यूक्रेन से गाज़ा पट्टी तक बर्बरता ने दुनिया को झकझोर डाला

इस साल सितम्बर के आखिरी दिनों में अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन काफी संतुष्ट नज़र आ रहे थे। ऐसा होना स्वाभाविक भी था। आखिरकार अमरीकी कूटनीति के लिए हमेशा सिरदर्द रहने वाला मध्य-पूर्व इस पूरे साल काफी आशाजनक जो था। अब्राहम समझौते से इज़रायल और अरब देशों के बीच संबंध लगातार बेहतर होते जा रहे थे। इस समझौते के चलते न केवल संयुक्त अरब अमीरात ने औपचारिक रूप से इज़रायल को मान्यता दी बल्कि अटकलें तेज़ थीं कि इज़रायल इसी साल के अंत तक सऊदी अरब के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर सकता है। इस साल यमन में भी भीषण गृहयुद्ध से राहत थी; क्योंकि युद्ध विराम लगातार सफलता के साथ जारी था। इन स्थितियों को देखकर ही सुलिवन ने अपने एक वक्तव्य में कहा, ‘मध्य-पूर्व क्षेत्र में पिछले दो दशकों में आज सर्वाधिक शांति है।’ लेकिन लगता है, इस जुमले की मध्य-पूर्व की शांति को नज़र लग गयी क्योंकि इस जुमले के 8वें दिन ही वह हो गया, जो पहले कभी नहीं हुआ था। सात अक्तूबर को फिलिस्तीनी आर्म्स ग्रुप ‘हमास’ ने गाज़ा पट्टी से अचानक इज़रायल पर रॉकेट हमलों की मूसलाधार बारिश कर दी। ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड की घोषणा करते हुए हमास ने महज 20 मिनट में गाजा पट्टी से इज़रायल पर 3000 से ज्यादा रॉकेट दाग दिये। इतना ही नहीं, हमास की पांच आत्मघाती टीमें, इज़रायल के भीतर घुस गयीं और महिलाओं से लेकर बूढ़ों व बच्चों के साथ बर्बरता का वह नंगा कहर ढाया कि किसी भी देश की रूह कांप जाये। कुछ ही घंटों में लगभग 1,200 इज़रायली, जिनमें बूढ़े, बच्चे और महिलाएं थीं, मौत के घाट उतार दिए गए और करीब 240 लोगों को बंधक बना लिया गया। इज़रायल के इतिहास का यह सबसे घातक दिन था, लेकिन हमास की यह एकतरफा बर्बरता बस कुछ ही घंटों की रही। इसके बाद शुरू हुआ इज़रायली सेना का कहर, जो इन पंक्तियों के लिखे जाने तक भी जारी है। 
इज़रायल की सरकार ने हमास को जड़ से मिटा डालने का जो संकल्प लिया है, उसके चलते 26 दिसम्बर, 2023 तक 21,100 से ज्यादा फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं, जिनमें 6100 से ज्यादा अकेले मासूम बच्चे हैं। हमास के हमले के कुछ ही घंटों बाद इज़रायल ने समूची गाज़ा पट्टी को बमों और गोला बारूद से उड़ा दिया। वास्तव में इज़रायल पर हमास का बर्बर वर्चस्व महज कुछ घंटों तक ही रहा। इसके बाद से अब तक वहां इज़रायल का ही वर्चस्व है।
हमास-इज़रायल जंग जहां इस साल अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य की सबसे बड़ी और वैश्विक सुर्खियों पर सबसे ज्यादा कब्ज़ा जमाने वाली अचानक घटी घटना रही, वहीं धरती का बिना रुके लगातार बढ़ रहा तापमान इस साल दुनिया को सबसे ज्यादा झकझोरने और चिंतित करने वाली घटना रही। बढ़ते हुए वैश्विक तापमान ने इस साल सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये। जलवायु परिवर्तन अब भविष्य का खतरा नहीं है, देहरी पर खड़ा वर्तमान का संकट है। झुलसती धरती दुनिया की नई वास्तविकता है। जब से दुनिया का तापमान रिकॉर्ड किया जा रहा है, साल 2023 अब तक का सबसे गर्म वर्ष रहा है। वैज्ञानिकों की मानें तो 1,25,000 सालों में धरती का तापमान कभी इतना ज्यादा गर्म नहीं रहा। साल 2015 में पेरिस समझौते के तहत प्रलय की आशंका तय करने वाला, धरती के तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी की खतरनाक सीमा, आशंका से पहले ही आ धमकी है, जिस कारण इस पूरे साल धरती के हर कोने में चरम मौसम की घटनाएं घटीं। जंगलों में आग लगने की इस साल असंख्य घटनाएं पूरी दुनिया में घटीं, वहीं दुनिया के कई हिस्सों में एक साथ सूखे और बाढ़ की आपदाओं ने भी रिकॉर्ड बनाया। यह पहला साल है, जब दुनिया ने देखा और जाना कि किस तरह उच्च आर्द्रता के साथ उच्च तापमान भी मौत का कारण बन सकता है।   
पिछले साल जब रूस ने यूक्रेन पर हमला किया था, तब किसी को दूर-दूर तक आशंका नहीं थी कि यह जंग एक पखवाड़े से ज्यादा चलेगी, लेकिन यूक्रेन ने पश्चिमी देशों की मदद से न केवल रूस को लगातार निर्णायक जीत के लिए निराश किया बल्कि इस साल की शुरुआत में तो उम्मीदें ये लगा ली गयीं कि यूक्रेन का जवाबी हमला पूर्वी यूक्रेन और संभवत: क्रीमिया पर रूस की पकड़ को तोड़ सकता है। यह बहुप्रतीक्षित जवाबी कार्रवाई जून की शुरुआत में शुरू हुई भी, लेकिन सैनिकों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने के बावजूद, युद्धरेखाएं मुश्किल से ही आगे बढ़ीं। रूसी सेना ने सर्दियों और वसंत का उपयोग दुर्जेय व्यूह रचना के लिए किया था। पूरी दुनिया का ध्यान खींचने वाली इस साल की एक बड़ी घटना यह रही कि भारत दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश के रूप में चीन से आगे निकल गया। पिछली शताब्दी में काफी लंबे समय तक और मौजूदा शताब्दी के साढ़े 23 सालों तक चीन के सिर पर सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले देश का ताज रहा। जनरल नालेज की किताबों में दशकों तक यह आंकड़ा अपरिवर्तित रहा, लेकिन अब यह आंकड़ा बदल गया है। आज भारत की दुनिया में सबसे ज्यादा करीब 1.43 अरब जनसंख्या है और अनुमान है कि आगे दशकों यह ताज भारत के माथे पर ही रहेगा। विशेषज्ञों का अनुमान है कि भारत की जनसंख्या 29 वर्ष की औसत आयु के साथ सदी के मध्य तक लगभग 1.7 अरब तक पहुंच जायेगी।
साल 2023 को फिर से शुरू हुई अंतरिक्ष होड़ के लिए भी जाना जाएगा। न सिर्फ विभिन्न देश बल्कि दर्जनों कारपोरेट कम्पनियां भी इस रेस में शामिल हो गयी हैं। अंतरिक्ष, पर्यटन का नया ड्रीम डेस्टिनेशन बन गया है। विभिन्न देश और अनेक बड़ी कारपोरेट कंपनियां आज अंतरिक्ष पर बड़ा दांव लगा रही हैं। आज दुनिया के 77 देशों में अंतरिक्ष एजेंसियां हैं; सोलह देश अंतरिक्ष में पेलोड लॉन्च कर सकते हैं। चंद्रमा इस साल अंतरिक्ष वैज्ञानिकों की ही नहीं, बहुत से देशों के शासकों की भी विशेष रुचि का विषय बन गया। इस साल रूस का चंद्रमा फतेह का एक और प्रयास अगस्त में निराशा में समाप्त हो गया, जब उसका लैंडर चंद्रमा की सतह पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। लेकिन इसके कुछ ही दिनों बाद, भारत चंद्रमा पर मानव रहित यान उतारने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया, जबकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र के पास ऐसा करने वाला भारत दुनिया का पहला देश हो गया। दो सप्ताह बाद, हमने सूर्य का अध्ययन करने के लिए जो आदित्य एल-1 मिशन भेजा, उसका भी पूरी दुनिया ने महत्वपूर्ण कदम के रूप में नोटिस लिया। चीन और संयुक्त राज्य अमरीका ने भी महत्वाकांक्षी चंद्रमा कार्यक्रमों की इस साल घोषणा की। नासा का लक्ष्य 2025 तक चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्रियों को वापस लाने का है। हालांकि इस नई अंतरिक्ष होड़ ने यह आशंका पैदा कर दी है कि इससे भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और अंतरिक्ष के सैन्यीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
समुद्री अन्वेषण और पर्यटन के लिए यह साल बहुत दुखद साबित हुआ जब ओशनगेट कम्पनी द्वारा बनाई गई टाइटन सबमर्सिबल पनडुब्बी, जो कि अमीर लोगों को डूबे हुए टाइटैनिक जहाज का मलबा दिखाने के लिए उन्हें समुद्र के भीतर ले जाती थी, लापता हो गयी। इसे ढूंढने में 4 दिन से ज्यादा का समय लगा। इस पनडुब्बी में पांच लोग सवार थे, जिनमें से एक की उम्र महज 19 या उससे थोड़ा अधिक थी। वास्तव में पानी के अंदर अत्यधिक दबाव के कारण यह सबमर्सिबल फट गयी और इसका मलबा कई किलोमीटर दूर तक फैल गया। इन अमीर लोगों की मौत से दुखी पर्यटन विशेषज्ञों ने एक स्वर में कहा कि यदि इस अपमानजनक, निरर्थक ‘पर्यटन’ को समाप्त कर दिया जाए, तो उनकी मौतें व्यर्थ नहीं होंगी। 
इस साल की दुनिया को झकझोर देने वाली घटनाओं में तुर्की-सीरिया में आया भूकम्प भी रहा जहां गगनचुंबी इमारतें वाकई ताश के पत्तों की तरह ढह गयीं। इस विनाशकारी भूकम्प की तीव्रता रेक्टर स्केल पर 7.8 थी। इस भूकम्प में अनगिनत जानें गईं। यह 2010 में हैती में आये भूकम्प के बाद दुनिया के किसी भी कोने में आये भूकम्प से कहीं ज्यादा घातक था। इस साल की कई अन्य महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाओं में मैनहट्टन ग्रैंड जूरी द्वारा राष्ट्रपति ट्रम्प पर लगाया गया अभियोग, भारत में जी-20 का सम्पन्न शानदार सम्मेलन, न्यूयार्क में भारत, इज़रायल, यूएई और अमरीका के बीच आई-2 यू-2 समूह द्वारा संयुक्त अंतरिक्ष उद्यम की घोषणा और 14 जुलाई को फ्रांस की बेस्तिल डे परेड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का शामिल होना रहा।
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