कैसे हुई प्रधानमंत्री के पंजाब दौरे में सुरक्षा की चूक ?

पंजाब के फिरोजपुर जिला स्थित गांव हुसैनीवाला, जो कि पाकिस्तान के साथ सीमा के निकट है, के राष्ट्रीय शहीद स्मारक में 5 जनवरी, 2022 को भाजपा ने एक चुनावी रैली का आयोजन किया था, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित करना था लेकिन यह रैली न हो सकी और प्रधानमंत्री को बीच रास्ते से ही वापस दिल्ली लौटना पड़ा। इस कार्यक्रम के रद्द किये जाने के संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने वक्तव्य में कहा है कि यह सुरक्षा प्रोटोकॉल के उल्लंघन की गंभीर घटना है, इसलिए उसने पंजाब की राज्य सरकार से इस सिलसिले में विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। साथ ही सुरक्षा चूक के लिए ‘जवाबदेही निर्धारित करने व सख्त कार्यवाही करने’ के लिए कहा है। 
दूसरी ओर पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा है कि यह दावा गलत है कि प्रधानमंत्री की पंजाब यात्रा के दौरान कोई सुरक्षा चूक हुई है। हालांकि इन परस्पर विरोधी दावों में से सही बात तो जांच के बाद ही सामने आ सकेगी, लेकिन इस असामान्य घटना पर राजनीति जमकर हो रही है। ज़ाहिर है आगामी विधानसभा चुनावों को मद्देनज़र रखते हुए एक तरफ जहां भाजपा के नेता पंजाब सरकार की जमकर आलोचना कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था में कोई चूक नहीं हुई थी। सभास्थल पर खाली पड़ी कुर्सियों के कारण प्रधानमंत्री ने अपनी योजना बदल दी। पांच जनवरी की सुबह 10:25 पर प्रधानमंत्री ने भटिंडा के भीसीयाना एयर बेस पर लैंड किया। वहां से उन्हें हेलीकाप्टर के जरिये फिरोजपुर के हुसैनीवाला गांव जाना था, जनसभा को संबोधित करने के लिए। लेकिन खराब मौसम की वजह से हेलीकाप्टर से यात्रा की योजना को बदलना पड़ा और सभास्थल जाने के लिए सड़क मार्ग अपनाया गया। 
लेकिन जब प्रधानमंत्री का काफिला फिरोजपुर से लगभग 20 किमी के फासले पर था तो वह मोगा-फिरोजपुर हाईवे पर लगभग 20 मिनट तक अटका रहा क्योंकि प्रदर्शनकारी किसान सड़क पर धरना दे रहे थे। संभवत: इसी अवरोध से ‘क्षुब्ध’ होकर प्रधानमंत्री ने सभास्थल पर जाने की बजाय वापस दिल्ली लौटने का निर्णय लिया। बहरहाल, सवाल यह है कि क्या इस सिलसिले में सुरक्षा की कोई चूक हुई थी? इतना तो स्पष्ट है कि खराब मौसम के कारण प्रधानमंत्री के हवाई रूट को सड़क रूट में बदलना पड़ा। यह भी सही है कि सुरक्षा की दृष्टि से यात्रा की वैकल्पिक योजना को भी तैयार रखा जाता है, जिसके लिए पंजाब सरकार ने संभावित सड़क रूट पर 10,000 पुलिसकर्मी तैनात किये हुए थे लेकिन इसके बावजूद यह घटना हुई। क्यों? कुछ लोगों का कहना है कि यह ‘आश्चर्यजनक घटना’ पंजाब पुलिस व प्रदर्शनकारी किसानों की सांठ-गांठ के कारण हुई क्योंकि राज्य पुलिस को ही मालूम था कि वास्तव में प्रधानमंत्री को कौन सा रूट लेना था।  इन लोगों के अनुसार ‘अब से पहले पुलिस का ऐसा व्यवहार कभी नहीं देखा गया। हाल के वर्षों में भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा को लेकर यह सबसे बड़ी चूक है’। केंद्रीय गृह मंत्रालय का कहना है, ‘पंजाब पुलिस के डीजीपी ने जब सभी आवश्यक सुरक्षा इंतजामों की पुष्टि कर दी, उसी के बाद प्रधानमंत्री ने सड़क रूट लिया था। लेकिन स्मारक से लगभग 30 किमी दूर जब प्रधानमंत्री का काफिला फ्लाई ओवर पर पहुंचा तो कुछ प्रदर्शनकारियों ने उसे ब्लाक किया हुआ था। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में अचानक किये गये परिवर्तन का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री चन्नी का कहना है, ‘हमले या सुरक्षा खतरे जैसी कोई बात नहीं थी। प्रधानमंत्री की सड़क से जाने की कोई योजना नहीं थी। चुनाव से पहले आंदोलन होते ही हैं। पिछली रात भी मैंने अधिकारियों से कहा था कि वे प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज करने या गिरफ्तारी करने की बजाय उन्हें समझाएं।’ 
पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने यह भी कहा, ‘दिल्ली की सीमा पर किसानों का एक साल तक आंदोलन चला। अगर आज किसी ने प्रधानमंत्री के यात्रा मार्ग में शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शन किया तो उसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा से नहीं जोड़ना चाहिए। यह दावा करना गलत है कि उनकी पंजाब यात्रा के दौरान सुरक्षा चूक हुई। ... इस पर अनावश्यक राजनीति नहीं होनी चाहिए। हम अपने प्रधानमंत्री का सम्मान करते हैं। पंजाब सरकार व पुलिस में पर्याप्त क्षमता है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि योजना अचानक बदल दी गई थी कि हेलीकाप्टर की बजाय सड़क से जाया जाये। अचानक सड़क पर बैठ गये शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को हटाने में कुछ समय लगता है।’ 
लेकिन कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि किसानों पर गोली तो नहीं चलाई जा सकती थी। उन्हें हटाने में कुछ समय लगा और उन्हें 15 मिनट में हटा भी दिया गया, तो यह सुरक्षा चूक कैसे हुई? इस संदर्भ में भाजपा की पंजाब समिति के सदस्य अमित तनेजा का बयान बहुत महत्वपूर्ण है, विशेषकर इसलिए कि उससे सारी बात स्पष्ट हो जाती है। वह घटना के चश्मदीद भी हैं। उनके अनुसार, ‘फिरोजपुर की तरफ  का जो मोगा-फिरोजपुर हाईवे है, उसके फ्लाईओवर के डाउनस्ट्रीम पर किसान एकत्र हो गये थे। यह जगह फिरोजपुर से लगभग 20 किमी के फासले पर है। भाजपा के कार्यकर्ता वहां पहुंच गये थे और रोड को क्लियर करने का प्रयास कर रहे थे ताकि रैली के लिए भाजपा की जो बसें आ रही थीं, उन्हें रास्ता मिल सके। हमें बिल्कुल मालूम नहीं था कि प्रधानमंत्री उसी सड़क से आ रहे हैं।’ इसका अर्थ सिर्फ  इतना सा है कि खराब मौसम के कारण प्रधानमंत्री की यात्रा योजना में परिवर्तन करना पड़ा यानी वह हेलीकाप्टर के बजाय सड़क के रास्ते से सभास्थल के लिए जाने लगे। इस मार्ग पर किसान प्रदर्शन कर रहे थे, जिन्हें भाजपा के कार्यकर्ता हटाने का प्रयास कर रहे थे ताकि रैली में जाने वाली भाजपा की बसों को रास्ता मिल जाये। यह हो सकता है कि किसान भाजपा की बसों को रोकने के लिए प्रदर्शन कर रहे हों और किसानों व भाजपा कार्यकर्ताओं को मालूम ही नहीं था कि बदले कार्यक्रम की वजह से प्रधानमंत्री उसी रूट से आ रहे हैं। इन लोगों को हटाने के लिए पुलिस को समय लगा जिससे प्रधानमंत्री के काफिले को लगभग 20 मिनट तक हाईवे पर रुकना पड़ा। संभवत: इसी प्रतीक्षा से ‘क्षुब्ध’ होकर प्रधानमंत्री ने वापस होने का निर्णय लिया। 
यह सब कुछ केवल संयोग हो सकता है, लेकिन अब इस पर राजनीति हो रही है, जिसमें भाजपा का आरोप सुरक्षा चूक का है और कांग्रेस कह रही है कि सभास्थल की खाली कुर्सियों (जो खराब मौसम की वजह से भी हो सकती हैं) के कारण प्रधानमंत्री ने अपना कार्यक्त्रम बदला।     -इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर