िश थी।  लेकिन यह तो सोचा ही जा सकता है कि जब भारत कोरोना के चक्रव्यूह में पूरी तरह से घिरा हुआ है, ठीक उन्हीं दिनों पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल व भूटान इस आतंक से मुक्त हैं। इसलिए लगता है, कहीं न कहीं भारत के विरुद्ध कुछ षड्यंत्रपूर्ण त्रासदी हुई है।  
चीन की यह हरकत भी शक पैदा करती है कि जब कोरोना वायरस की पैदाइश को लेकर उस पर कोई अंगुली उठाता है तो वह उल्टे उसे ही इसके लिए दोषी ठहराने की कोशिश करता है। मसलन जब अमरीका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की जांच रिपोर्ट पर असंतोष जताया और अमरीकी इंटेलिजेंस एजेंसियों से 90 दिनों में इसका सही सही पता लगाने के लिए कहा तो चीन बौखलाकर अमरीका पर ही कोविड-19 के पैदान करने का आरोप लगाने लगा। 
बहरहाल इस पूरे मामले में अमरीका का भी रवैय्या संदेह से भरा है। अमरीका के मौजूदा राष्ट्रपति सत्ता संभालते समय कहा था कि अगले एक महीने में हमें कोरोना वायरस की पैदाइश का सारा सच मिल जायेगा। फिर इसमें कुछ दिन बढ़ा दिये गये और अब देखा जाए तो अमरीका दो बातें कर रहा है। एक तो यह बताने और दिखाने की कोशिश कर रहा है कि उसके पास फंड की कमी है, इसलिए सुचारू रूप से जांच नहीं हो पा रही। दूसरी अमरीका की हरकत यह है कि वह खुद इस जांच से पल्ला झाड़ना चाहता है वह विश्व स्वास्थ्य संगठन के सिर पर ही सारी सिरदर्दी लादना चाहता है। 
बहरहाल भारत पहली बार इस आरोप के मैदान में उतरा है। भारतीय प्रवक्ता ने जोर देकर कहा है कि कोरोना वायरस की पैदाइश को लेकर व्यापक पारदर्शी और ठोस तथ्यों सहित जांच होनी चाहिए। चीन हमारी इस मांग से सीधे सीधे तो आपा नहीं खोया, लेकिन वही हरकतें सरकारी इशारे पर चीनी लोग करने पर उतारू हो गये हैं, जो हरकतें कुछ दिन पहले चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने की थी, जिसमें अंतरिक्ष में अपने रॉकेट की उड़ान से जहां वह खुद को गर्वित दिखा रहा था, वहीं भारत में जलती चिताओं की तस्वीरों से हमारा मज़ाक उड़ाने की कोशिश कर रहा था। हालांकि मजाक चीन का उड़ गया, क्योंकि उसका रॉकेट कुछ मिनटों की उड़ान के बाद ही अंतरिक्ष का रास्ता भूलकर धड़ाम से समुद्र में जा गिरा।
-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर