कोलम्बस की समुद्री यात्राएं

कोलम्बस एक महान समुद्री यात्री था। उसने कई नए टापुओं की तलाश की। बचपन में जब वह समुद्री जहाज़ों को देखता तो उसका दिल भी करता कि वह बड़ा होकर ज़रूर समुद्री यात्रा करेगा और वह अपने उद्देश्य में कामयाब भी रहा। आओ आज आपको इस यात्री के बारे में जानकारी दें :-
कोलम्बस का जन्म इटली के शहर जनोआ में 1451 ई. को एक बुनकर के घर में हुआ। गरीबी होने के कारण वह ज्यादा पढ़ लिख नहीं सका। इस कारण बचपन में ही उसने लिजबन और पुर्तगाल में जाकर समुद्री रूटों के चार्ट तैयार करने की नौकरी कर ली।
यात्रा कैसे शुरू की : अन्य समुद्री यात्री यह कोशिश करते थे कि यदि अफ्रीका के दक्षिण और पूर्व की ओर यात्रा की जाए तो ‘एशिया’ महाद्वीप पहुंचा जा सकता है परन्तु कोलम्बस का विचार था कि धरती गोल होने के कारण अटलांटिका के पश्चिम की ओर यात्रा शुरू करके एशिया तक पहुंचा जा सकता है। सन् 1492 ई. को उसने स्पेन के राजा और रानी से सहायता प्राप्त करके तीन समुद्री जहाज़ों के साथ यात्रा शुरू कर दी। बड़े जहाज़ का नाम ‘संटा-मारिया’ रखा गया। उसने अपने पास कुछ वैज्ञानिक यंत्र भी रखे। उसके पास जहाज़ की भूमध्य रेखा से दूरी देखने वाला यंत्र तो था परन्तु देशांतर रेखा से दूरी देखने वाला यंत्र नहीं था पर फिर भी वह प्रत्येक यात्रा सफलतापूर्वक पूरी करके घर वापिस आ जाता था।
चार यात्राएं : कोलम्बस ने 1492 से 1504 ई. तक चार यात्राएं कीं। पहली यात्रा (1492 ई. ) में उसने क्यूबा, बाहामास, और हिस्पनीऊला की, दूसरी यात्रा (1493 से 1496 तक) उसने जमाइका की, तीसरी यात्रा (1498 से 1500 तक) उसने त्रिनीदाद और दक्षिणी अमरीका की और चौथी यात्रा (1502 से 1504 ई. तक) में उसने नये द्वीपों की खोज की। कोलम्बस ने बेशक नये-नये द्वीपों को ढूंढा परन्तु एशिया को ढूंढने में वह असफल रहा। सन् 1506 ई. में यह महान समुद्री यात्री स्पेन में दुनिया को अलविदा कह गया। लेकिन लोगों को आपस में मिलने का और व्यापार आदि करने का रास्ता खोल गया।

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