पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति चिंताजनक 

पंजाब पुलिस द्वारा अपने ही एक ए.आई.जी. स्तर के अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलम्बित किये जाने हेतु गृह सचिव को लिखे गये पत्र से एक ओर जहां प्रदेश की कानून व्यवस्था की दुरावस्था का विद्रूप चेहरा सामने आता है, वहीं प्रदेश की जेलों के भीतर पनपते अपराध और गैंगस्टरवाद का भी पता चलता है। इससे पूर्व पंजाब-हरियाणा के उच्च न्यायालय की ओर से प्रदेश की कानून व्यवस्था और जेलों के भीतर से मोबाइल फोनों के ज़रिये बाहरी आपराधिक गतिविधियों को संचालित किये जाने और नशीले पदार्थों के खुलेबंदों प्रचलन को लेकर प्रदेश सरकार की कई बार प्रताड़ना की गई है। प्रदेश की जेलों में कैदियों द्वारा सरेआम मोबाइल गतिविधियां चलाये जाने की गम्भीरता का अनुमान इस एक तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि फिरोज़पुर जेल में बंद तीन नशा तस्करों की ओर से 43000 फोन काल्स की गईं। इस एक तथ्य से जेल के अन्य बंदियों और फिर प्रदेश की अन्य सभी जेलों के भीतर से की जाने वाली कुल फोन काल्स का अनुमान भी सहज रूप से लगाया जा सकता है। वर्ष 2019 में भी प्रदेश में एक ही मास में 38850 फोन काल्स किये जाने का मामला आया था। दो नशा तस्करों द्वारा जेल के अंदर से ही अपनी पत्नियों के खाते में 1.35 करोड़ रुपये भी ट्रांस्फर किये गये हैं। उच्च न्यायालय ने इस स्थिति को लेकर कई बार प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली की आलोचना की है, और इस हेतु कई बार अधिकारियों को निजी तौर पर पेश होने का निर्देश भी दिया है। अदालत द्वारा एक जेल के भीतर से हत्या के एक आरोपी द्वारा जारी एक सैल्फी  वीडियो का संज्ञान लेते हुए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को शपथ-पत्र दाखिल किये जाने का दिया गया निर्देश भी पंजाब की जेलों के भीतर अपराधियों की निरंकुशता को दर्शाने के लिए काफी माना जा सकता है। इस सैल्फी में उक्त हत्या-आरोपी और उसके साथ खड़े कई अन्य कैदियों के हाथ में मोबाइल पकड़े दिखाई दे रहे हैं, और कि वे स्वेच्छा से उनका प्रदर्शन भी कर रहे हैं।     
यह एक रिपोर्ट भी स्थितियों की गम्भीरता को आईना दिखाते प्रतीत होती है कि फिरोजपुर की इसी जेल से मौजूदा साल में 683 मोबाइल फोन बरामद किये गये हैं। नि:संदेह यह एक बेहद चिंताजनक स्थिति है जो प्रदेश की कानून व्यवस्था को और भयावह बनाती है। जेलों के भीतर की आपराधिक स्थितियों का अनुमान इस एक तथ्य से भी लगाया जा सकता है कि उच्च न्यायालय ने एक सिपाही से लेकर मंत्री तक को इस तंत्र में शामिल होने का फतवा देकर इनके विरुद्ध कार्रवाई किये जाने की मांग की है। अदालत ने इस प्रकरण में दोषी पाये जाने वाले किसी भी अधिकारी को जेल भेजे जाने की भी सिफारिश की है। संभवत: इसी कारण प्रदेश की पुलिस ने अपने एक ए.आई.जी. के विरुद्ध कार्रवाई किये जाने का साहस किया है।
पंजाब में वैसे तो सामूहिक रूप से कानून व्यवस्था की स्थिति निरन्तर बद से बदतर होती जा रही है। हत्या, लूट, स्नैचिंग और नशे की तस्करी की घटनाओं में निरन्तर वृद्धि हुई है, किन्तु प्रदेश की जेलों के भीतर पनपते अपराध और इस हेतु  अपराधियों, जेल-प्रशासन और पुलिस तंत्र के गठजोड़ ने स्थितियों को इतना अनियंत्रित कर दिया है कि प्रदेश की उच्च अदालत को इतनी गम्भीर टिप्पणियां करने पर विवश होना पड़ा। इसी के दृष्टिगत पंजाब पुलिस प्रशासन ने गृह सचिव को उक्त ए.आई.जी. के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने के लिए भी कहा है। प्रदेश की जेलों के भीतर नशा तस्करों और गैंगस्टरों की अपनी एक अलग व्यवस्था चलती है। इस व्यवस्था में जेल प्रशासन पूर्णतया उनका सहयोगी बनता है, और इस पूरे तंत्र को बाकायदा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त रहता है। सम्भवत: इसी कारण अदालत ने पेश हुए अधिकारियों को परामर्श दिया कि वे चाय-समोसे वाली बैठकों की प्रथा को त्याग कर ज़मीन पर उतर कर ठोस कार्रवाई करें।
हम समझते हैं कि नि:संदेह पंजाब में कानून व्यवस्था और खास तौर पर जेलों के भीतर की दुरावस्था अनियंत्रित होकर शीर्ष पर पहुंच चुकी है। सरकार नशा तस्करों और अपराधियों के समक्ष असहाय प्रतीत हो रही है। अदालत की बार-बार की चेतावनियों की परवाह न किया जाना और इस हेतु अदालत की बार-बार की प्रताड़ना से भी सरकार और जेल प्रशासन का टस से मस न होना चौंकाता है। तथापि अदालत द्वारा जेलों में नशा मिलने पर जेलर को दंडित किये जाने और उनका वेतन आदि रोकने अथवा उन्हें बर्खास्त किये जाने का सुझाव देना अदालत की सक्रियता को ही ब्यां करता है। 
हम समझते हैं कि नि:संदेह प्रदेश की जेलों में आमूल-चूल सुधार की बड़ी आवश्यकता है। गम्भीर आरोपों में जेल में बंद एक राजनीतिक हवालाती द्वारा जेल के बाहर आकर एक विवाह समारोह में भंगड़ा डालने और इस समारोह में दो पुलिस अधिकारियों की उपस्थिति की घटनाएं भी पंजाब की सामूहिक कानून व्यवस्था की पोल खोलती हैं। हम समझते हैं कि सरकार को अदालत की इन कटु टिप्पणियों को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न न बनाकर प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारने हेतु ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ जुट जाना चाहिए। पंजाब एक सीमांत राज्य है, और कि इस प्रकार की अनिश्चितता प्रदेश की सीमाओं पर भी खतरा उत्पन्न करती है। अदालत ने प्रशासन को 4 जनवरी तक की मोहलत दी है। उसके बाद उसने सी.बी.आई. अथवा ई.डी. को जांच सौंप देने का भी संकेत दिया है। नि:संदेह आपराधिक जगत को राजनीतिक संरक्षण खत्म किये जाने से स्थितियों की गम्भीरता पर अंकुश लगाया जा करता है। यह भी कि सरकार यदि इतनी गम्भीर फटकारों के बावजूद अपनी सक्रियता नहीं दिखाती, तो पंजाब का भगवान ही रक्षक होगा।