क्या है अल्बाट्रोस की कहानी ?

‘दीदी, अल्बाट्रोस की कहानी क्या है?’
‘लगभग 200 वर्ष पहले समुएल टेलर कोलरिज ने एक कविता लिखी थी ‘द राइम ऑफ द एन्शियंट मरिनर’।’
‘जी, मैंने इसके बारे में सुना है। यह अंग्रेजी भाषा की सबसे मशहूर कविताओं में से एक है।’
‘हां। इसमें दिखाया यह गया है कि एक नाविक एक अल्बाट्रोस को मार देता है और फिर उसके साथ बहुत बुरी-बुरी चीज़ें होने लगती हैं।’
‘क्या ऐसा होता है?’
‘मनुष्य ने जब से समुद्री यात्राएं शुरु की है, तब से इस विशाल पक्षी का नाविकों के लिए विशेष अर्थ रहा है।’
‘क्यों?’
‘नाविकों का मानना है कि इस पक्षी में महीनों तक जहाज़ का पीछा करने की क्षमता होती है और कभी कभी तो बिना अपने परों को हिलाये हुए भी, यह सबूत है इसमें दैवीय शक्तियां होने की और इसलिए जो भी अल्बाट्रोस को नुकसान पहुंचायेगा उसे बुरे दिन देखने पड़ेंगे।’
‘क्या सचमुच ऐसा है?’
‘अरे नहीं। यह सब अंधविश्वास है। लेकिन अल्बाट्रोस वास्तव में एक पक्षी है।’
‘अच्छा!’
‘सभी पक्षियों से इसके पर सबसे बड़े होते हैं। यह पक्षी आकार में भले ही 22 सेंटीमीटर का हो और इसका वज़न मात्र 11 किलो हो, लेकिन जब यह अपने पर खोलता है तो एक सिरे से दूसरे सिरे तक उसकी लम्बाई 3.5 मी से भी अधिक होती है।’
‘और यह रहता कहां है?’
‘अल्बाट्रोस अपने जीवन का अधिकतर समय उड़ते हुए व्यतीत करता है। जब उसे कुछ खाना होता है, तो वह पानी पर कॉर्क की तरह तैरता है और अपनी चोंच का प्रयोग छोटे स्क्विडस, मछली या जहाज़ का स्क्रैप खाने के लिए करता है। इसकी मादा बंजर एंटार्कटिक द्वीपों में अंडे देती है व बच्चे के उड़ने लायक होने तक परवरिश करती है।’
‘यह कितनी ऊंची उड़ान भर लेता होगा?’
‘अल्बाट्रोस की उड़ान ़गज़ब की है। यह आसमान में इतना ऊंचा उड़ जाता है कि आंखों से ओझल हो जाता है। यह अपने परों को संतुलित करके हवा में एक जगह स्थिर रह सकता है और सौ मील की रफ़्तार से उड़ सकता है।’

-इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर