घोषणा पत्र और वास्तविकता

चुनाव के समय सभी राजनीतिक पार्टियां अपना घोषणा पत्र जारी करती हैं। चुनाव जीतने के बाद चुनाव में विजयी पार्टी जोकि सत्ताधारी पार्टी हो जाती है उत्साह और उत्तेजना में देर तक आम तौर पर घोषणा पत्र को भूले रहती है। जब नये चुनाव का बिगुल बजता है तब विपक्ष के हमले तेज होने लगते हैं। गांव-शहर की सूनी गलियों में शोर मचने लगता है। रात के अंधेरे में फ्यूज बल्ब अचानक जगमगाने लगते हैं। वायदों की जनहित चिंता की झड़ी लग जाती है, लेकिन कुछ घोषणा पत्र ऐतिसाहिक भी हुए हैं। बार-बार सुनाये गये हैं, बार-बार पढ़े गये हैं। मसलन अमरीका का 1776 का घोषणा पत्र 14-15 अगस्त के बीच भारत के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू का ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ वाला भाषण, कम्युनिस्ट घोषणा पत्र, 24 जुलाई 1995 का मनमोहन सिंह का भाषण। इस भाषण में उन्होंने भारत की अर्थ-व्यवस्था को बदलने की घोषणा की थी और उदारीकरण की पैरवी की थी, जिसके पक्ष और विरोध में आज तक बहुत सी बाते की गई हैं। देश में अखिल भारतीय स्तर पर दो प्रमुख पार्टियों के घोषणा पत्र आये हैं। भाजपा ने 3 मार्च को अपनी घोषणा पत्र समिति का गठन किया और कांग्रेस ने 5 अप्रैल को घोषणा पत्र जारी किया। दोनों घोषणा पत्रों में जनता को मन लुभावन घोषणाएं नज़र आएंगी। आम जनता में लोग आम तौर पर घोषणा पत्र नहीं पढ़ते, लेकिन नेता लोग दूसरी पार्टी पर हमला करते हुए या अपनी पार्टी की प्रशंसा करते हुए घोषणा पत्रों का सहारा लेते हैं। मसलन कांग्रेस के नेता भाजपा पर हमला करते हुए माननीय नरेन्द्र मोदी के उस वायदे का उल्लेख करेंगे कि ‘मैं प्रत्येक भारतीय के बैंक खाते में 15 लाख रुपये डाल दूंगा।’ भाजपा के नेता विपक्ष के नेताओं के भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टिकरण की नीति पर हमला कहेंगे। भारतीय जनता पार्टी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए जनता को भावुक अपील कर सकती है और करती है। कांग्रेस पार्टी ने इस अवसर को खो दिया। जब इतना भव्य समारोह अयोध्या में आमंत्रित कर रहा था। 
कांग्रेस का शिखर नेतृत्व इस पर कोई स्पष्ट लाइन न देख पाया। उन्हें मुस्लिम वोटर को नाराज़ नहीं करना था। भाजपा को इस दिशा में जन-मानस का समर्थन मिला है। लगभग 2024 के आम चुनाव में भाजपा के प्रचारक लोगों को भ्रमाने नहीं देंगे। भारतीय जन-मानस राम के नाम पर भावुक तो है ही। इस बार के चुनाव में ‘जय श्री राम’ ज़रूर गूंजने वाला है, जिसका कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
आम आदमी पार्टी के कुछ शीर्ष नेता शराब घोटाले के केस में जेल में डाल दिये गये। कुछ ही दिन पहले विशेष कोर्ट में सी.बी.आई. ने भारत राष्ट्र समिति (बी.आर.एस.) की नेता के. कविता के बारे में कहा कि कविता ने रेड्डी को धमकाया कि आम आदमी पार्टी (आप) को 25 करोड़ रुपए देने होंगे। इसके लिए धमकाया भी गया। यदि वह ‘आप’ को पैसा नहीं देते हैं, तो तेलंगाना और दिल्ली में उनके कारोबार को नुकसान पहुंचेगा। घोषणा पत्र कई घोषणाओं से परे है लेकिन जनता को अपने विवेक और समझ के साथ सोचना होगा कि उनका विश्वास किस पर है?