आखिर कब थमेगा रूस-यूक्रेन युद्ध ?

जब फरवरी 2022 में रूसी बख्तरबंद टुकड़ियों के यूक्रेन में घुसने का पहला फुटेज सामने आया, तो पता चला कि यूक्रेनियन के पास कोई मौका नहीं है। वे एक ऐसी सेना का सामना कर रहे थे जो कहीं अधिक बड़ी और बेहतर संसाधनों से सुसज्जित थी। दशकों तक रूसी प्रतिनिधियों द्वारा दुष्प्रचार किए जाने के बाद, अमरीका और यूरोप में कई लोगों ने (यहां तक कि यूक्रेन में भी कुछ लोगों ने) क्रेमलिन की कहानी पर विश्वास किया कि यूक्रेनी राज्य कमजोर और भ्रष्ट थे, और यह देश ज्यादा प्रतिरोध नहीं कर सकता और न ही करेगा। रक्षा विशेषज्ञों और सामरिक मामलों के जानकारों ने भी इसे रूस के पक्ष में एकतरफा युद्ध माना था और इसकी उम्र महज कुछ दिन गिनी थी। होते-होते ये दिन हफ्तों में बदले, फिर महीनों में बदल गए। अब युद्ध को चलते डेढ़ साल होने को आया है और नतीजा शून्य है। 
दरअसल यह युद्ध 2014 में शुरू हुआ था, जब रूस ने अवैध रूप से क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया था। पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के लगभग 550 दिन हो गए हैं और यूक्रेन ने जिस तरह से समाज, सेना और सरकार के स्तर पर जो अनुकूलन और नवाचार किए हैं, वे यूक्रेन की सीमाओं से परे भी गूंज रहे हैं। यह आपूर्ति शृंखलाओं को नया आकार दे रहा है। सूचना युद्ध कैसे लड़ा जा सकता है, इसका पुननिर्धारण कर रहा है। यहां तक कि एक देश सही प्रौद्योगिकी के सशक्त इस्तेमाल से क्या हो सकता है, इसे पुनर्परिभाषित भी कर रहा है। हालांकि यह कहना ज्यादती होगी कि इतने दिन युद्ध खिंचने के बाद रूस असहाय नज़र आ रहा है। परन्तु रूस को अब यह चिंता तो होने लगी ही है कि यूक्रेन को जल्दी ही घुटने टेक देने की सोच के साथ जो युद्ध उसने छेड़ा था, उस पर फिलहाल कोई विराम तो लगता नज़र नहीं आ रहा। इससे उसकी वैश्विक धाक को धक्का अलग पहुंचा है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नाटो देशों के सहयोग ने यूक्रेन को संबल दिया है और उन बड़े देशों की वजह से आज रूस कई आर्थिक, सामाजिक प्रतिबंध झेल रहा है।
यूं देखा जाए तो युद्ध के कारण होने वाली पीड़ा का स्तर यूक्रेन के पक्ष में अधिक भारी प्रतीत होता है। करीब 45 बिलियन डॉलर की सहायता के बावजूद, इसकी अर्थव्यवस्था में 35 प्रतिशत या उससे अधिक की गिरावट आई है। अपने लोगों की बहादुरी और लचीलेपन के बावजूद, लड़ाई जारी रखने की इसकी क्षमता पश्चिम की सैन्य और वित्तीय सहायता पर निर्भर करती है। यूक्रेन के लाखों नागरिक विस्थापित हो गए हैं, उनमें से कई तो शायद स्थायी रूप से विस्थापित हो गए हैं। इधर आई.एम.एफ. के 8.5 प्रतिशत के अनुमान को झुठलाते हुए रूसी अर्थव्यवस्था में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई है। 2021 में, पिछले युद्ध-पूर्व वर्ष में, रूस की जीडीपी यूक्रेन की जीडीपी से नौ गुना बड़ी थी। 2022 में लगभग 2.4 प्रतिशत की गिरावट के बाद, 2023 में रूसी अर्थव्यवस्था के धीरे ही सही, लेकिन फिर से बढ़ने का अनुमान है। अभूतपूर्व प्रतिबंधों की लगातार लहरों ने रूसी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है और लंबे समय में विकास की संभावनाओं को भी आघात लगा है। हालांकि रूस ने पश्चिमी प्रतिबंधों को दरकिनार करने के लिए कई उपाय किए हैं। उसने भारत और चीन को रिकॉर्ड मात्रा में तेल बेचने के अलावा अन्य खरीदार भी ढूंढ लिए हैं। रूस की युद्ध-पूर्व जनसंख्या यूक्रेन की जनसंख्या से तीन गुना अधिक थी। 
रूस का क्षेत्र बरकरार है और यूक्रेन के विपरीत, यह लगातार बमबारी के खतरे में नहीं है। इसके रक्षा कारखाने चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं और पुतिन ने अपने सैनिकों को आपूर्ति करने के लिए जितना संभव हो उतना खर्च करने का वादा किया है। 24 फरवरी, 2022 से पहले के आठ वर्षों के दौरान यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में रूसी जनता ने क्रेमलिन के नारे ‘क्रिम नैश’ (क्रीमिया हमारा है) को स्वीकार कर लिया था। रूसी जनता की नज़र में क्रीमिया को खोने की संभावना पुतिन के दावों को बल देगी कि युद्ध मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ा जा रहा है। 
2014 में रूस द्वारा अवैध रूप से कब्जाया गया यह प्रायद्वीप पुतिन की सबसे महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक उपलब्धि का प्रतिनिधित्व करता है। इसका नुकसान उसके लिए स्वीकार्य विकल्प नहीं होगा। लेकिन यूक्रेनियन युद्ध के मैदान पर जीत का स्वाद चख चुके हैं व न्याय और बदले की अपनी इच्छा में एकजुट हैं। वे महज शांति के लिए भूमि समझौता स्वीकार नहीं कर सकते। पुतिन ने जब युद्ध शुरू किया था, तब यह युद्ध उनके लिए अस्तित्वगत नहीं था, लेकिन अब है। उन्होंने इस पर अपना पूरा राष्ट्रपति पद दांव पर लगा दिया है।
इस साल के अंत तक, दोनों पक्ष सोचेंगे कि लड़ाई से उन्हें अभी भी बहुत कुछ हासिल करना है। रूस हार नहीं मान सकता और यूक्रेन ने लड़ने की इच्छाशक्ति खत्म नहीं की है और वह उस क्षेत्र को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है जिस पर कब्ज़ा कर लिया गया है। संभव है ये स्थितियां-परिस्थितियां युद्ध को 2024 और संभवत: 2025 में ले जाए। कोई भी पक्ष अपने अधिकतम युद्ध लक्ष्यों को पूरा नहीं कर सकता। रूस पूरे यूक्रेन को नहीं जीत सकता और यूक्रेन रूसी सेनाओं को व्यापक रूप से बाहर नहीं कर सकता। प्रत्येक पक्ष को न्यूनतम आश्वासन की भी आवश्यकता होती है। यूक्रेन को इस बात की गारंटी चाहिए कि रूस उसे मानचित्र से मिटाने की कोशिश नहीं करेगा, जबकि रूस नाटो को अपनी सीमा पर तैनाती की अनुमति नहीं देगा। ये अनुचित आवश्यकताएं नहीं हैं। 
यूक्रेन के नागरिकों की इच्छाशक्ति और देशभक्ति ने कई अवसरों पर रूस की मिसाइलों के भौतिक विनाशकारी परिणामों पर नैतिक विजय पाई है। जब युद्ध शुरुआत में अपने चरम पर था, यूक्रेन की स्वास्थ्य प्रणाली पतन का सामना कर रही थी। उन्हें जीवनरक्षक दवाओं तक पहुंच खोने का खतरा था। लेकिन इस मानवीय आपदा को रोकने के लिए स्वास्थ्य पेशेवर और स्वयंसेवक देश भर में दवाएं वितरित करने के लिए अग्रिम पंक्ति में गए। स्थितियां इतनी बदल गई हैं कि कई रक्षा कंपनियां यूक्रेन की ओर आ रही हैं। उनमें से कुछ कीव में भारी छूट की पेशकश कर रही हैं। टूटी हुई इमारतें फिर बनना शुरू हो गई है। शहर का पुनर्निर्माण हो रहा है। यूक्रेन अपना पुननिर्माण शुरू करने से पहले युद्ध खत्म होने का इंतजार नहीं कर रहा है। इससे स्पष्ट हो गया है कि यूक्रेनवासियों ने युद्ध के साथ जीना सीख लिया है और युद्ध को रोजमर्रा की जीवन-समस्याओं की तरह लेना शुरू कर दिया है।