एआई के कारण आज युद्ध बहुत भ्रामक हो गये!

एआई को सहूलियतों के लिए जिस आलादीनी चिराग की हैसियत हासिल है, वही एआई एक नयी तरह का भ्रम जाल रचकर इंसान के लिए बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर दी है। विशेषकर युद्ध के मामले में यह इस कदर भ्रम फैलाने में असरदार साबित हुई है कि लगता है महाकाव्यों में कैद मायावी युद्ध आज की तारीख में हकीकत बन गये हैं। अब इज़रायल-ईरान संघर्ष को ही लें, इसमें एआई ने इतनी भ्रामक स्थिति पैदा कर दी है कि तमाम कोशिशों के बाद भी यह पता नहीं चल पा रहा कि वाकई युद्ध में वास्तविक स्थिति क्या है? एआई के कारण 13 जून 2025 को शुरू हुए इज़रायल-ईरान युद्ध में दर्जनों ऐसे फेक वीडियो बनाये गये हैं, जिनके कारण दुनियाभर की राय कई-कई बार न केवल बदली है बल्कि करोड़ों करोड़ लोग हकीकत में यह जान ही नहीं पा रहे कि इस युद्ध की वास्तविक स्थिति क्या है? मीडिया संस्थानों द्वारा अब तक दर्जनों ऐसे वीडियो फेक साबित किये जा चुके हैं, जो किसी एक की खौफनाक ताकत की कहानी कह रहे थे और जिन्हें लाख दो लाख नहीं बल्कि दस-दस करोड़ लोगों ने देखा था और इनके आधार पर अपनी अपनी राय बना ली थी। 
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के चलते पूरी दुनिया में ईरान की जवाबी कार्रवाईयों को कुछ इस तरह बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया है कि कई मुस्लिम देशों में तो इन वीडियो को देखकर बड़े-बड़े जश्न तक मन गये कि ईरान ने इज़रायल को जबर्दस्त टक्कर देकर तहस-नहस कर दिया है। लेकिन ईरान की सैन्य क्षमताओं को लेकर एआई द्वारा गढ़े गये ये वीडियो, जहां पूरी तरह से नकली थे, वहीं यूरोप और दूसरे देशों में ईरान के भीतर सरकार के विरोध में जो बड़े-बड़े आंदोलन और जनाक्रोश भरे उभार देखे गये हैं, वो भी सभी झूठे पाये गये हैं। सच बात तो ये है कि एआई ने इतनी भ्रामक स्थिति पैदा कर दी है कि सही सही अंदाजा ही नहीं लग रहा कि इस युद्ध में किसका और कितना पलड़ा भारी है। आज भले ये सब मनोरंजन लगे, लेकिन विशेषज्ञों की राय है कि भविष्य में यह सब कुछ इतना भ्रामक हो जायेगा कि माइग्रेन से भी बड़ा स्थायी सिरदर्द बन जायेगा। 
दरअसल आज युद्ध सिर्फ जमीनी या हवाई हथियारों से ही नहीं लड़ी जा रहे हैं बल्कि इन्हें एआई से भी लड़ा जा रहा है। जिन्हें हम डिजिटल युद्ध भी कह सकते हैं। ईरान और इज़रायल के मौजूदा युद्ध में एआई की जो व्यापक भूमिका उभरकर सामने आयी है, उसने बड़े-बड़े युद्ध रणनीतिकारों के होश उड़ा दिए हैं। फर्जी वीडियो सीन, फर्जी तस्वीरें, यहां तक कि चैटबॉट से उगलवाई गईं फर्जी जानकारियां भी सच और झूठ की सीमा को धुंधला बना दिया है। पिछले दिनों इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया में एक ऐसा वीडियो वायरल हुआ, जो तेलअवीव पर साधे गये खौफनाक निशाने की भयानक तस्वीरें पेश कर रहा था। लेकिन जब न्यूज एजेंसी एएफपी ने इस वीडियो को फैक्ट चेक टूल के जरिये परखा, तो पता चला कि यह बिल्कुल फर्जी वीडियो है, जिसे एआई के जरिये बनाया गया है। तेलअवीव की जिस तबाही को देखकर दर्जनों मुस्लिम देशों में बड़े-बड़े जश्न हो रहे थे, वे सारे जश्न अंतत: कुछ घंटों बाद झूठे साबित हुए। ठीक वैसे ही जैसे यूरोप और अमरीका में लोग यह देखकर खुश हो रहे थे कि अंतत: ईरानियों ने घर से बाहर निकलकर सरकार का तख्ता उलटने का पूरी तरह से मन बना लिया, ये वीडियो भी पूरी तरह से झूठे थे। दरअसल इज़रायल-ईरान युद्ध ने झलक दिखलायी है कि आने वाले दिन कितने भ्रामक भरे साबित होने वाले हैं। जब सच और झूठ में फर्क करना आम लोगों की तो छोड़िये, बड़े-बड़े युद्ध रणनीतिकारों के लिए भी मुश्किल हो जायेगा।
जिस रफ्तार से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तकनीक गहरी वास्तविकता से लैस होती जा रही है और यह तकनीक दिन पर दिन बेहद जटिल भी होती जा रही है, उस कारण भविष्य में ऐसे भ्रम का जाल काटना बहुत आसान नहीं होगा। हद तो यह है कि इस विभ्रम की स्थिति से निजात दिलाने के लिए जिन चैटबॉट्स को टूल के रूप में देखा जा रहा था, इज़रायल-ईरान युद्ध के दौरान वो चैटबॉट भी भ्रम की नागफांस में जकड़े पाये गये हैं। 
इज़रायल-ईरान युद्ध को लेकर एक्स एआई का ग्रोक चैटबॉट न सिर्फ एआई के एक वीडियोज को वास्तविक बताकर गुमराह किया बल्कि शायद वह खुद भी नहीं समझ पाया कि यह सच है या झूठ। इज़रायल-ईरान युद्ध ने वीडियो गेम के सालों, दशकों पुराने फुटेज को भी युद्ध के ताजा विवरणों में बदल दिया। हाल में कई ऐसे वीडियो सामने आए, जिसमें इज़रायली जेट कागज के हवाई जहाजों की तरह गिरते दिखते हैं। इन्हें ईरान की मिसाइलें पट पट करके गिराती दिखायी गई हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि लहूलुहान लड़ाकू जहाजों के यह बारिश हकीकत नहीं बल्कि कंप्यूटर गेम का हिस्सा थी। ये वीडियो गेम इस कदर भ्रामक स्थिति पैदा कर रहे हैं कि पक्ष या विपक्ष में कोई वास्तविक राय ही नहीं बन रही। सिर्फ मनगढ़त इमेजें ही नहीं बल्कि सैटेलाइट फुटेज भी पेश किये जा रहे हैं। टेलीग्राम और स्टेट मीडिया चैनलों पर ऐसे एआई निर्मित नकली सैटेलाइट फुटेज पोस्ट किए जा रहे हैं, जो इज़रायल में बड़े पैमाने पर सैन्य क्षति दिखाते हैं। लेकिन जब इन्हें फैक्ट चेक के जरिये जांचा जाता है, तो सब कमरे के भीतर कंप्यूटर पर बनाया गया वॉर गेम साबित होता है। 
ईरानी कायदे से चलाये जाने वाले बॉट नेटवर्क, साइबर फोर्स ने फर्जी इमरजेंसी अलर्ट भेजकर इज़रायल में भय और भ्रम पैदा करने की कोशिशें की। इसी तरह सोशल मीडिया बॉट कमेंट बायोस और एआई जनित आवाज का उपयोग करके एक संदेश का टूल सैट किया जा रहा है। एआई का यह फेक तूफान सिर्फ दो देशों के बीच तात्कालिक युद्ध को ही खतरनाक नहीं बना रहा बल्कि गहराई से देखें तो यह सच और झूठ के बीच की सारी दीवारों को धुंधला कर रहा है। इससे बहुत जबर्दस्त भावनात्मक धक्का लगने वाला है। दरअसल एआई फेक न्यूज का मकसद ही यह होता है कि भावनात्मक हड़कंप पैदा किए जाएं। लेकिन एक या दो बार इस भावनात्मक हड़कंप की पोल खुलने के बाद ही हम फिर से नॉर्मल हो सकते हैं, लेकिन जब यह बार-बार होगा, तो ऐसा होना मुश्किल हो जायेगा। तब ऐसी स्थिति बनेगी कि हमारी मानसिक स्थिति एक ऐसे मोड पर चली जायेगी, जो किसी सच या झूठ पर एक ही जैसे रिएक्ट करने लगेगी। सच को सच नहीं मानेगी और झूठ को झूठ नहीं समझ पायेगी। इसलिए सिर्फ दो देशों के बीच युद्ध पर ही विराम लगाने की ज़रूरत नहीं है बल्कि युद्ध की यह भ्रामक जंग को भी तुरंत बंद किए जाने की ज़रूरत है, नहीं तो भविष्य की पीढ़ियां सच और झूठ के बीच फैसला नहीं कर पाएंगी और इंसान के मस्तिष्क की अब तक की सारी विकास यात्रा गड्डमड्ड हो जायेगी। यह बहुत बड़ा मानसिक जनसंहार होगा। इसलिए दुनिया जितना जल्दी इसे समझे, उतना ही सही है।     -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर 

#एआई के कारण आज युद्ध बहुत भ्रामक हो गये!