प्लास्टिक के दानव से कैसे बचे धरती

कल विश्व पृथ्वी दिवस पर विशेष

ऐसा कोई दिन नहीं जाता होगा जब प्लास्टिक से धरती को होने वाले भयावह नुकसानों के बारे में हम कहीं कुछ पढ़ते, सुनते न देखते हों। दुनिया के हर कोने में लगातार हर मंच पर यह जागरूकता फैलायी जा रही है कि धरती के लिए प्लास्टिक बहुत हानिकारक है और इसके बढ़ते उपयोग के चलते समूची मानवता का अस्तित्व खतरे में है। लेकिन इस सबके बीच वास्तविकता यह है कि दुनिया में प्लास्टिक का इस्तेमाल इतनी चीख पुकार के बावजूद भी कम होने का जरा भी नाम नहीं ले रहा। आज धरती का कोई ऐसा कोना नहीं है जो प्लास्टिक के कचरे से उफन न रहा हो। चाहे जमीन हो, चाहे नदियां हो, समुंदर हो, हवा हो, कोई ऐसी जगह नहीं है, जो विषैले प्लास्टिक कचरे से उफन न रही हो। प्लास्टिक के इसी कचरे से दुनिया को आगाह करने के लिए और पृथ्वी के पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हर साल 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाया जाता है। पहली बार पृथ्वी दिवस 21 मार्च 1970 को बसंत के पहले दिन मनाये जाने के लिए प्रस्तावित हुआ था, बाद में इसे बदलकर 22 अप्रैल कर दिया गया।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि पृथ्वी दिवस के मौके पर पूरी दुनिया में पृथ्वी को पर्यावरणीय खतरों से बचाने के लिए बड़े-बड़े भाषण होते हैं, संकल्प किए जाते हैं, योजनाएं बनती हैं और रणनीतियां तय की जाती हैं, लेकिन नतीजे के नाम पर सबकुछ ढाक के तीन पात ही रहता है। हर साल धरती के पर्यावरण को बेहतर बनाने के लिए इसे प्रदूषण से मुक्त किए जाने की किसी थीम पर जोर दिया जाता है। साल 2024 के लिए पृथ्वी दिवस की थीम है- धरती ग्रह बनाम प्लास्टिक। वास्तव में प्लास्टिक धरती के लिए सबसे बड़ा खलनायक है। इसलिए पिछले कई सालों से पूरी दुनिया में पर्यावरणविदों से लेकर विभिन्न सरकारें, प्रशासनिक अधिकारी और हर जागरूक इंसान दूसरे को यह उपदेश देते घूमता है कि धरती को अगर जिंदा रखना है तो जितना जल्दी हो प्लास्टिक के इस्तेमाल से टाटा, बाय-बाय करना होगा।
मगर हैरानी की बात ये है कि उपदेश लगातार चल रहे हैं, बढ़ रहे हैं, हर किसी को मालूम है और यह भी सच है कि दुनिया में प्लास्टिक का लगातार इस्तेमाल भी बढ़ता जा रहा है। आज महासागरों में करोड़ों टन प्लास्टिक कचरा जमा हो चुका है। प्लास्टिक कचरे से समुद्र की हजारों प्रजातियां नष्ट हो चुकी हैं या विनाश के खतरे पर हैं। ग्लोबल वार्मिंग में प्लास्टिक का सबसे बड़ा हाथ है। एक आंकड़े के मुताबिक आज दुनिया में हर सैकेंड 8 टन प्लास्टिक कचरा, कहीं न कहीं, किसी न किसी रूप में इकट्ठा हो रहा है। क्योंकि बड़ी-बड़ी बातों, योजनाओं के बावजूद न तो प्लास्टिक का उत्पादन बंद हो रहा है, न ही इसका इस्तेमाल बंद हो रहा है। इस सबके साथ पर्यावरण से बचाव की उसे नष्ट होने से बचाने की गुहार भी लगायी जा रही है। इसलिए यह बेहद निराशाजनक स्थिति है। 
मगर सवाल है एक आम इंसान के रूप में हम ऐसा क्या कर सकते हैं जो धरती को इस प्लास्टिक के दानव से बचा सकें? निश्चित रूप से एक आम आदमी भी अगर ठान ले तो वह धरती को काफी कुछ राहत दिलवा सकता है। इसके लिए बस हमें यह करना होगा कि हम व्यक्तिगत रूप से प्लास्टिक बैग इस्तेमाल न करने का निर्णय लें और सचमुच पूरी तरह से इस निर्णय पर डटे रहें। प्लास्टिक की थैलियां इसलिए भी खतरनाक हैं, क्योंकि ये बार-बार इस्तेमाल की जाती हैं। प्लास्टिक के सामान बेचने में आमतौर पर प्रतिबंध लगाया जाता है, लेकिन सरकारें प्लास्टिक उत्पादन पर प्रतिबंध नहीं लगातीं। ऐसे में भला यह कैसे कम हो सकता है। प्लास्टिक की थैलियां आमतौर पर नालियों आदि में इकट्ठी हो जाती हैं, जिससे पानी का निर्वात बहाव भी रूक जाता है। क्योंकि प्लास्टिक लम्बे समय तक गलता नहीं है, इसलिए भी प्लास्टिक बहुत खतरनाक है। 
हम एक आम इंसान के रूप में प्लास्टिक का जितना कम से कम इस्तेमाल करेंगे, पृथ्वी दिवस के मौके पर की जाने वाली प्रतिज्ञाओं का उतना ही फायदा होगा। प्लास्टिक के सामान को हम अगर अपने इर्द-गिर्द न फेंके तो वे उन तमाम जगहों पर कचरा बनकर इकट्ठा न हों, जो हमारे पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है। प्लास्टिक का हम जितना ज्यादा उपयोग करेंगे, अपने पर्यावरण को उतना ही ज्यादा नुकसान पहुंचायेंगे। इसलिए अगर हम अपनी तरफ से धरती का सम्मान करने के लिए प्लास्टिक का कम से कम इस्तेमाल करें या बिल्कुल इस्तेमाल न करें तो यह हमारी धरती के पर्यावरण को बचाने के प्रति बड़ी भूमिका होगी। आमतौर पर हम सोचते हैं कि हमारे अकेले के करने से क्या होगा? लेकिन इसी सोच के कारण तो आजतक पृथ्वी दिवस जैसे तमाम कार्यक्रम महज रस्म अदायगी बनकर रह गये हैं।
 वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर प्लास्टिक के उत्पादन में कम से कम 60 प्रतिशत तुरंत कमी न की गई तो धरती के बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण को रोक पाना असंभव होगा। 
लेकिन सभागारों में दिए जाने वाले भाषणों में भले प्लास्टिक के इस्तेमाल और उसके उत्पादन पर रोक लग रही हो, हकीकत में ऐसा कुछ होता नहीं लग रहा। यही वजह है कि दुनिया के 190 देश आगामी 22 अप्रैल को फिर से पृथ्वी दिवस मनाएंगे। लेकिन नतीजा क्या होगा, यह हम सब जानते हैं। इसलिए हम सबको व्यक्तिगत स्तर पर खूबसूरत धरती को बचाने के लिए अपनी तरफ से जितना हो सके प्लास्टिक के कम से कम इस्तेमाल पर जोर देना होगा। तभी पृथ्वी दिवस जैसे विशेष दिनों का कोई महत्व है।

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर