राष्ट्रीय सौहार्द का उदाहरण थे मौलाना आज़ाद

हिन्दुस्तान के ज़र्रे-ज़र्रे से मोहब्बत की इन्तेहा रखने वाले देशभक्त मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का 11 नवम्बर का दिन शिक्षा दिवस के रूप में बनाया जाता है। मौलाना आज़ाद के इन्तकाल के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि ‘अब मौलाना आज़ाद जैसा काबिल व्यक्ति और देशभक्त कभी पैदा नही होगा।’
यह मौलाना आज़ाद का लिखने पढ़ने का शौक ही था कि उन की मुलाकात महात्मा गॉधी से हुई। दरअसल सन् 1912 में मौलाना आज़ाद ने एक उर्दू साप्ताहिक ‘अल हिलाल ’ शुरू किया। इस में तरह तरह के लेख प्रकाशित होते थे, विशेष रूप से देश प्रेम और भारत की आज़ादी के सम्बन्ध में। गॉधी जी को मौलाना का यह कार्य बहुत पसन्द आया। बस महात्मा गॉधी का मौलाना से मिलना जुलना होने लगा और बहुत ही थोड़े वक्त में मौलाना आज़ाद गांधी जी के प्रिय हो गये। हिन्दुस्तान पाकिस्तान विभाजन के जनक मोहम्मद अली जिन्ना को मौलाना आज़ाद ने बहुत समझाया कि विभाजन की बात ठीक नहीं है। मुसलमानों को आज़ाद भारत में पूरा मान सम्मान दिया जायेगा किन्तु मि० जिन्ना ने एक नहीं मानी और भड़काऊ भाषण दे देकर लोगों को जुनून की हद तक विभाजन के लिये तैयार कर लिया।
जिन्ना के भड़काए लोगों को बार बार मौलाना आज़ाद ने समझाया कि जिन्ना के द्वारा दिखाया जा रहा बंटवारे का ख्वाब झूठा है, जिन्ना का यह सौदा घाटे का सौदा है पर तब लोग होश की नहीं, जोश की बात कर रहे थे। मौलाना आज़ाद की बात नहीं मानी गई।
जिस वक्त देश का विभाजन हुआ, मौलाना आज़ाद ने दिल्ली की जामा मस्जिद की सीढ़ियों से पूरे देश के मुसलमानों को संबोधित किया और जाते हुए लोगों के बारे में कहा कि जो लोग पाकिस्तान जा रहे हैं, या पाकिस्तान का ख्वाब देख रहे है, वे लोग राह से भटक गये हैं। उन के दिमाग सो गये हैं। उन्हें भूलना ही बेहतर है। मौलाना आज़ाद का यह भाषण बहुत ही भावुक था जो लोगों के दिलाें को छू गया। उन के इस भाषण को सुन कुछ लोगों ने अपने कदम रोक लिये लेकिन कुछ लोग जिन्ना के साथ पाकिस्तान चले गये थे। ‘इण्डिया विन्स फ्रीडम’ में मौलाना आज़ाद ने लिखा था कि जिन लोगाें ने विभाजन का सपना देखा है, यह सपना सिर्फ सपना रहेगा और 25-3० वर्ष में ही टूट जायेगा। ऐसा हुआ भी। जो मुसलमान पाकिस्तान नये नये ख्वाब लेकर गये थे, कुछ ही दिनों में उन लोगों के सारे ख्वाब टूट गये।      
मौलाना आज़ाद आज़ादी के बाद देश के शिक्षामंत्री बने। 1952 में रामपुर व 1957 में गुड़गांव से वह चुनाव जीते। मौलाना आज़ाद ने कुरान मजीद का अंग्रेजी में तर्जुमा भी किया। मौलाना आज़ाद ने उच्च पदों पर रहते हुए अपने कार्यकाल में अनेक संगीत, नाटक अकादमियां, विज्ञान विभाग व महाविद्यालय खोले। 22 फरवरी 1958 को भारत का यह महान स्वतंत्रता सेनानी  भारत माता की  गोद में हमेशा के लिये जा कर सो गया। (अदिति)