तकनीक से खेलो, ओलम्पिक पदक तालिका में होंगे ऊपर

ब्रिटेन ने एक स्वर्ण पदक तक खिसक कर जो उपाय अपनाया और एक से 11 तक पहुंचा हमें भी वह उपाय अपनाना होगा। अमरीका जिसके सहारे 93 से 121 तक की बढ़ोतरी की हमें उसी रास्ते पर चलना होगा। हमारे खिलाड़ी दर्जन भर से ज्यादा पदक लाने में सक्षम हैं बशर्ते उन्हें सर्वोत्तम तकनीक सहायता मिले। टैक्नोलॉजी डोपिंग के हल्लेगुल्ले को बढ़ा कर हम अमीर देशों को इसके इस्तेमाल से रोकें, जो बहुत मुश्किल है या फिर इस शोर के बावजूद हमें इस रास्ते पर बढ़ना ही होगा तभी 2032 के ब्रिस्ब्रेन ओलम्पिक में हम अपने खिलाड़ियों से दहाई से ज्यादा पदक और पदक तालिका में 20 से ऊपर का स्थान लाने की सोच सकते हैं। 17 पदकों की उम्मीद के साथ हम टोक्यो गये। इन पंक्तियों के लिखे जाने तक सफर अभी आधा खत्म हुआ है और अब हमारी उम्मीद आधी हो चली है, 8 अगस्त के बाद हम अपने सर्वाधिक 6 पदकों के कीर्तिमान को तोड़कर वापस लौट रहे होंगे या नहीं इस पर निर्णायक तौर पर कुछ कहना कयास होगा। 125 साल के ओलंपिक इतिहास में हमारा सफर 2 से 6 पदकों तक पहुंचा भी तो क्रमिक तरीके से नहीं, बस एक बार 3 और 6 का आंकड़ा हमने छुआ बाकी हमें एक या दो पदकों से ही संतोष करना पड़ा है। हम आज़ाद भारत में कभी भी पदक तालिका में 20 से ऊपर न जा पाये, शायद इस बार भी यह परम्परा न टूटे, तो ज़ाहिर है खेलों के अंत में इस बात पर विलाप होना तय है कि जन और धन में जब हम संसार के अधिकतर देशों से बहुत आगे हैं तो पदकों के मामले में इतने पीछे क्यों? 1996 के अटलांटा ओलम्पिक में ग्रेट ब्रिटेन को महज एक स्वर्ण पदक और पदक तालिका में 36वां नंबर मिला,जबकि उसके पहले 1992 के बार्सीलोना ओलम्पिक में तो उसने पांच स्वर्ण हथियाये थे। यह भी उसकी उम्मीद से बहुत कम थे, पर एक स्वर्ण के बाद तो ब्रिटेन जैसे ही हताशा में बौखला गया। ऐसे में इंग्लिश इंस्टीट्यूट ऑफ  स्पोर्ट्स ने एक समझदारी भरा काम किया। उसने देश भर में पहले से मौजूद प्रशिक्षण केन्द्रों के अलावा 15 हाई परफॉरमैंस सैंटर खोले। ये बाकी प्रशिक्षण केंद्रों से इतर खेल प्रशिक्षण के अलावा खिलाड़ी अपने खेल प्रदर्शन को किस तरह सर्वोच्च बिंदु तक ले जायें इसका विशेष प्रशिक्षण देते थे और इसमें उनकी सहायक होती थी नव्यतम खेल तकनीकी। नतीजा यह हुआ कि अगले ही ओलम्पिक में एक स्वर्ण पदक 11 में बदल गया। आगे चल कर यह संख्या 30 के करीब पहुंच गई, पदक तालिका में भी ब्रिटेन जो 36वें नम्बर पर खिसक गया था10वें या फिर दस के भीतर आ गया।
अमरीकी ओलम्पिक कमेटी ने सन् 2000 में खेलों में तकनीकी को बड़े पैमाने पर समावेश करने की नीति बनाई और निचले स्तर की खेल प्रतियोगिताओं और प्रशिक्षण सत्रों में भी उच्चतम खेल तकनीकी का भरपूर इस्तेमाल किया। इस नीति का नतीजा अमरीका को 2012 के ओलम्पिक में 104 तो 2016 के ओलम्पिक में 121 पदक के तौर पर मिला जबकि सिडनी ओलम्पिक 2000 में वह 100 के नीचे ही सिमट गया था। आजकल खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और अभ्यास के दौरान उनकी खास तरह की रिकार्डिंग बताती है, उनके मांस-पेशियों को कितना बल और चाहिये और उसका डाइट प्लान कैसे बदला जाये, उनका ट्रेनिंग शैड्यूल कैसा रखा जाये, कितने समय में प्रदर्शन कितना सुधर सकता है। वीयरेबल टैक्नोलॉजी ऑग्युमेंटेट रियलिटी और थ्री डी मॉडिं्लग के जरिये खिलाड़ी की शारीरिक क्षमता को आंकते और प्रतिस्पर्धा के मुताबिक खिलाड़ी उसमें आपेक्षिक में बढ़ोतरी करता है और चोटों से बचा रहता है। यह तकनीक 2016 से ही ओलंपिक खिलाड़ी इस्तेमाल कर रहे हैं। 3 डी एथलीट ट्रेकिंग सिस्टम से दूसरे प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी के पैंतरे और हरकतें तथा रणनीति का रीयलटाइम अनालिसिस संभव है। हमारे खिलाड़ी स्पीडो स्विमसूट हो या एयरकूल जैकेट अथवा तिहरी कार्बन फाइबर प्लेट और अल्ट्रा कंप्रेस्ड फोम वाले वेपरफ्लाई जूते जो धावक के हर कदम को आगे ठेलते हैं भले ही पहन लें लेकिन वे उन बहुत सी उन्नत स्पोर्ट असिस्टेटिव टैक्नॉलॉजी से दूर हैं जो किसी खिलाड़ी को ओलम्पिक जैसे प्रतियोगिता के लिये उसके सामर्थ्य, क्षमता और कौशल के उच्चतम बिंदु पर पहुंचा सके और वह अपना उत्कृष्टतम प्रदर्शन कर सकें।   साफ  है कि खेल संसार में तकनीक उसके नियमों, आयोजनों सहित खेल के प्रदर्शन और परिणाम को भी प्रभावित कर रहा है। मशीनें और तकनीक मानवीय क्षमता को उसके उच्चतम बिंदु पर पहुंचने में सहायता कर रही हैं। हमें भी तमाम दूसरी खेल प्रविधियों के अलावा बायोमेकेनिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, आभासी वास्तविकता, होलोग्राफिक्स, नैनोटेक, रोबोटिक्स, बिग डाटा, डाटा कलेक्शन, डाटा एनॉलिसिस, क्लाउड कंप्यूटिंग, इलेक्ट्रो मेकेनिकल सिस्टम तथा थ्रीडी मॉडलिंग इत्यादि का अधिकाधिक इस्तेमाल करना होगा। आजकल कम्पनियां खेल और खिलाड़ियों के लिये खास तकनीकि कार्यक्रम और उनके लक्ष्य के अनुरूप प्रयुक्त होने वाली तकनीक और उपकरण तैयार कर रही हैं। सरकार इनकी दीर्घकालिक सेवा ले सकती है। इस क्षेत्र के नये खिलाड़ियों, निजी क्षेत्र को यह अवसर दे सकती है कि वह खेल तकनीक संबंधी उद्यम विकसित करें। टैक्नोलॉजी डोपिंग के आरोपों पर बहुत से कान इसलिये नहीं देंगे क्योंकि अमीरों का प्रभुत्व है इसलिये अगर हमें 2024 पेरिस ओलंपिक तक अपने पदकों की संख्या बढ़ानी है और तालिका में ऊपर आना है, 2032 के ब्रिस्बेन ओलम्पिक तक अपनी हैसियत में सम्मानजनक बदलाव देखना है तो हमें खेल, खिलाड़ियों, प्रशिक्षण, प्रतियोगिताओं, प्रबंधन सभी को उच्चस्तरीय तकनीक से जोड़ना होगा। सरकारों को इसके लिये कोष मुहैय्या कराना होगा।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर