मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर मोदी के घातक हमले से हड़कंप

पहले दौर के मतदान के बाद दूसरे दौर के चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्ष की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर जोरदार हमला किया है। पूरे विपक्षी खेमे में इससे हड़कंप मच गया है, विशेष तौर पर कांग्रेस के नेताओं के लिए बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि वो सत्ता में आने पर देश की सम्पत्ति का सर्वेक्षण करवायेगी और फिर संपत्ति का बंटवारा करेगी। मोदी ने इसको कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से जोड़ दिया है।
9 दिसम्बर, 2006 में राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बयान दिया था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का है और विशेष तौर पर यह हक मुस्लिमों का है। इसी बयान को आधार बनाकर मोदी जी ने कहा है कि कांग्रेस सत्ता में आने पर हिन्दू महिलाओं से सोना-चांदी और उनका मंगलसूत्र तक छीन लेगी और उसे मुस्लिमों में बांट देगी। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस आपका पैसा छीनकर घुसपैठियों के हवाले कर देगी। देखा जाये तो यह बयान मोदी का मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है। कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि मोदी झूठ बोल रहे हैं क्योंकि मनमोहन सिंह ने कभी ऐसा कहा ही नहीं था लेकिन भाजपा समर्थक मनमोहन सिंह के भाषण का पुराना वीडियो सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं। इस भाषण में स्पष्ट रूप से मनमोहन सिंह उक्त बयान दे रहे हैं इसके बावजूद कांग्रेस उसे नकार रही है । इससे पहले भी मोदी कांग्रेस के घोषणा-पत्र को मुस्लिम लीग का घोषणा-पत्र करार दे चुके हैं क्योंकि कांग्रेस के घोषणा-पत्र में उसकी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत मुस्लिमों को लेकर कई विशेष घोषणाएं की गई हैं। कांग्रेस पहले ही उन नीतियों का बचाव कर रही थी, अब मोदी ने एक नया हमला कर दिया है, जिसने कांग्रेस के रणनीतिकारों को विचलित कर दिया है।
वास्तव में भाजपा समझ चुकी है कि उसकी लाभार्थी योजना का अत्याधिक लाभ लेने वाला मुस्लिम समाज उसे वोट करने वाला नहीं है। मुस्लिम समाज हर हाल में भाजपा को हराने के लिए वोट कर रहा है। मुस्लिम वोटों में ध्रूवीकरण भाजपा के लिए चिंता का विषय है लेकिन भाजपा इसकी प्रतिक्रिया में हिन्दू वोटों के ध्रूवीकरण की कोशिश में लग गई है । मुस्लिम वोट बैंक की लड़ाई में भाजपा शामिल नहीं है, इसलिए उसे मुस्लिम वोटों की बिल्कुल चिंता नहीं है। वो समझ चुकी है कि उसकी लाख कोशिशों के बावजूद देश का मुस्लिम समाज उसे सत्ता से हटाने के लिए एकजुट है। मुस्लिम वोट बैंक की लड़ाई कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दलों के बीच चल रही है। कांग्रेस जानती है कि सपा, बसपा, आरजेडी, टीएमसी, डीएमके और दूसरे विपक्षी दलों ने उसके मुस्लिम वोट बैंक पर कब्जा कर लिया है, इसके कारण ही वो लगातार कमजोर होती जा रही है। कांग्रेस अपना मुस्लिम वोट बैंक वापिस लेना चाहती है क्योंकि इसके बिना वो दोबारा ताकतवर नहीं हो सकती। विपक्षी दलों और कांग्रेस के बीच मुस्लिम वोट बैंक को लेकर प्रतियोगिता चल रही है। अपने आपको सबसे बड़ा मुस्लिम हितेषी दिखाने के चक्कर में विपक्षी दल मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति पर आगे बढ़ रहे हैं। मोदी के निशाने पर सबसे ज्यादा कांग्रेस का घोषणा-पत्र है हालांकि अन्य विपक्षी दलों के घोषणा-पत्र भी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति से भरे हुए हैं।  
मोदी ने कांग्रेस के घोषणा-पत्र पर मुस्लिम लीग की छाप का आरोप लगाया है क्योंकि कांग्रेस ने वादा किया है कि वो भोजन, शादी, पहनावे और प्यार की पूर्ण स्वतंत्रता देगी। इसका मतलब है कि कांग्रेस देश में गौमांस खाने की इजाजत देगी। इसका दूसरा मतलब है कि पूरे देश में गौहत्याएं करने की आज़ादी होगी। लव जिहाद करने की आजादी होगी। पहनावे की आजादी का मतलब है कि शिक्षण संस्थानों में भी बुर्का और हिजाब में जाने की अनुमति होगी। कांग्रेस के इस वादे में कई रहस्य छुपे हुए हैं, इसलिए इसे मुस्लिम लीग की छाप वाला घोषणा-पत्र कहा जा रहा है। कांग्रेस चाहती है कि मुस्लिमों को पहले की तरह बहुविवाह, हलाला, तीन तलाक, नाबालिग बच्चियों के विवाह की छूट दी जाए। कांग्रेस मुस्लिमों को उनकी धार्मिक कट्टरता के साथ जीने की आजादी देना चाहती है लेकिन इस सच्चाई से मुंह मोड़ती है कि धार्मिक कट्टरता का त्याग किये बिना विकास संभव नहीं है। सच्चर कमेटी कहती है कि मुस्लिमों की हालत दलितों से भी बदतर है जो कि सरासर झूठ है। दलितों की तुलना मुस्लिमों से की ही नहीं जा सकती क्योंकि दलित आगे बढ़ना चाहते हैं लेकिन बढ़ नहीं पा रहे हैं और मुस्लिम आगे बढ़ सकते हैं लेकिन बढ़ना नही चाहते हैं। दोनों की परिस्थितियों में बड़ा अंतर है। इस अंतर को समझने की ज़रूरत है।
कांग्रेस धर्म के आधार पर आरक्षण देना चाहती है जबकि संविधान में जाति के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था की गई है। सवाल उठता है कि जहां जाति ही नहीं है, वहां आरक्षण कैसे दिया जा सकता है? सारी दुनिया में मुस्लिम यही ढिंढोरा पीटते हैं कि इस्लाम में सब बराबर हैं, कोई ऊंच-नीच नहीं है। इसी आधार पर ईसाई और मुस्लिम धर्मगुरू धर्म परिवर्तन करवाते हैं कि तुम्हें जाति व्यवस्था से बाहर निकाल लिया जायेगा। इसी जाति व्यवस्था के नाम पर हिंदू धर्म का मजाक बनाते हैं उसकी बुराई करते हैं लेकिन इनके नेता आरक्षण लेने के लिए कहते हैं कि हमारे यहां भी जाति व्यवस्था है। दोनों चीजें एक साथ कैसे चल सकती हैं? 
भारतीय संविधान ऐतिहासिक रूप से पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की बात करता है। इसमें धार्मिक आधार पर आरक्षण देने का कहीं कोई जिक्र नहीं है। आजादी से पहले मुस्लिम समाज शासक वर्ग था, अंग्रेजों के अधीन भारत में ज्यादातर रियासतें मुस्लिम शासकों के अधीन थी, जहां मुस्लिमों को विशेष दर्जा प्राप्त था। अंग्रेजों के आने से पहले भारत पर इस्लामिक शासन था और मुस्लिम देश के बड़े हिस्से पर राज कर रहे थे। कांग्रेस दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों से उनका हक छीनकर मुस्लिमों को देना चाहती है। यह सच्चाई सामने आने पर विपक्ष की राजनीति बड़े खतरे में पड़ सकती है। इसका अंदाजा लगाकर ही विपक्ष परेशान हो गया है। सच्चर कमेटी ने यह तो बताया कि मुस्लिमों की हालत ठीक नहीं है लेकिन इस सच्चाई को छुपा गई कि क्यों उनकी हालत ऐसी है। मोदी कहते हैं कि कांग्रेस ज्यादा बच्चों वालों को तुम्हारी संपत्ति देना चाहती है। इससे कौन इंकार कर सकता है कि मुस्लिम समुदाय की जन्मदर अत्यधिक है? मुस्लिम समाज में जागरूकता पैदा करने की जगह विपक्षी दल उनके तुष्टिकरण को बढ़ावा दे रहे हैं और ये काम हिन्दू हितों की कीमत पर हो रहा है। बेशक मोदी के बयान पर विपक्षी दल भड़क रहे हैं लेकिन उनके बुद्धिजीवी उन्हें चुप रहने की सलाह दे रहे हैं क्योंकि चर्चा होने पर सच्चाई देश के सामने आ जायेगी।